12 वर्ष बाद सच हुए रूहानी वचन -सत्संगियों के अनुभव
पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज का रहमो-करम
प्रेमी दलीप सिंह पुत्र श्री दम्मन सिंह मस्तान नगर मलोट जिला श्री मुक्तसर साहिब से पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज की अपने परिवार पर हुई अपार रहमतों का इस तरह वर्णन करता है:-
मेरा छोटा भाई नाहर सिंह बेपरवाह मस्ताना जी महाराज के समय में सत् ब्रह्मचारी सेवादार था। मेरे बापू जी शराब पीते तथा मांस खाते थे। उनके पेट तथा गुर्दे में दर्द रहता था। दो बार आॅपरेशन करवाया, पर कोई आराम नहीं आया। पहले श्री गंगानगर से, फिर पटियाला से आॅपरेशन करवाया। सन् 1956 में पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ने मलोट में सत्संग फरमाया। उस समय हमारे सारे परिवार ने सत्संग सुनी।
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मेरे भाई नाहर सिंह ने मेरे बापू जी को कहा कि सभी बुराइयां छोड़कर नाम ले ले, तेरा दर्द हट जाएगा। उन्होंने सार्इं मस्ताना जी महाराज से उसी दिन नाम ले लिया तो दर्द हट भी गया। उपरान्त उनाके शरीर में कहीं भी दर्द नहीं हुआ। फिर मेरी माता जी और मेरी पत्नी ने भी नाम ले लिया।
एक दफा डेरा सच्चा सौदा मलोट का निर्माण कार्य चल रहा था। मैं भी बतौर मिस्त्री चिनाई की सेवा कर रहा था। रात के अढ़ाई बजे थे। हम चार मिस्त्री चिनाई कर रहे थे। पूज्य शहनशाह मस्ताना जी दाता ने हम चारों को अपनी पावन हजूरी में बुलाया। उस समय नाहर सिंह भी पूज्य गुुरु जी की हजूरी में खड़ा था। पूज्य शहनशाह जी ने हम चारों मिस्त्रियों को आम का प्रसाद दिया। अन्तर्यामी दातार जी ने पूर्व की तरफ अपना मुख करके उंगली का इशारा करते हुए वचन फरमाया, ‘बेटा! इधर मिल गूंजा करेगी। बाहर से लोग यहां आएंगे, नाम लेंगे, पे्रमी बनेंगे।’
उस समय वहां मिल का कोई नामो-निशान नहीं था। पूज्य शहनशाह जी के वचनानुसार 10-12 साल बाद वहां पर धागा मिल स्थापित की गई। उस मिल में काम करने के लिए बाहर के राज्यों से आदमी आए। वहां पर (मिल में) जो भी काम करते थे, उन सभी ने परम पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज से नाम ले लिया और प्रेमी बन गए। और इस तरह 12 वर्ष बाद सतगुरु जी के वचन सच हुए।
बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ने मुझे तथा मेरे परिवार पर अपार रहमतें बरसाई। मुझे अपनी रहमत के अत्यंत नजारे दिखाए तथा असीम खुशी आनन्द-लज्जत प्रदान की जिनका लिख-बोलकर वर्णन नहीं हो सकता। सतगुरु की रहमत से आज भी मेरा समस्त परिवार डेरा सच्चा सौदा से जुड़ा हुआ है। मेरे बच्चों ने परम पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज से नाम लिया तथा मेरे पौत्रों, पौत्रियों, दोहतों तथा दोहतियों ने परम पूजनीय मौजूदा हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां से नाम लिया है। एक ही मालिक का नूर है।
बेपरवाह मस्ताना जी महाराज आज भी परम पूजनीय हजूर पिता जी के स्वरूप में हमारी सभी परिवार की पल-पल संभाल कर रहे हैं।