महामारी के दौर में रोज करें मेडिटेशन, मिलेगी खुशी
मेडिटेशन यानी ध्यान की वो अवस्था जहां सारा ध्यान मन पर लगाया जाता है, भीतर की ओर होता है। भीतरी शक्तियों व ऊर्जा को पहचानने व जगाने पर होता है।
मेडिटेशन के अनेकों लाभ हैं और चूंकि यह मन पर फोक्स करता है तो जाहिर है कि डिप्रेशन जैसे रोग जो मन से ही जुड़े होते हैं उनसे निपटने में यह बेहद कारगर साबित हुआ है।
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ध्यान से कैसे दूर भागता है डिप्रेशन?
मेडिटेशन किस प्रकार डिप्रेशन को कम कर सकता है इसके कई वैज्ञानिक आधार हैं। दरअसल ध्यानावस्था में मस्तिष्क अल्फा स्टेट में पहुंच जाता है, जिससे शरीर में हैप्पी हार्मोंस का रिसाव होता है, यही वजह है कि मेडिटेशन से स्ट्रेस व डिप्रेशन संबंधी तकलीफों में भी राहत मिलती है। मेडिटेशन करने पर शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, क्योंकि मेडिटेशन शरीर के चक्रों को जागृत करता है, जिससे होर्मोन्स में संतुलन पैदा होता है और विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं।
अब तक की रिसर्च में हुए यह खुलासे
- कई शोध व स्ट्डीज से यह पता चला है कि मेडिटेशन से पैरासिंपथेटिक नर्वस सिस्टम सुकून की अवस्था में पहुंच जाता है, जिससे ब्रेन के उस हिस्से में एक्टीविटी बढ़ जाती है, जो फील गुड केमिकल्स व हार्मोंस को रिलीज करता है। मेडिटेशन आपके सोचने का नजरिया बदलकर अकेलेपन की भावना को दूर करता है जिससे नेगेटिविटी दूर होती है और डिप्रेशन से राहत मिलती है।
- रिसर्च कहते हैं कि मेडिटेशन से कार्टिसॉल हार्मोन का स्तर घटता है, जिससे ब्रेन हैप्पी स्टेट में पहुंच जाता है। स्टडीज यह साबित कर चुकी हैं कि मेडिटेशन स्ट्रेस के कारण बने इंफ्लेमेटरी केमिकल्स को कम करता है। ये केमिकल्स मूड को प्रभावित करके डिप्रेशन पैदा करते हैं। ऐसे में मेडिटेशन के जरिए इन केमिकल्स को कम करके डिप्रेशन को भी कम किया जा सकता है।
- मेडिटेशन से मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ता है और शरीर आॅक्सीजन का इस्तेमाल बेहतर ढंग से कर पाता है।
- मेडिटेशन से सेल्स का निर्माण बेहतर होता है। स्टैमिना बढ़ता है और साथ ही इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग होती है। इस तरह मेडिटेशन पॉजिÞटिविटी बढ़ाता है, डिप्रेशन के एहसास को दूर करता है।
- यही नहीं, मेडिटेशन कर चुके लोगों ने भी अपने अनुभवों में यह बताया है कि मेडिटेशन सेल्फ डिस्ट्रक्शन से जुड़े विचारों और भावनाओं को दूर करता है और पॉजिटिव विचारों को बढ़ाता है। मेडिटेशन चक्रों को जगाकर भावनाओं को संतुलित करता है।
- हमारे शरीर में मौजूद सात ऊर्जा चक्र शरीर के किसी ना किसी अंग और भावना से जुड़े होते हैं। ये चक्र सुप्त अवस्था में रहते हैं तो इनकी ऊर्जा का हम इस्तेमाल नहीं कर पाते। ये तभी जागते हैं जब हम प्रयास करते हैं और उस प्रयास का रास्ता मेडिटेशन से होकर ही गुजरता है।
मेडिटेशन से इन चक्रों में वाइब्रेशन पैदा होता है जिससे ये चक्र जाग जाते हैं। इनके जागने से ऊर्जा पैदा होती है, ग्लैंड्स एक्टिव होते हैं, टॉकसिंस दूर होते हैं, होर्मोन्स बैलेंस्ड होते हैं और भावनाएं संतुलित व नियंत्रित रहती हैं। सकारात्मक भावनाएं बढ़ती हैं। नकारात्मक और डिप्रेशन से जुड़ी भावनायें दूर होती हैं।
थिंकिंग प्रोसेस को बदलता है मेडिटेशन
मेडिटेशन हमें भीतर से जागरुक करता और सेल्फ अवेयरनेस बढ़ाता है, जिससे हम अपने विचारों को कंट्रोल कर सकते हैं। मेडिटेशन से हम अपने प्रति अच्छा महसूस कर पाते हैं, सही दिशा में सोच पाते हैं, क्योंकि मेडिटेशन हमारे थिंकिंग प्रोसेस को बदलता है। जिससे मेंटल हेल्थ बेहतर होती है। जब मेंटली हम मजबूत होंगे तो डिप्रेशन दूर रहेगा। मेडिटेशन से ब्रेन में ब्लड फ्लो बेहतर होता है जिससे हानिकारक केमिकल्स घटते हैं।
मेडिटेशन से नींद बेहतर होती है और हम सभी जानते हैं कि डिप्रेशन को दूर करने के लिए अच्छी और बेहतर नींद कितनी जरूरी है। मेडिटेशन आपके आत्मविश्वास को बढ़ाता है, जिससे खुद पर विश्वास बढ़ने लगता है, शरीर में एनर्जी महसूस होने लगती है और नकारात्मक भाव दूर होने लगते हैं। बढ़ा हुआ आत्मविश्वास ही डिप्रेशन को दूर करता है क्योंकि डिप्रेशन में सबसे ज्यादा कमी आत्मविश्वास में आती है, जिससे एनर्जी लो होने लगती है। ऐसे में मेडिटेशन किसी वरदान से कम नहीं।