तपती कार, कर दे बीमार
कार आजकल की खास और सर्वाधिक पसंद की जाने वाली गाड़ी है। यह बारहमासी सुरक्षित आवागमन के लिए प्रयुक्त की जाती है। इस पर वर्षाकाल एवं ठंड में यात्रा करना सर्वाधिक सुरक्षित है किन्तु ग्रीष्मकाल में यदि कार में सफर करेंगे और उसमें ए. सी. की व्यवस्था नहीं है, तब तपती कार में सफर करना मुसीबत को न्यौता देने जैसा हो सकता है।
इससे सफर करने वाला बीमार पड़ सकता है। उसे बी.पी ब्रेन स्ट्रोक, लू हीट स्ट्रोक, जलन, सिर दर्द, उल्टी, घबराहट, चक्कर आना आदि जैसी बीमारियां हो सकती हैं। वह अकारण इन बीमारियों की मुसीबत से घिर सकता है। ग्रीष्मकाल में कार के भीतर का तापमान बाहर से काफी अधिक होता है। कार के भीतर का गर्म तापमान बीमारियों का कारण बनता है। गर्मी में धूप में खड़ी कार में सफर करना सेहत पर भारी पड़ सकता है।
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मौसम की तीव्रता:-
भारत में तीनों मौसम अपना प्रखर रूप दिखाते हैं। मौसम की इस तीव्रता से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। ग्रीष्म काल में यहां गर्मी खूब पड़ती है। तापमान 49 से 50 डिग्री तक पहुंच जाता है। ऐसी स्थिति में धूप में तपती कार में बैठना और उसमें सफर करना सेहत को मुसीबत में डालना है। धूप में खड़ी बंद कार का तापमान कार के भीतर सामान्य से बहुत ऊपर हो जाता है। ऐसी तपती कार में लंबी यात्र करने वालों को अनेक बीमारियां हो सकती हैं। धूप में खड़ी कार में तुरंत बैठना और उससे धूप में तुरंत निकलना दोनों ही नुकसानदायक है।
ग्रीष्म काल में कार या उसी तरह की बंद गाड़ियों को छांह में खड़ा करना चाहिए। धूप में खड़ी कार का तापमान काफी बढ़ जाता है। उसके भीतर की नमी समाप्त हो जाती है। उसके भीतर दम घुटने लगता है। ए सी कार भी खतरनाक होती है। गलती से उसका सेन्ट्रल लॉक हो जाए तो भी भीतर बैठे व्यक्ति का दम घुट सकता है। सभी जगह छांह की व्यवस्था नहीं होती ऐसी स्थिति में कार को धूप में खड़ा करना पड़ता है।
तपती कार से होने वाली बीमारियां:-
बिना ए सी वाली कार गर्मी के मौसम में जलती हुई भट्टी के समान होती है। यह ब्लड प्रेशर, ब्रेन स्ट्रोक, फीवर, अस्थमा आदि के रोगियों के लिए प्राणघाती सिद्ध हो सकती है। इस तरह की स्थिति में रोगी को कार में लंबी यात्रा करने से बचना चाहिए। कार के भीतर का तापमान बाहर से अधिक होता है इसलिए लंबी यात्र करने पर लू लगने के साथ साथ अनेक बीमारियां हो सकती हैं।
तपती कार में लंबी यात्र करने से बी पी बढ़ जाता है। ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ रहता है। शरीर में पानी की मात्र की कमी हो जाती है। मितली, उल्टियां, चक्कर आने लगते है। पूरे शरीर में जलन, घबराहट, सिर दर्द होने लगता है। पसीना आना बंद हो जाता है। गला सूखता है। नसें अकड़नें लगती हैं। हीट स्ट्रोक की नौबत आ जाती है। शरीर का सभी तरह का संतुलन बिगड़ जाता है। यह स्थिति ग्रीष्मकाल की चिलचिलाती धूप में बिना ए. सी. की कार में लंबी यात्रा करने से आती है।
बचाव के उपाय:-
- ग्रीष्मकाल में कार को सदैव छांह में खड़ी करें।
- सफर से पूर्व बंद कार की खिड़कियां खोल दें।
- यात्रा के समय खिड़कियां खुली रहें।
- कभी खाली पेट सफर न करें।
- पानी पीकर निकलें एवं साथ में पानी रखें।
- यात्रा पर निकलने से 5 मिनट पूर्व ए सी चला दें।
- कार रोकने से पूर्व ए. सी. बंद कर दें।
- ए. सी. कार रूकते ही खिड़की खोल दें।
- यात्रा के समय भी कार को सदैव छांह में खड़ी करें।
-सीतेश कुमार द्विवेदी