श्रद्धा का अनूठा महातप \ डेरा सच्चा सौदा का 74वां रूहानी स्थापना दिवस
डेरा सच्चा सौदा का 74 वां रूहानी स्थापना दिवस गत 29 अप्रैल को शाह सतनाम जी धाम सरसा में बड़े हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाया गया। बेइंतहा गर्मी के बावजूद इस पावन भंडारे में श्रद्धा का गजब जुनून देखने को मिला।
संगत के प्रेम से जहां पंडाल खचाखच भरा हुआ था, वहीं डेरा प्रेमियों के चेहरे भंडारे की खुशियों से चमक रहे थे। गुरु भक्ति की यह तस्वीर अद्भुत, अद्वितीय और अकल्पनीय थी। संगत का उत्साह इस कदर उमड़ा कि प्रबंधकीय समिति के किए सारे इंतजामात छोटे पड़ते नजर आए।
पावन भंडारे की शुभ वेला पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा अपनी प्यारी संगत के नाम 10 वां रूहानी पत्र भेजा गया, जिसे पढ़कर सुनाया गया। पत्र में पूज्य गुरु जी ने 139वें मानवता भलाई के रूप में ‘अनाथ मातृ-पितृ सेवा’ मुहिम शुरू की, जिसके तहत डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत अनाथ बेसहारा बुजुर्गों की संभाल करेगी। इसके साथ ही चिट्ठी में पूज्य गुरु जी ने किसी के भी बहकावे में न आने और निंदा करने वालों का संग न करने के वचन फरमाए। पावन भंडारे का कार्यक्रम सुबह 10 बजे ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ के पवित्र नारे के साथ हुआ। इसके पश्चात कविराज भाइयों ने विभिन्न भक्तिमय भजनों के माध्यम से गुरु महिमा का गुणगान किया।
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इस अवसर पर बड़ी-बड़ी स्क्रीनों के माध्यम से पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन अनमोल वचन चलाए गए।
गौरतलब है कि पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने 29 अपै्रल 1948 को डेरा सच्चा सौदा की स्थापना की थी। दूसरी पातशाही पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने देश के विभिन्न हिस्सों में हजारों सत्संग कर लाखों लोगों को गुरु मंत्र देकर इंसानियत के मार्ग पर चलना सिखाया। तीसरी पातशाही के रूप में पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए
डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु 139 मानवता भलाई कार्यों को करने में जुटे हुए हैं, जिनमेंं गरीब बच्चों को पौष्टिक आहार देना, महिलाओं को रोजगार में आत्मनिर्भर बनाने के लिए नि:शुल्क सिलाई मशीनें देना, रक्तदान, शरीरदान, गुर्दा दान, पौधारोपण, गरीबों को मकान बनाकर देना, गरीब लड़कियों की शादी करवाना, राशन वितरण, नेत्रदान, लोगों का नशा छुड़वाना सहित अनेक कार्य शामिल है। गौरतलब है कि 29 अप्रैल 2007 को पूज्य गुरु जी ने रूहानी जाम की शुरूआत की।
शाह सतनाम जी धाम में पावन भंडारे के दौरान आदरणीय शाही परिवार से आदरणीय डॉ. शान-ए-मीत जी इन्सां व आदरणीय बहन हनीप्रीत जी इन्सां ने भी शिरकत की। डेरा सच्चा सौदा में उमड़ी साध-संगत का विहंगम दृश्य।
बेइंतहा गर्मी के बावजूद भंडारे में उमड़ी अपार साध-संगत
देश-विदेश में कार्यक्रम का हुआ लाइव प्रसारण
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‘हमें देह रूप में दर्शन दें…’
अरदास:- हे परम पिता जी! हे एमएसजी! इस बार हमारे सतगुरु पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां जल्दी आएं, जल्दी आएं और हमें देह रूप में दर्शन दें, जरूर दें। संगत ने बीमार मरीजों की तन्दुरुस्ती के लिए भी अरदास की।
मानवता भलाई: दिखा 29 का जलवा
साध-संगत की ओर से आत्म सम्मान मुहिम के तहत 29 महिलाओं को सिलाई मशीनें, फूड बैंक मुहिम के तहत 29 जरूरतमंद परिवारों को राशन, जननी सत्कार मुहिम के तहत 29 गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार की किटें, क्लॉथ बैंक से 29 जरूरतमंदों को वस्त्र, पक्षी उद्धार मुहिम के तहत छतों पर दाना-पानी की व्यवस्था के लिए 529 कसोरे, 12 दिव्यांगजनों को ट्राईसाइकिलें और 18 जरूरतमंद परिवारों को मकानों की चाबियां दी गर्इं।
इसके साथ ही इस अवसर पर नई सुबह मुहिम के तहत दो भक्तयोद्धा विवाह बंधन में बंधे। वहीं 29 आदिवासी युगलों की शादियां भी डेरा सच्चा सौदा की पावन मर्यादानुसार हुर्इं।
पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने संगत के नाम भेजा शाही पैगाम
‘परमपिता जी ने हमें आपका गुरु बनाया था, गुरु हैं व हम ही गुरु रहेंगे’
पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने पूज्य माता जी, साध-संगत व ट्रस्ट प्रबंधकों के नाम लिखे अपने 10 वें रूहानी पत्र में सबको 74वें रूहानी स्थापना दिवस के भण्डारे की बधाइयां देते हुए अपना पावन आशीर्वाद दिया। आपजी ने फरमाया कि पूज्य सार्इं शाह मस्ताना जी ने सच्चे सौदे का जो बीज बोया था, परमपिता शाह सतनाम जी ने उसे सींचा व खाक मीत को एमएसजी बना, उस बीज से पौधा व आज वट वृक्ष बनवा दिया है।
ऐसे सतगुरु दाता को अरबो नमन व प्रार्थना है कि वो खुद एमएसजी के रूप में, ‘मीत’ में रहकर इस वृक्ष को सदा हरा भरा रखें। पूज्य पिता जी ने फरमाया कि परम पिता जी ने हमें आपका गुरू बनाया था, गुरु हैं व हम ही गुरु रहेंगे। किसी के भी बहकावे में आप मत आया करो। वचन सिर्फ और सिर्फ गुरु के ही होते हैं बाकि सबकी तो सिर्फ बातें होती हैं। गुरु वचन गुरु का सतगुरु जी हुक्म देकर करवाते हंै, न कि गुरु किसी भी बन्दे के कहने पे करते हैं।
अलग-2 राज्यों में भण्डारा (नामचर्चा) मनाया है, सतगुरु जी आप सबको बहुत-2 खुशियां बख्शे। जो सेवादार लगातार अलग-अलग आश्रमों (सच्चा सौदा) में जाकर सेवा करते हैं हर बार उनकी अलग-2 जायज मांग सतगुरु जी जरूर पूरी करेंगे। सतगुरु जी से यह भी प्रार्थना करते हैं कि आप सबकी, सबसे बड़ी मांग भी जल्द से जल्द पूरी करें जी। पूज्य गुरू जी ने सचेत करते हुए आगे फरमाया कि आप सबको एक बात बहुत बार समझाई है कि अपने गुरु के ही वचन सुनो व मानो ताकि आप जीते-जीअ गम, दु:ख, चिन्ता व रोगों से मोक्ष प्राप्त करें व मरणोंपरांत आवागमन से भी मोक्ष मिले।
अच्छे लोगों का संग व नि:स्वार्थ भावना से प्यार प्रेम करें। जो किसी की भी निंदा करता है, ना तो उसकी बात सुनो और ना ही उसकी बातों में हाँ में हाँ मिलाओ। ‘हमारे करोड़ों बच्चो सुनो प्यारे-2, दिल के टुकड़े अखियों के तारे। गुरू की सुनोगे तो ‘गन्द’ की नहीं तुम, ‘शहद’ वाली बनोगे मक्खियाँ सारे।’ इस पावन भण्डारे के दिन हम अपने ‘वचनों से आप सबके सिर पर अपना (आशीर्वाद के रूप में) हाथ रख रहे हैं।
139वां मानवता भलाई कार्य अब बेसहारा बुजुर्गों का सहारा बनेगी साध-संगत
मानवता भलाई कार्यों में डेरा सच्चा सौदा का कोई सानी नहीं है। डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत बेसहारा व अनाथ बुजुर्गों की संभाल का जिम्मा भी उठाएगी। 29 अप्रैल को पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने रूहानी पत्र में साध-संगत से नए सेवा कार्य के रूप में ‘अनाथ मातृ-पितृ सेवा’ मुहिम चलाने का आह्वान किया, जिसे साध-संगत ने खुशी-खुशी हाथ ऊपर उठाकर स्वीकार कर लिया।
डेरा प्रवक्ता ने बताया कि इस मुहिम के तहत जिन बुजुर्गों को घर से बेदखल कर दिया गया है, या घर में उनकी सार-संभाल करने वाला कोई नहीं है, ऐसे बुजुर्गों का अब डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत सहारा बनेगी। इसके लिए बकायदा ब्लॉक वाइज सर्वे किया जाएगा।
60 क्विंटल बंूदी का प्रसाद / 600 मन आटे से तैयार हुआ लंगर
भंडारे के इस कार्यक्रम दौरान बड़ी संख्या में पहुंची संगत के लिए लंंगर भोजन की विशेष व्यवस्था की गई थी।
लांगरी काला सिंह व निर्मल सिंह ने बताया कि संगत के लिए भोजन-लंगर बनाने के लिए एक दिन पूर्व ही तैयारियां शुरू हो गई थी। उन्होंने बताया कि प्रसाद के तौर पर 60 क्विंटल बूंदी तैयार की गई थी।
वहीं 50 क्विंटल सूखी दालों से मिश्रित दाला बनाया गया और 600 मन आटे से लंगर तैयार किया गया। करीब 5000 सेवादारों ने कार्यक्रम की समाप्ति के बाद कुछ ही समय में संगत को लंगर-भोजन खिला दिया।
15 मिनट में हर व्यक्ति तक पहुंच रहा था ठंडा पानी
गर्मी के मौसम के मद्देनजर डेरा प्रबंधन की ओर से भी संगत की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। सेवादारों की पूरी टीम इतनी फुर्ती से कार्य कर रही थी कि पंडाल में बैठे हर व्यक्ति तक 15 मिनट के अंतराल में ठंडा जल पहुंच रहा था। वहीं मुख्य गेट के अलावा विभिन्न राज्यों के ट्रैफिक पंडालों में भी पेयजल की व्यवस्था की गई थी। पानी समिति के इंचार्ज रिंकू इन्सां ने बताया कि संगत के लिए जगह-जगह पर छबीलें लगाई हुई थी। सेवादार पूरे प्रेम और सत्कार भाव से साध-संगत को पेयजल उपलब्ध करवा रहे थे।
चिकित्सा सुविधा:3 एंबुलेंस रही तैनात, बांटे मास्क
साध-संगत के स्वास्थ्य के मद्देनजर मेडिकल टीमें नियुक्त की गई थी, जिनमें शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सक और पेरामेडिकल स्टाफ के साथ-साथ ब्लॉकों से आए चिकित्सकों व स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े सेवादारों ने अपनी सेवाएं दी। डॉ. बाल कृष्ण इन्सां ने बताया कि भारी इकट्ठ को देखते हुए 3 एंबुलेंस दो दिन लगातार तैनात रही, वहीं पुरुष व महिला पंडालों में 25-25 मैडिकल स्टॉल लगाए गए थे। मास्क वितरण भी किए गए ताकि कोरोना संक्रमण फैलने का अंदेशा ना रहे।
ट्रैफिक व्यवस्था
भंडारे पर सेवादारों ने ही ट्रैफिक व्यवस्था भी बखूबी संभाली। युवा सेवादारों ने वाहनों को इस कदर व्यवस्थित किया कि ट्रैफिक पंडालों में संगत को कोई परेशानी नहीं उठानी पड़ी। हालांकि साध-संगत के जोश के आगे ट्रैफिक ग्राउंड भी छोटे पड़ते नजर आए।
गुरु का एक शब्द ही मालिक से मिला सकता है : पूज्य गुरु जी
पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने फरमाया कि ये भंडारा सार्इं मस्ताना जी के रहमोकरम का एक नजारा है। ये भंडारा करोड़ों लोगों का कर चुका पार उतारा है और ये भंडारा हमें अजीज जान से भी प्यारा है। यह वो दिन है जिस दिन सच्चा सौदा सबके सामने आया। 29 अप्रैल 1948 का वो दिन सार्इं, दाता, रहबर, मालिक शाह मस्ताना जी ने सरसा में अपना धाम बनाया और सबको ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड से मिलने का बड़ा आसान सा ढंग बताया। कई बार लोगों को लगता है रूहानियत, सूफियत में ज्यादा पढ़ने से मालिक ज्यादा खुशियां बख्शते हैं, ज्यादा पढ़ने से ज्ञान ज्यादा आता है।
इसमें कोई शक नहीं कि ज्यादा पढ़ने से ज्ञान ज्यादा आता है। पर ज्यादा पढ़ने से मालिक का प्यार मिलता हो ये गलत है। एक अक्षर, एक शब्द मुर्शिद-ए-कामिल अगर बता दे और मुरीद उस पर अमल कर ले तो वो एक शब्द मालिक से पल में मिला सकता है। ‘बिन अमलों के आलमा इल्म निकम्मे सारे, कोई अमल कमा ले तू गर जश लैणा ए सतगुरु द्वारे, गर यश लेणा ए मालिक द्वारे’। पवित्र गुरुबाणी में इस बारे में लिखा है। पढ़ते रहो दिन-रात, अगर अमल नहीं करते तो उस पढ़ने का क्या फायदा। दूध में घी है और बैठे-बैठे कहते रहो कि घी बाहर आ जा, घी निकल आ।
अजी एक दिन क्या, दो-तीन दिन लगे रहो दूध फट जाएगा, न दूध काम का ना घी निकला। क्योंकि आपने पढ़ा है, आपको पता होता है कि दूध में घी होता है, पर अमल करना आपको आता ही नहीं और जिनको अमल करना आता है वो दूध को नहीं कहेंगे घी निकल आ। बल्कि वो दूध को जाग लगाएंगे, शाम को जमा देंगे और सुबह उसको बिलोएंगे, उसमें मक्खन आएगा, उसको गर्म करेंगे, छाछ अलग और घी अलग हो जाएगा, ये है अमल।
लोक परंपराओं की दिखी झलक, झूमी संगत
डेरा सच्चा सौदा रूहानी स्थापना दिवस को लेकर साध-संगत का उत्साह चरम पर था। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित अन्य राज्यों की साध-संगत अपनी अपनी पारंपरिक वेशभूषा पहनकर नाचती-गाती हुई पावन भंडारे में पहुंची। इससे पूर्व 28 और 29 अप्रैल की मध्य रात्रि में ब्लॉक सरसा, शाह सतनाम जी पुरा, कल्याण नगर, ट्रयू सोल कॉम्पलेक्स की साध-संगत ने पंजाब की लोक परंपरा के अनुसार जागो निकाली और पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ के पवित्र नारे के साथ आसमां गुंजायमान करते हुए बधाई दी।
साथ ही साध-संगत पूज्य गुरु जी द्वारा गाए गए भजनों ‘यू आर द लव चार्जर’, ‘तेरा इश्क नचाऊंदा’, ‘केसरिया’, ‘नेवर-एवर’ ‘दारू को गोली मारो’, ‘राम-राम ओ मेरे राम’ आदि भजनों पर नाचते-झूमते हुए साध-संगत शाह सतनाम जी धाम पहुंची और सजदा किया।