...वो न डूबने वाला डूब गया

…वो न डूबने वाला, डूब गया
टाइटैनिक डे (15 अप्रैल 15 अपै्रल ‘टाइटेनिक डे’ टाइटेनिक जहाज के सवार लोगों को श्रद्घांजलि देने के लिए मनाया जाता है। टाइटेनिक दुनिया का सबसे बड़ा वाष्प आधारित यात्री जहाज था। वह साउथम्पटन (इंग्लैंड) से अपनी प्रथम यात्रा पर 10 अपै्रल को 2223 यात्रियों के साथ न्यूयार्क रवाना हुआ था।

चार दिन की यात्रा के बाद 14 अपै्रल 1912 की रात को 11:40 बजे वह एक हिमशिला से टकराकर डूब गया था, जिसमें 1517 लोगों की मृत्यु हुई, जो इतिहास की सबसे बड़ी शांतिकाल समुद्री आपदाओं में से एक है।

टाइटैनिक के डूबने का मुख्य कारण उसकी अत्याधिक तेज गति होना माना जाता है। टाइटैनिक के मालिक जे़बु्रस इस्मे ने जहाज के कप्तान एडवर्ड स्मीथ को जहाज को अधिकतम गति पर चलाने के लिए बाध्य किया था। 14 अपै्रल 1912 को टाइटैनिक को 6 बर्फ की चट्टानें होने की चेतावनी मिली थी।

कप्तान को लगा बर्फ की चट्टान के आने से पहले जहाज मुड़ जाएगा, मगर जहाज की तेज गति व अनुमान की अनिश्चितता के कारण समय पर जहाज अपना रास्ता न बदल पाया और बर्फ की चट्टान से जा टकराया।

उससे जहाज के आगे के हिस्से में छेद हो गए और कुछ समय बाद जहाज समुद्र में समा गया। जिस सागर में वह डूबा था, उसके जल का तापमान 20 डिग्री था, जिसमें किसी भी साधारण इंसान का 20 मिनट से ज्यादा जिंदा रहना नामुकिन था। सभी नियमों का पालन करने के बावजूद 1178 लोगों को ही जीवन रक्षक नौका बचा पाई।

पुरूषों की असंगत मृत्यु संख्या का मुख्य कारण महिलाओं और बच्चों को पहले नौका मेें बैठने की प्राथमिकता दी गई थी।
टाइटैनिक उस समय के सबसे अनुभवी इंजीनियरों के द्वारा डिजाइन किया गया था। उसके निर्माण में उस समय में उपलब्ध सबसे उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया गया था।

यह कई लोगों के लिए आघात था कि व्यापक सुरक्षा के बावजूद टाइटैनिक डूब गया। साल 1997 में रिलीज हुई मूवी टाइटैनिक को देखकर पूरी दुनिया में लोगों ने शायद पहली बार जाना था कि जहाज का डूबना और उससे जुड़ा दर्द क्या होता है।

भले ही टाइटैनिक का डूबना एक सच्ची घटना थी, लेकिन फिल्म को देखने के बाद एक
बात जो पूरी दुनिया की जुबान पर आज तक चढ़ी हुई है, वो है टाइटैनिक पोज जो एक्टर लियोनार्डो कैप्रियो और खूबसूरत एक्ट्रेस केंट विसलैंट पर शानदार अंदाज में फिल्माया गया था।

टाइटैनिक नाम का यह ब्रिटिश पैसेंजर जहाज वास्तव में बहुत भव्य था और किसी ने भी नहीं सोचा था कि जिस जहाज का नाम ही हो ‘न डूबने वाला’ वो अपने पहले सफर में ही इस कद्र समुद्र में गोता लगा जाएगा। जो किस्मत वाले इस दर्दनाक दुर्घटना में जिंदा बचे थे, वे 18 अपै्रल को वापस अपने शहर पहुंचे, वहां अपनों के चेहरे देखने के लिए हजारों बेचैन लोग जमा हो चुके थे।

टाइटैनिक की भव्यता एक नजर में:-

ॅ रॉयल मेल सर्विस टाइटैनिक या टाइटैनिक जो अपने साथ हजारों सपने लेकर अपने पहले सफर में ही सागर के तल में 3784 मीटर नीचे दफन हो गया था। 1985 में इसके मलबे को खोजा गया। तब से अब तक यह ढेरों किताबों, प्रदर्शनी, मेमोरियल और फिल्मों का विषय बन चुका है।

ॅ इस जहाज की ऊंचाई 269 मीटर थी, जो उस समय खड़ा होने पर एक इमारत की तरह प्रतीत होता था।

ॅ टाइटैनिक जहाज का इंजन 46000 हार्स पावर की ऊर्जा पैदा करता था। इसके अंदर हर दिन लगभग 600000 किलो कोयला जलाया जाता था। जोकि 176 लोगों के द्वारा भट्टी में डाला जाता था और इसके अंदर की 1 लाख किलो राख प्रतिदिन समुद्र में डाली जाती थी।

ॅ टाइटैनिक जहाज पर 4 चिमनियां लगी थीं, लेकिन इनमें से सिर्फ 3 में से ही धुंआं निकलता था और एक चिमनी जहाज की सुंदरता व मजबूती दर्शाने के लिए लगाई गई थी।

ॅ टाइटैनिक जहाज का मलबा दो टुकड़ों में 600 मीटर की दूरी पर मिला, लेकिन अभी तक यह अनुमान नहीं लग पा रहा है कि इतना मजबूत होने के बावजूद यह जहाज दो टुकड़ों में कैसे टूटा।

-महिमा अरोरा

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