संपादकीय
संत भाग जगाने आए हैं…
गुरु-संत महापुरुषों का सृष्टि पर शुभ आगमन मानवता, इन्सानियत, सृष्टि व समाज के भले के लिए होता है। ‘संत न आते जगत में तो जल मरता संसार।’ संत समस्त जीव-सृष्टि को अपना सहारा प्रदान करते हैं। वे परम पिता परमात्मा से हमेशा सबका भला मांगते हैं और जहां तक संभव हो सबका भला ही करते हैं वे अपने मन, वचन, कर्म से किसी को कड़वा वचन नहीं कहते और अगर कभी किसी को कहना भी पड़े उसके कर्माें के अनुसार तो भी उस जीव का फायदा उसमें होता है।
महापुरुषों की वाणी में आता भी है कि संतों का क्रोध भी दाती होता है और दुनिया का प्यार भी घाती(घातक) होता है। पता नहीं जीव के कितने बुरे कर्माें को वे पल में खत्म कर देते हैं। वे कभी किसी को सताते नहीं बल्कि मोह-ममता, काम, क्रोध, लोभ, अहंकार, मन, माया, ईर्ष्या, नफरत आदि बुराईयों की आग में सड़-बल रहे जीवों को अपने प्यार के ठंडे-ठार शीत हृदय से लगाकर उनके उद्धार का सबब बनते हैं। ऐसे जीवों का सहारा साबित होते हैं।
संत महान परोपकारी होते हैं। उनकी प्रवृति ऐसी बहती जलधारा है जो पापियों , बड़े-बड़े गुनाहगारों के पाप-गुनाहों को पल में धोकर उन्हें पाक-पवित्र कर देती है। संतों की अमृतवाणी तपते दिलों को ठण्डा-ठार कर देती है। जैसे जेष्ठ-आषाढ से तपी धरती पर सावन की बौछारें पड़ती हैं तो चहुं ओर एक अनोखी महक, सौंधी-सौंधी खुशबू व ठंडक का अहसास जीव पाता है। इतिहास गवाह है कि कौडे जैसे राक्षस, सज्जन जैसे ठग, गणका जैसी वेश्या, चोर-डाकू-लुटेरे भी संतों की सोहबत को पाकर उच्च कोटि के भक्त कहलाए।
संतों का हर प्राणी-मात्र के प्रति परोपकार करना ही उनका उद्देश्य रहता है और यह परोपकारी कार्य वे बिना भेद-भाव के मालिक के सभी जीवों पर करते हैं। परम पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ने सृष्टि-उद्धार के लिए ही अवतार धारण किया।
आज के इस भयानक युग में हर कोई अपने स्वार्थ के लिए दौड़ रहा है। जबकि संत-रूहानी फकीरों को किसी से जरा-भर भी स्वार्थ नहीं होता। वे नि:स्वार्थ भाव से ही सबके भले के कार्य करते हैं। बेपरवाह सच्चे मुर्शिदे-कामिल सार्इं मस्ताना जी महाराज ने डेरा सच्चा सौदा में 12 साल रहकर हजारों लोगों को सच के मार्ग से जोड़कर, और लोग भी ज्यादातर वो जो चोर, ठग, डाकू, लुटेरे, जैसा कि ऊपर बताया गया है, पल में उन्हें भक्त बनाया व दोनों जहान में उनका बेड़ा पार किया। सच्चे सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने दुनिया को नई दिशा दी।
उनकी मनोदश को संवारां। उनमें पनप रही आपसी ईर्ष्या, नफरत को खत्म किया। सभी को एक जगह बिठाया और सर्व-धर्म का लोगों को पाठ पढ़ाया। सच्चे साईं बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने राम-नाम की ऐसी ज्योति प्रज्ज्वलित की जो आज पूरी दुनिया के दिलों में बिना किसी भेदभाव के जगमगा रही है। पूज्य सार्इं जी की तीसरी बॉडी पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की प्रेरणा व मार्गदर्शन में डेरा सच्चा सौदा आज भी अपनी उसी पवित्र मर्यादा को बनाए हुए है। संतों का सृष्टि पर आना मानवता, सृष्टि व समाज के लिए शुभ संकेत है।
‘ओ संत भाग जगाने आए हैं
जगाने आए हैं,
जी सबको रास्ता बताने आए हैं
रास्ता बताने आए हैं।’
पूज्य बेपरवाह मस्ताना जी महाराज के पावन अवतार दिवस पर सारी सृष्टि को बहुत-बहुत मुबारकबाद हो जी। -सम्पादक