Take care of your heart in time -sachi shiksha hindi

समय रहते ही संभालिये अपने दिल को

दिल से संबंधित बीमारियां दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं। अब तो हृदय रोग कम उम्र के लोगों में भी होता देखा जा रहा है। उसका मुख्य कारण जीवन में तनाव का बढ़ना है। हम सदैव तनाव से ग्रस्त रहते हैं। दूसरा कारण यह है कि हमारे खान-पान का तरीका गलत होता जा रहा है जो हृदय रोगों को बढ़ावा दे रहा है।

यदि हम इस रोग पर समय रहते ही ध्यान दें तो हम अपने छोटे से पर महत्त्वपूर्ण काम करने वाले दिल को संभाल सकते हैं।

  • शाकाहारी भोजन का सेवन करना चाहिए। शाकाहारी भोजन हृदय के लिए लाभदायक है। भारत में मांसाहार बढ़ने के कारण हमारे देश में हृदय रोग की दर में भी बढ़ोत्तरी हुई है जबकि विदेशों में लोग अब शाकाहार की ओर मुड़ रहे हैं। इसलिए उन देशों में हृदय रोग की दर में कमी आ रही है।
  • सरसों का शुद्ध तेल हृदय के लिए अच्छा माना जाता है। इसलिए भोजन में घी-मक्खन के अलावा रिफाइंड आॅयल और सरसों के तेल का प्रयोग करना चाहिए।
  • हृदय रोग से बचने के लिए शरीर को सक्रि य रखना बहुत जरूरी होता है, इसलिए व्यायाम और सैर को अपना साथी बना लें। सैर और व्यायाम करते समय मानसिक रूप से शांत रहें। ध्यान भी मानसिक तनाव को कम करता है।
  • आधुनिक युग प्रतिस्पर्धा के युग होने के कारण जब महत्त्वाकांक्षाएं पूरी नहीं होती तो लोग अक्सर अवसाद और मानसिक तनाव में आ जाते हैं। इसलिए महत्त्वाकांक्षाएं उतनी रखें जिनको आप पूरा कर सकें या फिर यह सोच कर प्रयत्न करें कि पूरी नहीं होने पर पुन: उसे पूरा करने का प्रयास करेंगे। निराश नहीं होंगे।
  • सूर्य की रोशनी जब हरे पत्तों पर पड़ती है तब प्रकाश संश्लेषण होने से हवा में आॅक्सीजन की मात्र बढ़ती है। इसका अर्थ है सुबह अंधेरे और देर रात तक घूमने के लिए न निकलें। सूर्योदय के बाद ही सैर के लिए जाएं।
  • मानसिक तनाव रक्त की रासायनिक संरचना को बिगाड़ने में मदद करता है। तनावग्रस्त होने से हृदय पर अतिरिक्त जोर पड़ता है जिससे रक्तचाप बढ़ता है और रक्त में एलडीएल बढ़ जाता है जो हृदय के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है।
  • भागदौड़ से स्वयं को दूर रखें। वैसे तो आज की मांग के अनुसार कम समय में अधिक काम करने पड़ते हैं जिससे भागदौड़ करना स्वाभाविक होता है। भागदौड़ भी हृदय पर अतिरिक्त भार डालता है जो हृदय हेतु गलत है। कामों को योजनाबद्ध तरीके से करें और काम पर पूरा ध्यान और समय दें ताकि अंत में भागदौड़ न करनी पडेÞ।
  • भोजन धीरे-धीरे चबा कर करना चाहिए और पेट को स्वाद के चक्कर में ठूंसना नहीं चाहिए। अधिक भोजन सेवन करने से और जल्दी भोजन करने से भी हृदय पर जोर पड़ता है।
  • हृदय के लिए सिगरेट, बीड़ी व शराब पीना सब हानिकारक हैं, इसलिए इन चीजÞों से परहेज ही करें।
  • उच्च रक्तचाप और मधुमेह हृदय रोग को बढ़ावा देते हैं। ऐसी शिकायत होने पर शीघ्र ही उचित इलाज करवायें।
  • चालीस वर्ष से ऊपर होने पर हर छ: माह पश्चात् रक्तचाप, रक्त की जांच और रक्त में चर्बी की जांच अवश्य करवायें। जरूरत पड़ने पर टी एम टी और ईको भी करवाएं।
  • पैंतीस वर्ष की उम्र के पश्चात् अपने खान-पान और रहन सहन पर विशेष ध्यान दें ताकि स्वयं को रोगों से दूर रख सकें। -नीतू गुप्ता

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