Free Recharge लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया का इस्तेमाल और डाटा की खपत बढ़ गई है।
जिसका फायदा साइबर ठग भी उठा रहे हैं। व्हाट्सएप और फेसबुक पर फ्री मोबाइल रिचार्ज के मैसेज भेज कर लोगों को जाल में फंसा कर उनकी जानकारियां चोरी कर ब्लैक मार्केट में बेची जा रही हैं। इसकी मदद से ठग रिमोट एक्सेस एप डाउनलोड कराकर खातों में सेंध लगा रहे हैं।
साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि लॉकडाउन में लोग इंटरनेट का अधिक प्रयोग करने लगे थे। Free Recharge उनके मुताबिक कोई भी टेलीकॉम कम्पनी फ्री में रिचार्ज या डाटा आॅफर नहीं करती है। ऐसे में ई-मेल, व्हाट्सएप, फेसबुक या अन्य किसी माध्यम से फ्री रिचार्ज का आॅफर देने वाले लिंक को खोलने से परहेज करना चाहिए। इस तरह के मैसेज भेजने का मकसद दूसरे व्यक्ति की फोन नम्बर, लोकेशन, नाम और शहर जानने के लिए किया जाता है।
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जिसे इकट्ठा कर डार्क वेब में बेचा जाता है।
अधिकतर मैसेज में आए लिंक को खोलने पर उसमें नाम, फोन नम्बर और शहर के बारे में जानकारी मांगी जाती है। साथ ही फ्री रिचार्ज का मैसेज पांच या उससे अधिक लोगों को बढ़ाने के बाद ही आगे की प्रोसेस होने का दावा किया जाता है। साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक फ्री के फेर में फंस कर कई लोग बिना सच्चाई जाने अपने साथ ही परिचितों की निजता को भी खतरे में डाल देते हैं।
साइबर विशेषज्ञ के मुताबिक जालसाज वाउचर देने के बहाने फोन करते हैं। फिर मोबाइल पर एक मैसेज भेज कर उस पर दिए गए लिंक को डाउनलोड करने के लिए कहते हैं। लिंक पर क्लिक करते ही उसके मोबाइल पर रिमोट एक्सेस एप (टीम विवर, एनीडेस्क या क्विक सपोर्ट) डाउनलोड हो जाती है। इस बीच ठग फंसा कर नौ डिजिट का कोड और पिन नम्बर पूछ लेता है। इसके बाद ठग के नियंत्रण में दूसरे व्यक्ति का फोन आ जाता है। इसके बाद ठग दूसरे के ई-वॉलेट से रुपए निकाल लेते हैं।
Free Recharge यह बरतें सावधानी :
- मैसेज या अन्य माध्यम से आए लिंक को न खोलें ।
- गलती से लिंक खोल लिया है तो गोपनीय डिटेल न बताएं।
- रिचार्ज करने के लिए टेलीकॉम कम्पनी या वैध ई-वॉलेट का ही इस्तेमाल करें।
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