Do walking and be healthy - Sachi Shiksha

Exercise Walking सैर को सर्वश्रेष्ठ और सबसे आसान व्यायाम माना जाता है। इसे कभी भी, कोई भी कर सकता है। आवश्यक नहीं कि इसके लिए आप जागिंग शू और सूट खरीदें। कोई भी आरामदायक वस्त्र और जूते पहन कर आप सैर पर निकल सकते हैं। डॉक्टरों के अनुसार जहां अन्य व्यायामों से केवल सम्बन्धित अंगों को ही लाभ होता है, वहीं सैर से हमारे हृदय, टांगें, पैर, पेट और अन्य अंगों में भी कसाव आता है। शरीर में चुस्ती और स्फूर्ति का अनुभव होता है। यदि लम्बी सैर नियमित की जाए तो शरीर का मोटापा छंटता है और अन्य कई लाभ शरीर को होते हैं।

Exercise Walking सुबह की सैर

ब्रह्म वेला सैर के लिए उत्तम मानी जाती है। सुबह के समय वातावरण प्रदूषण रहित होता है। सूर्य की पौ को फटता देखते समय प्रकृति का दृश्य अति मनोरम लगता है। प्रात: की सैर के लिए आसपास कोई लम्बा पार्क देखें जहां पहुंचना या अकेले जाना मुश्किल न हो। सुबह शौच आदि से निवृत होकर सैर पर निकल जाएं। कोशिश करें कि सैर जाने से पहले किसी वस्तु या चाय का सेवन न करें। केवल जल या नींबू शहद पानी पीकर निकलें।

सुबह की सैर कुछ तेजी से कदम भरकर करें जो शरीर को स्फूर्ति देने तथा फेफड़ों को स्वच्छ रखने में सहायक होती है। बहुत सुबह अन्धेरे समय में सैर पर न जाएं। एक तो अकेले घूमते हुए खतरा होता है, दूसरा अन्धेरे समय में पेड़ पौधे अपनी गंदी हवा बाहर फेंकते हैं जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है। सैर का समय धीरे-धीरे बढ़ाएं। प्रारम्भ में 5 मिनट धीरे चलें, फिर कम से कम आधा घंटा तेजी से चलने पर शरीर की चर्बी को नियत्रंण में रखा जा सकता है।

Exercise Walking शाम की सैर

कुछ लोग विशेषकर महिलाएं या दूर नौकरी पर जाने वाले लोग प्रात: काल सैर के लिए समय नहीं निकाल पाते। ऐसे लोगों को शाम को समय मिलने पर जरूर सैर पर जाना चाहिए। शाम की सैर आपकी दिनचर्या में रौनक लाएगी क्योंकि सुबह से एक ही दिनचर्या से बोर हुए लोगों में इससे बदलाव का अहसास होगा जिससे पुन: शाम से रात तक के काम के लिए शरीर तथा मन तरोताजा महसूस करेंगे। दिल की बीमारी वाले लोगों के लिए शाम की सैर उत्तम मानी जाती है क्योंकि डॉक्टर उन्हें रात्रि भोजन के बाद घूमने को मना करते हैं। ऐसे लोगों को शाम के समय अवश्य सैर करनी चाहिए।

रात्रि की सैर

स्वस्थ लोगों के लिए आज के युग में रात्रि की सैर भी आवश्यक है। आजकल अनाज तीन समय खाने का प्रचलन है जिसे पचाने में शरीर को काफी मेहनत करनी पड़ती है। पहले के लोग प्राय: दिन में दो बार भोजन करते थे। शाम का भोजन जल्दी करने से रात्रि शयन हेतु जाने तक उन्हें काफी समय मिल जाता था जिससे भोजन पच जाता था। आजकल लोग नौकरी या व्यापार से शाम 7 से 8 बजे तक घर पहुंचते हैं। ऐसे लोगों को घर पहुंचकर शाम के स्रैक्स आदि न लेकर सीधे भोजन ही लेना चाहिए।

अक्सर लोग टी. वी. देखते समय भोजन अधिक मात्रा में खा लेते हैं। फिर टी. वी. देखते-देखते ही सो जाते हैं जिससे कई बीमारियां जैसे खट्टे डकार, एसिडिटी, कब्ज आदि जन्म लेती हैं। इन सबसे बचने के लिए रात्रि को भी कम से कम 20 मिनट से 30 मिनट तक सैर करें। सोने और भोजन के बीच 3 घन्टे का अन्तर रखें। रात्रि की सैर तेज कदमों से न करें। पढ़ने वाले विद्यार्थी भी समय से भोजन खा कर सैर पर जाएं जिससे उन्हें पेट हल्का महसूस होगा और नींद उन्हें तंग नहीं करेगी। हृदय रोगियों को सैर भोजन से पूर्व ही करनी चाहिए। इस प्रकार सैर केवल दिन में, शाम में या रात्रि में जब भी करें, इसके लाभ ही लाभ हैं।

– नीतू गुप्ता

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