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Heart अपने दिल का रखें खास ख्याल

लंबे समय से चल रही एक गंभीर स्थिति, जिसमें दिल सामान्य रूप से खून को पंप नहीं कर पाता। यदि हृदय पर्याप्त रूप से रक्त (सिस्टोलिक) पंप नहीं कर पाता या रक्त नहीं भर पाता (डायस्टोलिक) तो हृदय विफलता हो सकती है। इसके लक्षणों में, सांस फूलना, थकान, पैरों में सूजन, और दिल की धड़कन तेज होना शामिल है।

इलाज में, नमक और तरल पदार्थों का कम सेवन और डॉक्टर की सुझाई गई दवाएं लेना शामिल हो सकता है। हृदय विफलता के बारे में शाह सतनाम जी स्पैशलिटी हॉस्पीटल्ज़ सरसा के विशेषज्ञ डॉ. अवतार सिंह (एमडी, डीएम कार्डियोलॉजी) से विशेष बातचीत के मुख्य अंश:

प्रश्न:- हार्ट फेलियर किसे कहते हैं, इसके क्या लक्षण हैं?

उत्तर:- सामान्य भाषा में हार्ट फेलियर की स्थिति में हृदय शरीर के अंगों को सुचारु रूप से आवश्यक मात्रा में ब्लड पंप नहीं कर पाता है, जिससे कई तरह के लक्षण देखने को मिलते हैं जैसे सांस का फूलना, आॅक्सीजन की मात्रा का ब्लड में कम होना, हाथों और पैरों में सूजन आना, अधिक विषम परिस्थिति में चक्कर आना अथवा बेहोशी होना शामिल है।

प्रश्न:- हार्ट फेलियर की स्थिति और हार्ट अटैक में क्या अंतर है?

उत्तर:- हार्ट अटैक की स्थिति में हार्ट मसल्स की ब्लॅड सप्लाई में कमी आती है। नसों में रूकावट की वजह से सीने में दर्द अनुभव होता है। हार्ट फेलियर की स्थिति हार्ट की पंपिंग से जुड़ी है, जिसमें मुख्यत: सांस का फूलना प्रारंभिक लक्षण होता है। यह एक तरह से हार्ट अटैक से आगे की खराब स्थिति है, जब समय पर ईलाज ना मिलने से हार्ट की पंपिंग क्षमता कम हो जाती है।

प्रश्न:- हार्ट फेलियर के हार्ट अटैक के अतिरिक्त और क्या कारण हैं?

उत्तर:- ऐसी कोई भी स्थिति जिससे हार्ट की मांसपेशियों पर दबाव बने एवं उनकी कार्यक्षमता कम हो जाए, हार्ट फेलियर का सबब बन सकती है। जैसे कि

  • अनिमिया (अत्यधिक खून की कमी)।
  • Accelerated Hypertension (बी.पी. का अत्यधिक बढ़ जाना)।
  • Infection/Inflammation (हार्ट की मसल्स का इन्फेक्शन होना, जिसे Myocarditis कहा जाता है।
  • Valvular Disease (हृदय के वाल्व में अत्यधिक सिकुड़न अथवा लीकेज का होना)।
  • Kidney Disease।
  • Hyperthyroidism (खून में थायरॉइड हार्मोन की अत्याधिक मात्रा)।
  • जन्मजात हृदय विकार/आनुवांशिक रोगों के कारण।
  • धड़कन की अनियमित अधिकता की वजह से।

प्रश्न:- हार्ट फेलियर से ग्रस्त रोगी में कौन से टेस्ट उपयोगी हैं?

उत्तर:- सांस का फूलना हमेशा फेफड़ों से संबंधित लक्षण नहीं होता, कई बार यह हार्ट फेलियर से जुड़ा रहता है। इसलिए कुछ टेस्ट उपयोगी साबित हो सकते हैं।

  • ई.सी.जी.
  • ईको-कार्डियोग्राफी
  • ब्लड टेस्ट : सीबीसी,  किडनी फंक्शन टेस्ट, थायरायड फंक्शन टेस्ट, ब्लड शुगर
  • बीएनपी (Brain Natriuretic Peptide) लेवल

प्रश्न:- किस तरह की जीवनशैली किस तरह के मरीजों को अपनानी चाहिए?

उत्तर:- शरीर में फ्लूड की अधिकता ना होने देना आवश्यक है। इसलिए दिनभर के Liquid Intake को पेशाब की मात्रा के आधार पर नियंत्रित कर कम किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त नमक का सेवन कम करें, अत्यधिक गर्मी/अत्यधिक सर्दी के मौसम में बाहर कम निकलें, नियमित एक्सरसाइज, हल्का व्यायाम जारी रखें, किंतु थकान अथवा श्रम की अधिकता से बचें। किसी भी तरह के तनाव से बचें। अधिक वसा युक्त गरिष्ठ मसालेदार भोजन से परहेज करें। समय-समय पर उपर्युक्त वर्णित टेस्ट करवाते रहें।

प्रश्न:- ईलाज की नवीनतम तकनीकें क्या हैं?

उत्तर:- मुख्यत: ईलाज हार्ट फेलियर के अंतर्निहित कारण पर निर्भर करता है। मुख्य रूप से Diuretics (पेशाब बढ़ाने वाली दवा) बी.पी. और हार्ट रेट यानि हृदयगति नियंत्रित करने वाली दवाइयां आवश्यक हैं।
विशेष परिस्थितियों में –

  1. ICD (Implantable Cardioverter Defibrillator)
  2. CRT (Cardiac Resynchronization Therapy)

जैसी डिवाइस हृदय के लिए लगाई जाती है। किंतु इस महंगी डिवाइस को लगाने का निर्णय कुछ ही केस में और अत्याधिक आवश्यकता होने पर गाइड लाइन और निर्धारित मानकों के आधार पर ही लिया जाना चाहिए।

प्रश्न:- आप इन मरीजों को क्या संदेश देना चाहेंगे?

उत्तर:- बीमारी का सही समय पर पता लगाना और गंभीरता का सही आंकलन सबसे महत्वपूर्ण है। एक बार सही जांच-पड़ताल होने पर ऐसे मरीजों को घबराने की आवश्यकता नहीं है, अपितु सही दवाएं सही समय पर लगातार लेते रहने से अपरिहार्य स्थिति से बचाव संभव है। इस क्षेत्र में मैडिकल सार्इंस नई-नई दवाएं एवं तकनीक विकसित कर रही है। इसलिए मरीज एवं रिश्तेदारों के लिए आवश्यक है कि वे आत्मबल बनाए रखें एवं नियमित जांच और चैकअप करवाते रहें। जीवनशैली में आवश्यक बदलाव को एवं नियमित सही मात्रा में दवा का सेवन करते रहें। ऐसे मरीजों को डॉक्टरी परामर्श समय-समय पर लेते रहना चाहिए एवं किसी अनुभवी हृदय चिकित्सक के अनुसार दवाओं में बदलाव करते रहना चाहिए।

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