रोजाना की भागदौड़ और बढ़ती हुई समस्याओं के कारण उत्पन्न होने वाले तनावों का नतीजा होता है सिरदर्द। वैसे आमतौर पर यह देखा गया है कि पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियां सिरदर्द की अधिक शिकार होती हैं। इसका प्रमुख कारण शायद उनकी भावुकता होती है।
अब तक समझा जाता रहा है कि सिरदर्द के कुछ मनोवैज्ञानिक कारण (Sir Dard Ke Karan) होते हैं लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके कुछ जैवरासायनिक कारण होते हैं जिनकी वजह से तंत्रिका कोशिकाओं और रासायनिक संदेशवाहकों के बीच गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है।
सिरदर्द के दूसरे कारणों में तेज शोर, कफ जमा होना, नींद अच्छी न आना, किसी भयानक रोग की सूचना, आंख, कान, नाक आदि में किसी प्रकार का संक्र मण,उच्च रक्तचाप, मस्तिष्क की रक्तवाहिनियों का क्षतिग्रस्त हो जाना, शरीर में कहीं पर ट्यूमर का उभरना आदि भी होता है।
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सिरदर्द का वास्तविक कारण आज तक ठीक-ठीक पता नहीं चल पाया है। मस्तिष्क को रक्त पहुंचाने वाली धमनियों और शिराओं में उपस्थित तंत्रिकाएं रक्तचाप में होने वाले जरा से भी परिवर्तन के प्रति बहुत संवेदनशील होती हैं। किसी भी प्रकार का तनाव या थकान होने पर रक्तचाप में परिवर्तन होना स्वाभाविक है और इसी के परिणामस्वरूप सिरदर्द होना प्रारम्भ हो जाता है। मस्तिष्क को दर्द की अनुभूति संवेदी तंत्रिकाओं द्वारा होती है।
आमतौर पर सिरदर्द, जुकाम – खांसी या तनाव के कारण होता है। अस्सी प्रतिशत मामलों में सिरदर्द का कारण तनाव ही पाया गया है। यह दर्द अधिकतर सिर के दोनों तरफ खोपड़ी के पीछे और गर्दन के आस-पास महसूस होता है। इस तरह का दर्द बहुत तेज नहीं होता और हल्की दर्द निवारक गोलियों से यह दूर भी हो जाता है। एस्प्रिन शरीर में दर्द की अनुभूति कराने वाले पदार्थ प्रोस्टाग्लैंडिन का बनना कम कर देती है। इसके अलावा तनावरहित होकर आराम करने से भी दर्द में राहत महसूस होने लगती है।
कुछ लोग आवश्यकता से अधिक संवेदनशील होते हैं और उनके आसपास घटने वाली छोटी से छोटी घटना भी उन्हें अधिक प्रभावित करती है और वे बहुत जल्दी सिरदर्द के शिकार हो जाते हैं। कई बार तो यह दर्द इतना तेज होता है कि आदमी अपने आप को बीमार महसूस करने लगता है। यहां तक कि दृष्टि में धुंधलापपन तक आ जाता है और आंखों के आगे सितारे से दिखाई देने लगते हैं। कभी-कभी शरीर का कोई भाग भी सुन्न हो जाता है।
सिरदर्द के और भी कारण हो सकते हैं जिनमें नासूर, दांतों में सूजन, नजर कमजोर हो जाना, आंखों में लाली आ जाना आदि हैं। कुछ लोग इस ओर तब तक ध्यान नहीं देते जब तक कि यह समस्या कोई गंभीर रूप न धारण कर ले। ऐसे में कोई भी ऐसा काम, जिसके करने से आंखों पर अधिक जोर पड़ता हो, सिरदर्द को जन्म दे सकता है।
सिरदर्द के एक कारण के रूप में एलर्जी को भी माना जाता है। कुछ लोगों को रुचि के अनुसार खाना न मिलने पर भी सिर का दर्द होने लगता है जिन्हें खाते ही सिर में भारीपन या दर्द का अनुभव होने लगता है।
सिर दर्द कितना भी तेज क्यों न हो, दर्द निवारक गोलियों का बहुत अधिक या जल्दी-जल्दी सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ये खतरनाक सिद्ध हो सकती हैं। इसका लगातार इस्तेमाल करना बुरे प्रभाव दे सकते हैं। हृदय-रोग एवं उच्च रक्तचाप के रोगियों तथा गर्भवती महिलाओं को तो बिना चिकित्सक के परामर्श से औषधि लेनी ही नहीं चाहिए।
सिर दर्द के मूल कारण का पता लगाकर उसी का उपचार कराना हितकर होता है। सिरदर्द से बचने का सबसे सहज एवं सरल तरीका है अपने दिमाग एवं शरीर को तनाव रहित रखना। तनाव से किसी समस्या का समाधान नहीं होता।
आंख, कान, नाक, गले आदि में दर्द होने पर उसके विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। एलर्जी से उत्पन्न सिर दर्द के विषय में गंभीरता पूर्वक सोचकर उसका हल निकालने की कोशिश की जानी चाहिए। महिलाओं में सिर दर्द अधिक पाया जाता है इसलिए उन्हें अपनी सेहत का खास ध्यान रखना चाहिए।
– पूनम दिनकर
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