देह धार जगत पे आए….
संत महापुरुष सृष्टि के उद्धार के लिए ही जगत में देह धारण करते हैं। जीवात्मा जन्मों-जन्मों से जन्म-मरण के चक्र में फंसी हुई है। वह अपने आप कभी भी इस से छुटकारा नहीं पा सकती। जीवात्मा को जन्म-मरण से आजाद करवाने और उसके जन्म-मरण के चक्र को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए परम पिता परमात्मा ने खुद ही विधि बनाई। वह खुद सतगुरु का रूप धार कर जगत में आया। अब जन्म से ही भेड़-बकरियों में पला, बड़ा हुआ ‘शेर का बच्चा’ कैसे अपने आप को शेर माने? वह तो यही कहेगा कि यही मेरे बहन-भाई, मेरा वंश है।
इनके साथ ही मैं रहता हूं, इनका दूध पिया है, इनके साथ ही खेलता हूं। मेरा बचपन इनमें ही रह कर बीता है। वह शेर का बच्चा तब तक ही अपने आप से अपनी हस्ती को भूला रहता है, जब तक कि खुद शेर आकर उसको उसकी असलियत से वाकिफ नहीं करवा देता, उसको अपनी हस्ती से रू-ब-रू नहीं करवा देता। इस तरह पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने कलियुगी जीवों के उद्धार के लिए मनुष्य का चोला धारण किया। आप जी ने कुल मालिक परम पिता परमात्मा का सच्चा संदेश दिया, परम पिता परमात्मा को मिलने का सच्चा रास्ता नाम-शब्द गुरुमंत्र लोगों को बताया कि धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा नारा बोलो और चढ़ जाओ राम नाम की बेड़Þी पर, पार हो जाओ भवसागर से। एक लत्त (टांग) अगर यहां हो, दूसरी हो सचखण्ड में तेरी।
पूजनीय सार्इं जी ने अपने मुर्शिदे कामिल बाबा सावण सिंह जी महाराज के वचनानुसार धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा का ऐसा नारा साध-संगत को दिया कि जो सच्चे दिल से पूरा नारा ‘धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ बोल दे तो मौत जैसा भयानक कर्म भी पलक झपकते ही टल जाएगा और ऐसा बहुत से स्थानों पर सतगुरु के प्रेमियों के साथ हुआ बताया गया है। बेपरवाही वचनों में बहुत महान शक्ति है। इसके अलावा पूजनीय सार्इं जी ने अपने मौला सार्इं सावण शाह जी से यह भी वचन मंजूर करवाए कि सच्चा सौदा का नाम लेवा पे्रमी कोई गरीब न रहे अर्थात् वह अंदर-बाहर से हमेशा माला माल रहे। किसी के आगे उसे हाथ फैलाना न पड़े।
अगर वह वचनों पर पूरा हो तथा थोड़ा-बहुत सुमिरन करता हो, सच में ही बेपरवाही वचनों की असलियत डेरा सच्चा सौदा के प्रेमियों में देखी जा सकती है। कोई वचनों में पूरा न हो तथा भजन-सुमिरन न करता हो तो बात अलग है। जहां पहले कभी टूटा-फूटा सार्इंकिल भी नहीं होता था, आज वह मर्सडीज गाड़ियों से पैर भी नीचे नहीं रखते। यह सब पूजनीय साईं जी के वचनों का ही कमाल है, जो प्रत्यक्ष देखा जा सकता है।
पूरे सतगुरु के वचन युगों-युग अटल होते हैं। पूजनीय सार्इं जी ने यह भी वचन किए कि सच्चा सौदा का नाम लेवा धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा नारा प्रेम व श्रद्धा से लगाए, उसकी एक लत्त (टांग) इत्थे तथा दूसरी सचखण्ड में होगी। इसमें कोई दो राय नहीं। वचन ज्यों के त्यों सौ फीसदी पूरे होते हैं, होते रहे हैं तथा पूरे होते रहेंगे। परन्तु जो एक लत्त यहां मात लोक में है, वह भी सही सलामत रहे, कभी आंच न आए तो इसकी सुरक्षा के लिए भी सच्चे सतगुरु जी पूज्य परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज और पूज्य मौजूदा गुरु हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने नाम सुमिरन का आसान रास्ता बताया है कि चलते, बैठके, लेट के जैसे मर्जी जपो, दरगाह में मंजूर है।
मौजूदा हजूर पिता संत डॉ.गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि यहां मात लोक में रहते हुए, इन्सान को सचखण्ड जैसे ही नजारे मिलें, मालिक की अपार रहमतों से वह हमेशा रू-ब-रू रहे तो इन्सान सेवा सुमिरन करे, वचनों पर पक्का रहे, हक-हलाल मेहनत की करके खाए और जितना हो सके जरूरतमंदों की मदद, परमार्थ, इन्सानियत की सेवा करे तो वह दो जहान की खुशियां जीते जी हासिल कर सकता है।
सच्चे दाता बेपरवाह सार्इं जी ने सच्चा सौदा के रूप में एक ऐसा पवित्र स्थान दुनिया पर स्थापित किया है, जहां जाति-धर्म आदि सभी भेद-भावों से ऊपर उठकर, सभी लोग मिल बैठकर अपने-अपने धर्म अनुसार अल्लाह, राम, वाहेगुरु, गॉड की भक्ति कर सकते हैं, कोई रोक टोक नहीं। डेरा सच्चा सौदा सर्व धर्म संगम पूरी दुनिया में अपने आप में एक मिसाल है। संत-सतगुरु जीवों के उद्धार का उद्देश्य लेकर जगत पर आते हैं। जीवों को इतनी बेइन्तहा खुशियां बखशते हैं कि उनकी कुलों का भी उद्धार हो जाता है। सार्इं बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने जगत में आकर नाम व प्रेम का ऐसा पाठ पढ़ाया जिससे सच्चा सौदा दरबार में आज भी श्रद्धालु ज्यों की त्यों खुशियों से लबरेज रहते हैं।
पवित्र अवतार दिवस मुबारिक!