care for your ears -sachi shiksha hindi

जब बजने लगें कान Ears Care

यूं तो कान बजना एक मुहावरा है। शोर होने या बच्चों के द्वारा ज्यादा शोर करने पर सामने वाला पीड़ित व्यक्ति यह बोलता है किन्तु हम यहां कान बजना मुहावरे के बारे में बात न कर एक बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं।

कान में अपने आप शोर होना, सीटी बजने जैसी आवाजें आना एक बीमारी है जो सोते जागते हर वक्त व्यक्ति को अपने कानों पर सुनाई पड़ती हैं। यह कान के नर्वस सिस्टम की खामी के कारण होता है किन्तु इसकी उपेक्षा करने में परेशानी बढ़ सकती है। व्यक्ति अन्तत: बहरा भी हो सकता है।

कान बजने की बीमारी में व्यक्ति के कान में लगातार शोर, आवाज होती रहती है जबकि कान पकने की बीमारी में कान में संक्र मण, फफूंद के कारण कान अर्थात श्रवण यंत्र की पतली-पतली हड्डियां गलने लगती हैं। कान की इन बीमारियों का सभी अन्य बीमारियों की भांति उपचार संभव है। इसकी अनदेखी करने या उपचार नहीं कराने पर श्रवण क्षमता प्रभावित हो जाती है और व्यक्ति अन्तत: बहरा भी हो सकता है।

कान बजने का कारण:-

  • कान बजने को मेडिकल शब्दों में ‘टिनीटिस’ कहा जाता है। यह कान में नर्वस प्राब्लम के कारण प्रकट होता है। बाहरी तौर पर इसका कोई लक्षण नहीं दिखता। किसी-किसी को यह बी पी के बढ़ने, शुगर, बुखार या सर्दी जुकाम के कारण भी होता है।
  • बी पी, शुगर नार्मल हो, व्यक्ति स्वस्थ हो, तब यह कान का बजना नर्वस प्राब्लम के कारण ही होता है। यह कान के बाहरी भाग में चोट लगने के कारण नहीं होता किन्तु कान के समीप लाउडस्पीकर की लगातार तेज आवाज के कारण कान में ऐसी समस्या हो सकती है जिसे ध्वनि-ट्यूमर कहा जाता है।

लक्षण:-

  • इस बीमारी की स्थिति में अकेले व शान्तिपूर्ण जगह में भी बैठे रहने पर कान से आवाज आती रहती है। बिस्तर में सोते समय भी कान से शोर या आवाजें आती रहती हैं। आगे चलकर धीरे-धीरे इसके कारण अन्य महीन आवाजें कानों तक आनी बंद हो जाती हैं। कान का शोर भी सब पर हावी हो जाता है और व्यक्ति बहरा होता जाता है।

उपचार:-

  • कान भी अन्य इन्द्रियों की ही तरह अत्यन्त संवेदनशील एवं मनुष्य के लिए जीवनोपयोगी हैं। सभी इन्द्रियों के समान ही इसकी उपादेयता को देखते इसकी भी यथोचित देखभाल व बचाव के उपाय करने चाहिए।
  • सिर से जुड़े तीन मुख्य अंग कान, नाक व गले का आपस में भीतरी तौर पर भी संबंध है। तीनों के रोग एवं उपचार के लिए एक ही चिकित्सक होता है। कान, नाक एवं गले का डॉक्टर इस कान बजने की शिकायत को अपने ढंग से मशीनी एवं प्रत्यक्ष जांच करता है। वह कान के श्रवण यंत्र की स्थिति व श्रवण क्षमता की जांच करता है। कुछ अन्य जांच उपाय भी करता है।
  • बी. पी., शुगर, बुखार, सर्दी जुकाम या अन्य बीमारियों की स्थिति मौजूद न होने पर ही कान बजने (टिनीटिस) की दवा देता है। ईएनटी स्पेशलिस्ट चेकअप कर निष्कर्ष के अनुरूप जो दवा देता है उससे इस रोग से कुछ दिनों में ही राहत मिल जाती है। एक डेढ़ माह की दवा के बाद यह लगभग ठीक हो जाता है।

सावधानी:-

ब्लडप्रेशर के मरीज बी. पी. को काबू में रखें। शुगर को नियंत्रित रखें। बुखार व सर्दी जुकाम को लंबा होने न दें। कान की सफाई पर ध्यान दें। कान में कोई भी अवांछित चीज या द्रव्य न डालें। डी. जे., लाउडस्पीकर, टी. वी. म्यूजिक सिस्टम, पटाखों आदि के तेज शोर से बचें। समय-समय पर कान की जांच कराएं।

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