जीवन जीने की उम्मीद जगाएं | वर्ल्ड एड्स-डे (1 दिसम्बर)
समाज का ताना-बाना परिवार एवं सम्प्रदाय की मान-मर्यादाओं के बलबूते ही स्थापित होता है। इन मान-मर्यादाओं के ग्राफ में जितनी गिरावट आती जा रही है, उसके विपरित उतना ही समाज विकृत बीमारियों की गिरफ्त में जकड़ता जा रहा है। अपने जीवन साथी के प्रति वफादारी न निभा पाने की वजह से ही समाज में एड्स जैसी बीमारी सामने आई है।
एड्स नाम अपने आप में भयावह और ऐसा दर्दनाक एहसास है जिसका कोई तोड़ नजर नहीं आता। बीमारियां वैसे तो बदनाम होती ही हैं पर एड्स को बीमारी नहीं, बल्कि जानलेवा बीमारियों का जरिया कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। यह एक ऐसी बीमारी है जिससे पीड़ित व्यक्ति जीने की उम्मीद, आशा व लालसा छोड़कर सिर्फ मरने की राह देखने लगता है। इसलिए हम सभी को एड्स के बारे में पूरी जानकारी होनी ही चाहिए।
एड्स दरसल एचआईवी वायरस के कारण होने वाली एक बीमारी है। यह तब होता है जब व्यक्ति का इम्यून सिस्टम इंफेक्शन से लड़ने में कमजोर पड़ जाता है। और तब विकसित होता है, जब एचआईवी इंफेक्शन बहुत अधिक बढ़ जाता है। एड्स एचआईवी इंफेक्शन का अंतिम चरण होता है। जब शरीर स्वयं की रक्षा नहीं कर पाता और शरीर में कई प्रकार की बीमारियां, संक्रमण हो जाते हैं। एचआईवी शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता पर आक्रमण करता है, जिसका काम शरीर को संक्रामक बीमारियों, जोकि जीवाणु और विषाणु से होती हैं, से बचाना होता है।
एच.आई.वी. रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका-कोशों पर हमला करता है। ये पदार्थ मानव को जीवाणु और विषाणु जनित बीमारियों से बचाते हैं और शरीर की रक्षा करते हैं। जब एच.आई.वी. द्वारा आक्रमण करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षय होने लगती है तो इस सुरक्षा कवच के बिना एड्स पीड़ित लोग भयानक बीमारियों क्षय रोग और कैंसर आदि से पीड़ित हो जाते हैं।
और शरीर को कई अवसरवादी संक्रमण यानि आम सर्दी-जुकाम इत्यादि घेर लेते हैं। जब क्षय और कर्क रोग शरीर को घेर लेते हैं तो उनका इलाज करना कठिन हो जाता है और मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। हालांकि अभी तक एचआईवी या एड्स के लिए कोई कारगर उपचार उपलब्ध नहीं है। लेकिन सही उपचार और सहयोग से एचआईवी से ग्रसित व्यक्ति लम्बा और स्वस्थ जीवन जी सकता है।
एड्स कैसे फैलता है
एक सामान्य व्यक्ति को एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ सहवास करने से एड्स हो सकता है। आमतौर पर लोग एच.आई.वी. पॉजिटिव होने को एड्स समझ लेते हैं, जो कि गलत है। बल्कि एचआईवी पॉजिटिव होने के 8-10 साल के अंदर जब संक्रमित व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण हो जाती है तब उसे घातक रोग घेर लेते हैं और इस स्थिति को एड्स कहते हैं।
एड्स होने के 4 अहम वजह:
- पीड़ित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन सम्बन्ध
- दूषित रक्त से।
- संक्रमित सुई के उपयोग से
- एड्स संक्रमित माँ से उसके होने वाली संतान को।
एड्स के कुछ शुरूआती लक्षण:
वजन का काफी हद तक कम हो जाना, लगातार खांसी आना, बार-बार जुकाम होना, बुखार, सिरदर्द, थकान, शरीर पर निशान बनना (फंगल इन्फेक्शन के कारण), हैजा, भोजन से मन हटना, लसीकाओं में सूजन इत्यादि।
ध्यान रहे कि ऊपर दिए गए लक्षण अन्य सामान्य रोगों के भी हो सकते हैं। एचआईवी की उपस्थिति का पता लगाने हेतु मुख्यत: एंजाइम लिंक्ड इम्यूनोएब्जॉर्बेंट एसेस यानि एलिसा टेस्ट करवाना चाहिए।
एड्स का उपचार
एड्स के उपचार में एंटी रेट्रोवाईरल थरेपी दवाईयों का उपयोग किया जाता है। इन दवाइयों का मुख्य उद्देश्य एच.आई.वी. के प्रभाव को काम करना, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना और अवसरवादी रोगों को ठीक करना होता है। समय के साथ-साथ वैज्ञानिक एड्स की नई-नई दवाइयों की खोज कर रहे हैं। लेकिन सच कहा जाए तो एड्स से बचाव ही एड्स का सर्वोत्तम इलाज है।
एड्स से बचाव:
- सामान्य व्यक्ति को अपने जीवनसाथी के प्रति वफादार रहना चाहिए।
- खून को अच्छी तरह जांचकर ही चढ़ाएं।
- उपयोग की हुई सुईओं या इंजेक्शन का प्रयोग न करें।
- दाढ़ी बनवाते समय हमेशा नाई को नया ब्लेड उपयोग करने के लिए कहें।
ऐसे नहीं फैलता है एड्स:
कई लोग समझते हैं कि एड्स पीड़ित व्यक्ति के साथ खाने, पीने, उठने, बैठने से एड्स हो जाता है, जो कि पूरी तरह गलत है। ऐसी भ्रांतियों से बचें। हकीकत में रोजमर्रा के सामाजिक संपर्कों से एच.आई.वी. नहीं फैलता जैसे कि:-
- पीड़ित के साथ खाने-पीने से
- बर्तनों की साझीदारी से
- हाथ मिलाने या गले मिलने से
- एक ही टॉयलेट का प्रयोग करने से
- मच्छर या अन्य कीड़ों के काटने से
- पशुओं के काटने से
- खांसी या छींकों से
एचआईवी पॉजिटिव का मतलब एड्स पीड़ित नहीं होता
अगर आपको ये बताया जाए कि किसी को एचआईवी है, एड्स नहीं तो, आपका क्या रिएक्शन होगा? इसलिए एड्स और एचआईवी के बीच के अंतर को इस स्लाइड शो में समझें।
एचआईवी और एड्स में अंतर
एचआईवी और एड्स को लेकर ऐसे ही समाज में बहुत सारे भ्रम फैले हुए हैं। इनका नाम सुनने के साथ ही लोग इस बीमारी से ग्रस्त इन्सान के साथ बैठना, खाना-पीना और रहना बंद कर देते हैं। ऐसे में इन दोनों के बारे में और इन दोनों के बीच के अंतर के बारे में लोगों को जानना बहुत जरूरी है। यहां इन दोनों के बीच क्या अंतर है, इसके बारे में जानते हैं।
एचआईवी वायरस है और एड्स बीमारी
एचआईवी, मतलब ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस, जो कि एक वायरस है। एड्स, पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनो-डिफिशिएंसी सिंड्रोम, एक मेडिकल सिंड्रोम है। एचआईवी वायरस प्रतिरक्षा प्रणाली की टी कोशिकाओं पर हमला करता है, जबकि एड्स, एचआईवी संक्रमण के बाद सिंड्रोम के रूप में प्रकट होती है।
एचआईवी संक्रमित होने का मतलब एड्स नहीं
एक व्यक्ति अगर एचआईवी संक्रमित है तो जरूरी नहीं कि उसे एड्स हो। एचआईवी से संक्रमित अधिकतर व्यक्ति नियमित मेडिकेशन टर्म्स फॉलो कर सामान्य जिंदगी जी सकते हैं। इसका मतलब ये नहीं की सभी एचआईवी संक्रमित लोगों को एड्स नहीं। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को एड्स हो सकता है, लेकिन हर एड्स से पीड़ित लोग जरूरी नहीं कि एचआईवी से संक्रमित हों।
एचआईवी ट्रांसमिट होता है, एड्स नहीं
एचआईवी एक इंसान से दूसरे इंसान में ट्रांसमिट हो सकता है, लेकिन एड्स नहीं। जबकि अधिकतर लोग बोलते हैं, ‘मुझे एड्स मत दो’। इंटरकोर्स, संक्रमित खून और इंजेक्शन से एचआईवी ट्रांसमिट होता है ना कि एड्स।
एड्स से सही जानकारी ही असली बचाव है। स्वयं पर संयम इन्सान के लिए बेशकीमती तौहफा है। लेकिन कई बार अन्य कारणों से व्यक्ति इस बीमारी की चपेट में आ जाता है।
खासकर गर्भवति महिलाओं पर इस बीमारी की दोहरी मार देखने में आती है। यदि कोई किसी महिला को गर्भवति होने के बाद पता चलता है कि वह एचआईवी पॉजिटिव है तो उसे तुरंत चिकित्सकों से परामर्श लेना चाहिए, क्योंकि गर्भावस्था दौरान ही यदि पीड़िता का उपचार शुरू हो जाता है तो उसकी होने वाली संतान को काफी हद तक इस बीमारी के चंगुल से बचाया जा सकता है। इसलिए पीड़ित महिलाओं को बिना संकोच इस बारे में विशेषज्ञ चिकित्सकों से सम्पर्क करना चाहिए।