बेहद रमणीक है ‘डलहौजी’ कांगड़ा से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है डलहौजी। जहां पहाड़ों का राजा कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में कदम-कदम पर प्रकृति ने सुंदरता के एक से बढ़कर एक नमूने बिखरा दिए हैं।
जहां जाएं बस मन मचलकर रह जाए। यहां की शीतल, मंद और महकती हवाएं हर किसी के मन को मोह लेती हैं। जब किसी ऐसी जगह पहुंच जाएं जहां बस पहाड़ हों, पेड़ हों और दूर-दूर तक फैली हरियाली हो तो यह नजारा और भी मन को मोहने वाला होता है।
Table of Contents
धाइनकुंड
यह स्थान डलहौजी से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से ब्यास, चेनाब और रावी नदियों का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। यहां आने वाले सैलानियों के लिए यह मशहूर पर्यटक स्थल बन चुका है।
बकरोटा हिल्स
यहां घूमने आने वालों के लिए बकरोटा मॉल बेहद लोकप्रिय जगह है। यहां से पहाड़ी वादियों का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है।
कालाटोप
लगभग साढ़े आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित कालाटोप में छोटी-सी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी है। यहां जंगली जानवरों को नजदीक से देखा जा सकता है।
सुभाष बावली
जीपीओ से लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है सुभाष बावली। यहां से बर्फ से ढंकी चोटियों को आसानी से देखा जा सकता है।
पंजपुला
यहां का नजारा देखने लायक होता है। यहां पर पानी पांच छोटे-छोटे पुलों के नीचे से बहता है। यह स्थान दो किमी की दूरी पर स्थित है। इस ‘फाइव ब्रिजेज’ को भारत के फ्रीडम फाइटर अजित सिंह की याद में बनवाया गया है। यहां स्थित प्राकृतिक टैंक और प्रतिष्ठित लोगों की मूर्ति इस स्थान को और भी शांति का आभास दिलाती है। मान्यता है कि इसके पानी से कई तरह की बीमारियां ठीक होती हैं। साथ ही डलहौजी से ढाई किमी दूर खजीयार झील है, जिसका आकार तश्तरीनुमा है।
डैनकुंड
डलहौजी से 10 किमी दूर समुद्र तल से 2,745 मीटर की ऊंचाई पर स्थित डैनकुंड से पहाड़ियों, घाटियों और नदी ब्यास, रावी, चेनाब की कलकल लहरें देख सकते हैं।
कैथोलिक चर्च
डलहौजी अपने अनगिनत पुराने चर्च के लिए भी मशहूर है। यहां स्थित सेंट फ्रांसिस के कैथोलिक चर्च का निर्माण 1894 में हुआ था।
सतधारा
यहां के पानी को पवित्र माना जाता है। हालांकि इस पानी में कई तरह के खनिज पदार्थ होने की वजह से यह दवाई का काम करता है।
चंबा घाटी की यह अमूल्य धरोहर गर्मी में मन को असीम आनंद देने वाली साबित होती है। सर्दी के मौसम में यहां बर्फ का मजा लिया जा सकता है। तब यहां का तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है। जब मैदानी इलाकों में भयंकर गर्मी पड़ रही होती है तो यहां का तापमान भी 35 डिग्री तक पहुंच जाता है।
इस जगह की खोज 19वीं शताब्दी के मध्य में ब्रिटिश गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी ने की थी। डलहौजी अपने आपमें ही बेहद खूबसूरत जगह है। कुदरत ने डलहौजी के आस-पास भी बेहद खूबसूरती बिखेर रखी है। दर्जनों ऐसे स्थल हैं जहां सुकून के साथ कुछ समय बिताया जा सकता है। आइए, जानते हैं यहां के कुछ खास स्थल जिसे आप प्राथमिकता से देख सकते हैं।
कैसे पहुंचें:-
सड़क मार्ग से आने वाले पर्यटकों को यहां पहुंचना बिलकुल भी मुश्किल नहीं है। दिल्ली से 514 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डलहौजी में आकर सभी का मन बागबाग हो जाता हैं। यहां की दूरी चंडीगढ़ से 239 किमी, कुल्लू से 214 किमी और शिमला से 332 किमी है। चंबा यहां से 192 किलोमीटर है। यहां का सुबह-शाम का मौसम तो मन मोहने वाला होता है, जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है।
सड़क मार्ग:
दिल्ली-एनसीआर से चंडीगढ़ होते हुए डलहौजी आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा पठानकोट से चंबा होते हुए डलहौजी बस या टैक्सी से जा सकते हैं। पंजाब और हिमाचल रोडवेज भी बस-सेवा उपलब्ध कराते हैं।
रेल मार्ग:
कांगड़ा का रेलवे स्टेशन सबसे नजदीक पड़ता है जो यहां से 18 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इसके अलावा नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है, जो अमृतसर, जम्मू, दिल्ली और जालंधर से रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है।
हवाई मार्ग:
कांगड़ा में स्थित ‘गागल हवाई अड्डा’ यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। जो सैलानियों के लिए कांगड़ा के बाद ऐसा पहाड़ी स्थल, जो सिर्फ 12 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है।
कहां ठहरें:
यदि आप फाईव स्टार होटल में नहीं रहना चाहते, तो स्मॉल बजट होटल के साथ टूरिस्ट लॉज भी हैं, जहां उचित कीमत पर कमरा मिल जाता है।