जब सहेली बन जाए पड़ोसिन
प्राय: देखने में आता है कि पूर्व परिचित महिलाएं आपस में जब पड़ोसिन बन जाती हैं तो प्रारंभ में उनमें काफी मित्रता होती है लेकिन धीरे-धीरे उनमें आपस में मनमुटाव की स्थिति बन जाती है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि विवाहपूर्व घनिष्ठ सहेलियां एक-दूसरे का मुंह तक देखना पसंद नहीं करतीं। पड़ोस में रहकर भी आपस में अजनबियों जैसा सुलूक करती हैं।
ऐसी कटु परिस्थितियों से बचने हेतु दोनों पक्षों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिये-
- बिना बताये हरदम उसके घर जाकर टाइम पास करने की गलती न करें।
- अपनी सहेली के घर जाकर उसके पति, बच्चों व ससुरालवालों पर कटाक्ष या दो टूक बातें करने से बचें।
- उसे हर वक्त नसीहत देने या हर वक्त उसे सलाह देने की लत न पालें।
- उसके पति या ससुरालवालों से उसकी विवाहपूर्व असफलताओं का जिक्र करने से यथासंभव बचें।
- बिना उसकी पूर्व अनुमति के उसके घर अपने बच्चों को छोड़कर मायके या सैरसपाटे में जाने का प्रोग्राम न बनायें।
- उसके घर जाते ही सीधे किचन में घुसकर वहां रखी खाद्य वस्तुओं को चखने की गलती न करें।
- सहेली के पति या उसके दोस्तों से औपचारिक व्यवहार ही रखें। उनसे अपना काम कराने की फिराक में न रहें।
- अपनी सहेली के पति को अपनी पारिवारिक या निजी कठिनाइयों का उल्लेख करने की गलती न करें।
- सहेली और उसके पति को यदाकदा अपने घर में निमंत्रित करें। अपने परिवार वालों से भी मिलायें।
- उसके दु:ख के वक्त बिना बुलाये उसकी मदद करें।
- उसकी व उसके पारिवारिक जीवन की गोपनीय बातें दूसरी पड़ोसिनों को न बतायें।
- अपने द्वारा किये उपकारों की चर्चा करके सहेली को दूसरों की नजरों में न गिरायें।
- किसी दूसरी पड़ोसिन की बातों में आकर सहेली से रिश्ता तोड़ने की बजाय सत्य की जांच कर लें।
- सहेली की गरीबी या अमीरी को अपनी मित्रता के बीच न लायें।
-पूर्णिमा मित्रा