सब भ्रम मुका दित्ते परम पूजनीय परमपिता जी के परोपकारों की गणना नहीं हो सकती -सम्पादकीय
जब तक जीवात्मा इस मातलोक (मृत्युलोक), इस संसार में रहे और जब यहां से विदाई ले, न वह यहां दु:ख-परेशानियों में तड़पे और मृत्यु के समय तथा मृत्यु के उपरान्त किसी तरह का डर-भय उसको न सताए, बल्कि परम पिता परमात्मा के सच्चे संत, पीर-फकीर धुर दरगाह से जीवों (जीवात्मा) के मोक्ष-मुक्ति के लिए ही संसार में आकर यह परोपकारी कर्म करते हैं।
बेशक दुनिया में अनेक परोपकारी इन्सान मिल जाएंगे जो दूसरों, गरीब जरूरतमंदों की तन-मन-धन से सहायता करते हैं। बीमारों का इलाज, भूखे-प्यासों के लिए अन्न-पानी, वस्त्र का प्रबंध करना और लोग ऐसा कर भी रहे होंगे, परन्तु ऐसा परोपकारी शख्स मिलना असम्भव है जो दूसरोें का दु:ख आप ले ले और उन्हें सदैवी सुख प्रदान करे। ऐसे परोपकारी महान संत ही हो सकते हैं। परम पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज जीव सृष्टि के उद्धार के लिए आज के युग में परोपकारों की मिसाल बन कर आए।
पूजनीय परम पिता जी के इन्हीं परोपकारों के कारण, जो उन्होंने उन जीवों पर अपना रहमो-करम किया, आपसी दुश्मनी के कारण जिनके चूल्हे नहीं जलते थे, जमीन, घर-बार उजड़ गए थे, सच्चे दाता ने उन्हें ऐसा प्रेम-प्यार का सबक पढ़ाया, ऐसी उन पर रहमत बरसाई कि वह आज सतगुरु की रहमतों के गुण गाते नहीं थकते।
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वह लोग मालिक के ऐसे चोटी के भक्त बन गए जो आज स्वर्ग, जन्नत से बढ़कर अपना जीवन हर्षाेल्लास से जी रहे हैं। पूजनीय परम पिता जी ने लोगों के दैविक, शारीरिक, मानसिक, आत्मिक आदि हर तरह के कष्टों को हर लिया, उनके हर तरह के दु:खों का निवारण करके उन्हें सुखमय जीवन जीने का सरल व सीधा रास्ता दिखाया।
केवल रास्ता दिखाया ही नहीं, बल्कि उस सुखमय रास्ते पर सफलता पूर्वक चलने के लिए उनका खुद मार्ग-दर्शन भी किया और पूजनीय परम पिता जी का साध-संगत के प्रति सब से बड़ा परोपकार कि सच्चे दाता जी ने अपने स्वरूप को हमेशा साध-संगत के सामने रखा है। पूजनीय परम पिता जी पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के प्रत्यक्ष नौजवान स्वरूप में आज भी साध-संगत को अपना पवित्र रूहानी आसरा प्रदान कर रहे हैं और दुनिया-भर में करोड़ों लोग सतगुरु प्यारे की इस अनमोल बख्शिश से माला माल हो रहे हैं।
पूजनीय परम पिता जी ने पूजनीय गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को डेरा सच्चा सौदा की गुरुगद्दी पर 23 सितम्बर 1990 को बतौर तीसरे पातशाह विराजमान करके लगभग 15 महीने खुद भी अपने देह-स्वरूप में साथ दिया। पूजनीय परम पिता जी का साध-संगत के प्रति यह महान करम साध-संगत कभी भी नहीं भुला सकती। पूजनीय हजूर पिता जी अपने एक भजन में अपने सतगुरु-मौला परम पिता जी के महान उपकारों को एक भजन (शब्द) में फरमाते हैं:-
फिक्र-चिंता मिटा दित्ते कि साडे भम्र मुका दित्ते, बेअंत उपकार ने कीत्ते।
सच्चे रहबर दाता पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के उपकारों की गणना हो ही नहीं सकती। धन्य धन्य सच्चे दाता रहबर को शत-शत प्रणाम।।
-सम्पादक