हेल्दी हैबिट्स
महिला चाहे कॉलेज गोइंग हो, वर्किंग वुमेन, ५० प्लस या होम मेकर सभी को जीवन शैली में अपनानी चाहियें यह हेल्दी हैबिट्स। महिलाओं की शारीरिक बनावट जटिल होती है। मासिक चक्र प्रारम्भ होने से मीनोपॉज तक उनका शरीर कई बदलावों से गुजरता है।
ऐसे में उन्हें अपनी सेहत का ख्याल छोटी उम्र से ही रखना शुरू कर देना चाहिए क्योंकि अच्छी आदतें जितनी जल्दी डाली जाएँ उतना ही बेहतर रहता है। लेकिन महिलाओं की सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि वे कभी अपनी प्राथमिकता खुद नहीं होती हैं। वे या तो परिवार और बच्चों को प्राथमिकता देती हैं या करियर को।
सबसे पहले उन्हें अपनी प्राथमिकताएं खुद तय करनी होंगीं। सबसे ऊपर स्वयं को रखना होगा तभी वह अपने परिवार की देखभाल भी कर पाएंगी और करियर में नयी ऊंचाईयां भी छू पाएंगी। संतुलित पोषक भोजन नियम से लें। संतुलित व पोषक भोजन का सेवन, जिसमें हरी सब्जियों, साबुत अनाज, दालें, दूध व दुग्ध उत्पाद, अंडे और फल शामिल हों, बहुत जरूरी है। क्रैश डाइटिंग कभी न करें क्योंकि इससे शरीर में ऊर्जा का स्तर गिर जाता है।
और आप ऊर्जा पाने के लिए इधर उधर की चीजें लेने लगता हैं जिससे आपको फायदे की बजाय नुकसान होने लगता है। फास्ट फूड का सेवन न करें क्योंकि इसमें खाद्य रंग, कृत्रिम स्वीटनर्स और दूसरी कई ऐसी चीजें होती हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं। इसमें कैलरी की मात्रा बहुत होती है लेकिन पोषण बिलकुल नहीं होता।
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सोने के एक घंटे पहले गैजेट्स से बनाएं दूरीः
रात में पूरी नींद लें ताकि आपका शरीर रिचार्ज हो सके और अगले दिन का बेहतर इस्तेमाल हो सके। रात में पूरी नींद न लेने से मेटाबॉलिज्म कमजोर हो जाता है और पाचन तंत्र संबंधी गड़बड़ियाँ होने लगती हैं जिनसे मोटापा बढ़ जाता है। नींद पूरी न होने से मस्तिष्क अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाता जिससे उत्पादकता प्रभावित होती है। सोने से एक घंटा पहले गैजेट्स का प्रयोग बंद कर दें।
तनाव से दूर रहिये, समाधान पर बात कीजिएः
तनाव के कारण शरीर में कई हार्मोन्स का स्तर बढ़ जाता है, जिनमे एड्रीनलीन और कार्टिसोल प्रमुख हैं। इनकी वजह से दिल का तेजी से धड़कना, पाचन क्रिया का मंद पड़ जाना, रक्त का प्रवाह प्रभावित होना, नर्वस सिस्टम की कार्यप्रणाली गड़बड़ा जाना और इम्यून सिस्टम का कमजोर होने जैसी समस्याएं उतपन्न हों जाती है। व्यर्थ में तनाव न पालें, समस्या के समाधान पर ध्यान केंद्रित करें। अपने परिवार के सदस्यों और मित्रों से इस बारे में चर्चा करें।
पैदल चलें तो हाइपरटेंशन का खतरा होगा कमः
शारीरिक रूप से सक्रिय रहना स्वस्थ रहने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आराम-तलबी का जीवन जीने से बचिए। लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करे। जहां सम्भव हो पैदल जाएँ। अगर कामकाजी हैं तो लगातार बैठी न रहें, हर एक घंटे में अपनी कुर्सी से उठकर थोड़ी चहलकदमी करें।
व्यायाम से मेटाबॉलिज्म रहेगा दुरुस्तः
रोज लगभग आधा घंटा कोई व्यायाम जरूर करें। चलना, दौड़ना, तैरना या जॉगिंग का विकल्प भी चुन सकती हैं। वर्कआउट करने से शारीरिक और मानसिक तनाव कम होता है। रक्त का संचार तेज होता है जिससे शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ता है। मैटाबॉलिक रेट बढ़ने से पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है।
१५ मिनट ध्यान से एंग्जाइटी होगी कमः
ध्यान से तुरंत और लम्बे समय में मिलने वाले लाभ दोनों होते हैं। कई वैज्ञानिक अध्ययनों में भी यह बात सामने आई है कि कुछ ही सप्ताह तक ध्यान करने से शरीर और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है। नियमित रूप से १०-१५ मिनट ध्यान करने से एंग्जाइटी कि समस्या बहुत कम हो जाती है और मस्तिष्क शांत हो जाता है। ध्यान करने से मस्तिष्क का वह क्षेत्र भी विकसित होता है जो स्मरण शक्ति और तनाव नियंत्रण से सम्बन्धित है।
उम्र के साथ होने वाले बदलाव की अनदेखी न करेंः
बढ़ती उम्र का प्रभाव न केवल बाहरी तौर पर बल्कि आंतरिक रूप से भी दिखाई देने लगता है। उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियाँ कमजोर होने लगती हैं, जिससे उनकी कैलरी जलाने की क्षमता प्रभावित होती है। यह समस्या उन लोगों में और बढ़ जाती है जो शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं होते हैं। अगर उम्र के साथ कैलरी का सेवन कम नहीं होगा तो मोटापा बढ़ेगा। जिससे कई बीमारियों की आसान शिकार बन जाएंगी। हल्का और सुपाच्य भोजन करें व शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। ४० साल की उम्र पार करने के बाद हर साल अपना हेल्थ चेक अप जरूर कराएं।
वजन नियंत्रित रखेंगी तो दर्द से बच सकेंगीः
मोटापा कई बीमारियों की वजह भी बन जाता है। सुंदर और स्वस्थ रहने के लिए वजन को नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है। जिन महिलाओं का वजन अधिक होता है, उन्हें चलने, साँस लेने और बैठने में परेशानी होती है। मोटापे से दूर रहकर डॉयबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियों और जोड़ो के दर्द जैसी कई बीमारियों से बचा जा सकता है।
पीरियड्स अनियंत्रित हों तो सतर्क रहियेः
महिलाओं के जीवन के तीन महत्वपूर्ण चरण होते है। मासिक चक्र प्रारम्भ होना, गर्भावस्था व मेनोपॉज। आधुनिक जीवनशैली और जीवन में उतर चढ़ाव के बढ़ते स्तर के कारण ये तीनों गड़बड़ा गए हैं। मासिक चक्र की अनियमितता, निसंतानता और प्री मेच्योर मेनोपॉज महिलाओं के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। प्री मेच्योर मेनोपॉज के कारण न केवल निस्तानता और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ रहा है, बल्कि यह महिलाओं को हार्ट अटैक का भी आसान शिकार बना रहा है। मासिक चक्र की अनियमितत्ताओं को नज़रअंदाज़ न करें, तुरंत उपचार कराएं।
अगर ब्रेस्ट कैंसर परिवार में किसी को हुआ तोः
अगर परिवार में ब्रेस्ट कैंसर का पारिवारिक इतिहास है तो युवावस्था से ही नियमित रूप से जांच कराएं। नियमित समय पर पोषक और संतुलित भोजन का सेवन करें, पूरी नींद लें, नियमित रूप से एक्सरसाइज करें और तनाव न पालें। गर्भ निरोधक तरीकों का इस्तेमाल करने में सावधानी बरतें। अगर कुछ असामान्य दिखे तो तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें।
डॉक्टर अंजलि गुप्ता
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