बग्स ढूंढने में माहिर अमन पांडे
इंदौर के युवा अमन पांडे को गूगल ने दुनिया का टॉप रिसर्चर बताया है। अमन ने गूगल की 280 गलतियां खोजकर बग रिपोर्ट भेजी थी। अमन इंदौर में बग्स मिरर नाम की कंपनी चलाते हैं।
गूगल ने पिछले साल अपनी विभिन्न सेवाओं पर बग रिपोर्ट करने वालों को 87 लाख डॉलर (65 करोड़) का इनाम दिया था। गूगल ने अपनी रिपोर्ट में इंदौर के अमन का खास जिक्र किया है।
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गूगल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बग्स मिरर टीम के अमन पांडेय पिछले साल हमारे टॉप रिसर्चर रहे।
2019 से कर रहे हैं बग रिपोर्ट
गूगल ने कहा कि उन्होंने पिछले साल 232 बग रिपोर्ट किए। उन्होंने 2019 में पहली बार अपनी रिपोर्ट दी थी और तब से अब तक वह एंड्रॉइड वल्नरेबिलिटी रिवॉर्ड प्रोग्राम (वीआरपी) के लिए 280 से अधिक वल्नरेबिलिटी के बारे में रिपोर्ट कर चुके हैं। यह हमारे कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है।
अमन ने भोपाल एनआईटी से बीटेक किया है। उन्होंने 2021 में अपनी कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया था। अमन की कंपनी बग्स मिरर गूगल, एप्पल और अन्य कंपनियों को उनके सिक्योरिटी सिस्टम को अधिक मजबूत बनाने में मदद करती है।
करोड़ों डॉलर का इनाम दे चुका है गूगल
पिछले साल इस प्रोग्राम के तहत 220 सिक्योरिटी रिपोर्ट के लिए 2,96,000 डॉलर का भुगतान किया गया। इस बार क्रोम वीआरपी के तहत 115 शोधकतार्ओं को 333 क्रोम सिक्योरिटी बग के बारे में रिपोर्ट करने के लिए कुल 33 लाख डॉलर दिए। इन 33 लाख डॉलर में से 31 लाख डॉलर क्रोम ब्रॉउजर सिक्योरिटी बग और 2,50,500 डॉलर क्रोम ओएस बग की रिपोर्ट करने के लिए दिया गया।
गूगल प्ले ने 60 से अधिक शोधकतार्ओं को 5,55,000 डॉलर से अधिक का रिवार्ड दिया। एंड्रॉइड वीआरपी ने वर्ष 2021 में वर्ष 2020 की तुलना में दोगुना भुगतान किया है और उसने एंड्रॉइड में एक एक्सप्लाइट चेन का पता लगाने के लिए अब तक की सबसे बड़ी राशि 1,57,000 डॉलर का भुगतान किया है।
बतौर स्टार्टअप शुरू की थी कंपनी
कंपनी के मैनेजर उदयशंकर ने बताया कि हमारी कंपनी की शुरूआत जनवरी 2021 में हुई है। गूगल के बग्स ढूंढ़ने में दुनियाभर के 60 से ज्यादा रिसर्चर शामिल हुए थे। लेकिन बग्समिरर कंपनी ने सर्वाधिक बग्स ढूंढ़कर गूगल को रिपोर्ट किया है। इसके चलते गूगल ने 65 करोड़ रुपए में से सर्वाधिक राशि बग्समिरर के अमन पांडे को दी है।
उदय ने बताया कि अभी मैनेजमेंट टीम में चार लोग हैं। बाकी 6 इंटर्न हैं। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने इसकी शुरूआत स्टार्टअप के तौर पर की है। अमन इंदौर में काम के सिलसिले में ही रहते हैं। बग्स मिरर की सफलता पर टीम काफी उत्साहित है।
भोपाल से किया था बीटैक
दिलचस्प बात यह है कि, गूगल की गलतियां अमन ने अपनी पढ़ाई पूरी करने से पहले से निकालना शुरू कर दिया था। अमन ने भोपाल से बी. टेक किया। उसके बाद पिछले साल जनवरी में कंपनी शुरू की थी। जिसका नाम- ‘बग्स मिरर’ है। गूगल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अमन ने पिछले साल 232 बग रिपोर्ट किए। पहली बार उन्होंने वर्ष 2019 में अपनी रिपोर्ट दी थी और तब से अब तक वह एंड्रॉइड वल्नरेबिलिटी रिवॉर्ड प्रोग्राम (वीआरपी) के लिए 280 से ज्यादा वल्नरेबिलिटी के बारे में रिपोर्ट कर चुके हैं।
कई विदेशी कंपनियों की मदद की
गूगल का कहना है कि, अमन का काम हमारे कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। अमन की कंपनी बग्स मिरर गूगल, एप्पल और अन्य कंपनियों को उनके सिक्योरिटी सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करती है। अमन के मुताबिक, उन्होंने अपनी कंपनी बग्स मिरर की शुरूआत जनवरी 2021 में की। उन्होंने बताया कि, उनकी मैनेजमेंट टीम में 15 कर्मचारी हैं और कोई भी बिना पेमेंट काम नहीं कर रहा। उन्होंने कहा, हम लोगों ने इसकी शुरूआत स्टार्टअप के तौर पर की। इसकी सफलता पर अब हम बहुत उत्साहित हैं। -साभार