ये सब तो सरसा वाले बाबा जी का कमाल है! -सत्संगियों के अनुभव
पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की दया-मेहर
प्रेमी राकेश कुमार धवन इन्सां पुत्र सचखण्डवासी श्री प्रशोतम लाल धवन इन्सां कल्याण नगर सरसा से सतगुरु जी की अपार रहमत का वर्णन करता है:-
मैं शाह सतनाम जी बॉयज स्कूल सरसा में बतौर प्रिंसिपल कार्यरत हूं। सन् 1977 की बात है उस समय हमारा परिवार अम्बाला में रहता था। मैं पांचवीं कक्षा में पढ़ता था और बहुत ही बुरी तरह से तुतलाकर बोलता था। यह बीमारी मेरे मामा जी के लड़के को भी थी। हम दोनों हम-उम्र थे। मेरे माता-पिता ने मेरा देसी व अंग्रेजी दवाईयों से बहुत ईलाज करवाया लेकिन मैं बिल्कुल भी ठीक नहीं हुआ। डॉक्टरों ने भी पूरी तरह से जवाब दे दिया और कहा कि ये ठीक नहीं हो सकता। मैं उस समय अम्बाला के नैशनल मॉडल स्कूल में पढ़ता था और वहां के सभी बच्चे मेरा बहुत मजाक उड़ाते थे। मैं अपनी जिन्दगी से पूरी तरह निराश हो गया था।
Also Read :-
- चौधरी बस पर नहीं जाना, भैंस के साथ जाना है -सत्संगियों के अनुभव
- मृत्यु जैसा भयानक कर्म काट दिया – सत्संगियों के अनुभव
- बेटा! दिन-रात सुमिरन व दीन-दुखियों की मदद करना -सत्संगियों के अनुभव
मैं हर समय रोता रहता था और भगवान से यही कहता कि यदि तू कहीं है तो मेरी सहायता कर। इसी दौरान मेरे पापा जी की मुलाकात बाबू श्री इन्द्रसैन जी (ओड निभा गए सत ब्रह्मचारी सेवादार) से हुई, वो उस समय डेरा सच्चा सौदा के परम भक्त थे। वो अक्सर सरसा आते-जाते रहते थे और नए जीवों को भी नाम के लिए प्रेरित करते रहते थे। एक दिन मैंने उनसे कहा कि अगर मैं गुरु जी का गुरुमंत्र ले लूं तो क्या मेरी भयानक बीमारी ठीक हो सकती है? तो उन्होंने कहा कि यह तो तुम्हारे दृढ़ विश्वास पर निर्भर करता है। सच्चे सौदे में तो लोगों की भयानक से भयानक बीमारियां भी ठीक हुई हैं। उससे अगले सप्ताह सरसा में गुरु जी(पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज) का सत्संग था।
मैं अकेला अंकल (बाबू इन्द्रसैन जी) के साथ जाकर परम पिता जी से गुरुमंत्र लेकर वापिस अम्बाला आ गया और मैंने दिल से गुरुमंत्र का जाप करना शुरू कर दिया। ठीक 15 दिनों के बाद मेरे साथ चमत्कार हुआ। उस दिन मेरे माता जी मुझे स्कूल का होमवर्क करवा रहे थे और एकदम से हैरान होकर मुझे कहने लगे-जरा ये प्रश्न दोबारा से सुना। मैंने दोबारा सुनाया तो मेरी माता जी की आंखों में खुशी के आंसू थे। क्योंकि जो शब्द पहले मैं तुतला कर बोलता था, वो सारे शब्द मैं अब बिल्कुल सही बोल रहा था। हमारे सारे परिवार की खुशी का ठिकाना न रहा।
अगले दिन जब मैं स्कूल में गया तो मेरे सभी दोस्त मुझे देखकर बहुत हैरान थे। उन्होंने मुझसे पूछा कि ये चमत्कार कैसे हुआ? तो मैंने उन्हें बताया कि ये सब तो सरसा वाले बाबा जी (परम पिता जी) का कमाल है। ये सब उनकी कृपा से ही संभव हो पाया है। संबंधियों ने डेरा सच्चा सौदा सरसा पहुंचकर पूजनीय परम पिता गुरु जी के दर्शन किए व नाम लेकर अपना जीवन सफला किया।
सतगुरु के उपकारों का कभी भी लिख-बोल कर वर्णन नहीं किया जा सकता।
जैसे कि लिखा है:-
‘गुण गुरु के ना जाएं गाए जी।’
मेरी पूजनीय परम पिता जी के स्वरूप हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पवित्र चरणों में यही अरदास है कि सेवा-सुमिरन का बल बख्शो जी और इसी तरह दया-मेहर बनाए रखना जी।