बगिया के पंछी सुंदर चिड़िया हमारा मन मोह ही लेती है, पक्षियों से हमारा नाता टूट रहा है, लेकिन आज के भौतिक युग में हम देख रहे हैं कि ऋतुएं बदल रही हैं, प्राकृतिक असंतुलन पनप रहा है, जहाँ पानी था वहाँ सूखा है, जहाँ सूखा बना रहता था, वहाँ बाढ़ आ रही है।
शहरों में जहाँ चारों ओर हरियाली रहती थी, वहाँ सीमेंट के जंगल नजर आते हैं। पक्षियों का कलरव अब सुनने के लिए हमारे कान तरस जाते हंै।पर जहाँ कहीं हरियाली नजर आती है, पेड़ नजर आते हैं, वहां आज भी पक्षी अपना बसेरा कर लेते हैं।
पर इस व्यस्ततम जीवन में हम प्रकृति से दूर हो रहे हैं, साथ ही सुन्दर पक्षियों से भी हमारा नाता टूट रहा है। अपने आस-पास के प्राकृतिक सौन्दर्य को नजर उठाकर देखने की हमें फुरसत नहीं है। अपना काम, अपना परिवार, अपना संसार हमें प्रिय लगता है।
हम चहचहाने वाले पक्षियों को भूल रहे हैं, जो इस सुन्दर प्रकृति का एक हिस्सा है, जिनकी बोली, जिनका इधर-उधर फुदकना हमें प्रसन्नता ही देता है।
पक्षियों की भी अपनी अलग दुनिया है। प्रकृति के रंग में रंगने वाले, यह सारे पक्षी, हमारे कारण ही अपना जीवन मुश्किल से जी पाते हैं, क्योंकि हमने ही हरियाली को नष्ट किया। इंटरनेट की तरंगों के कारण इन पक्षियों की प्रजातियां ही लुप्त हो रही हैं। अब इन्हें भी सहेजने की आवश्यकता है।
उनकी सुंदरता अनायास हमारा मन मोह लेती है, और हमें प्रकृति के पास रखती है। यदि आपके घर में छोटा-सा गार्डन है, तो आप भाग्यशाली हैं, क्योंकि शहरों में तो फ्लैटों की संस्कृति के कारण अपनी बगिया की
कल्पना करना बड़ा मुश्किल है। हां, आजकल बहुत से लोग अपने घरों में या अपने टेरेस पर छोटी-सी बगिया बना लेते हैं।
इस बगिया में आप रोज पक्षियों के दाना-पानी की व्यवस्था करते हैं, तो ये पक्षी और भी आपकी बगिया की ओर आकर्षित होंगे और आपकी बगिया में आकर चहचहाने लगेंगे। यदि आपकी बगिया में मधुमालती, चाइनारोज, टिकोमा, बोगनबेलिया और लेंटाना जैसे चार-पांच पौधे हैं, तो समझिये पक्षियों के स्वागत के लिए यह खूबसूरत जगह आपने बना ली। बहुत सी चिड़ियाएं जो हमारे पौधों के आस-पास आती हैं और बड़ी सुन्दर आवाज कानों में घोल कर जाती हैं,
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आइये जानते हैं, उन कुछ चिड़ियों के बारे में :-
सबसे छोटी होती है शकरहारा चिड़िया (सनबर्ड):
यह गुडलक छोटी गुलमोहर या बोगनबेलिया के नारंगी फूलों वाली बेलोें पर मंडराती रहती है। यह चिड़िया काली, परंतु चमकीली होती है। इसकी चोंच थोड़ी मुड़ी होती है और यह बड़ी तेज आवाज में सीटी बजाती है। इसकी गर्दन थोड़ी लम्बी होती है।
धूप में इसका रंग और भी चमकीला होता है। इसलिए इसको ‘सनबर्ड’ भी कहते हैं। यह पक्षियों में सबसे छोटी होती है। इसकी ऊंचाई लगभग 10 सेमी. होती है। यह चिड़िया बहुधा सर्दियों में दिखाई देती है।
इनमें नर और मादा दोनों अलग-अलग दिखाई देते हैं। नर चिड़िÞया का उपर का भाग गहरे काले, हरे और बेंगनी रंग का होता है, निचला भाग पीला और पीठ नीली होती है। मादा चिड़िया जैतुनी और हलके भूरे रंग की होती है और नीचे से हलके पीले रंग की होती है।
यह जोड़ा फूलों का रस पीता है और बड़ी तेज आवाज करता है। जब ये चिड़िया अपनी चोंच से फूलों का रसपान करती है, तो उसे देखकर बहुत अच्छा लगता है, जो हमें हमिंग बर्ड की याद दिलाती है। ये चिड़िया पेड़ों पर अपना घोंसला बनाती है। वह घोसला मंकी कैप जैसा दिखाई देता है।
मादा चिड़िया इस पर झूलती रहती है और हर आने वाले संकटों पर नजर भी रखती है।
सामान्यत:
हमारे देश में इनकी दो तरह की प्रजातियां मिलती हैं, एक पर्पल सनबर्ड और दूसरी पर्पल रम्प सनबर्ड।
सुंदर और चंचल प्रीनिया चिड़िया:
हमें देखने में आती है एक और चिड़िया जो ‘प्रीनिया’ या ‘फुतकी’ है। इसकी ऊंचाई लगभग 13 सेमी. की होती है। इसका रंग लाल मिट्टी जैसा होता है, जो शरद ऋतु में और भी गहरा हो जाता है। यह अपनी पंूछ को हमेशा झंडे की तरह ऊपर उठाकर रखती है। यह अपनी गर्दन को बहुत हिलाती है और थोड़ी-थोड़ी देर में टी…टी… जैसी आवाज करती है। सारा दिन झाड़ियों में कीट, पतंगों को तलाशती रहती है, जो उसका प्रिय भोजन है।
नर और मादा एक जैसे होते हैं। नर और मादा चिड़िया मिलकर घोंसला बनाते हैं। यह पत्तों को जोड़कर उसे अपने पैनी चोंच से सी देते हैं, जो देखने में बड़ा ही आकर्षक होता है।
मखमली काली टोपी वाली बुलबुल:
मखमली काली टोपी और पूंछ के नीचे काले धब्बे वाली बुलबुल, सहसा हमारा ध्यान आकर्षित कर लेती है। यह चिड़िया 20 सेमी. की होती है। अगर आपने अपने घर में लाल-पीले फूलों वाला लेंटाना पौधा लगाया है, तो समझिये यह चिड़िया आपके घर की मेहमान है। इस चिड़िया को अंग्रेजी में ‘रेडवेंटेड बुलबुल’ कहते हैं।
बुलबुल चिड़िया नर-मादा एक जैसे दिखाई देते हैं। बरगद, पीपल और लेंटाना के फल इन्हें बहुत पसंद हैं।
रंग-बिरंगे पक्षियों के कारण ही यह प्रकृति इतनी सुदंर है। हम प्रयास करें इनकी दुनिया आबाद रहे, ताकि हम इन्हें देखकर आनंद का अनुभव करते रहें।
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