इनकी भी दिवाली करें रोशन Importance of diwali festival in hindi
“हमारे समाज में ऐसे बहुत से अभाव-ग्रस्त लोग हैं, जिनके लिए यह रोशनी शायद कोई मायने नहीं रखती।
ऐसे व्यथित लोगों की जिन्दगी में उजाला भरने की एक कोशिश हमें जरुर करनी चाहिए। दिवाली की खुशियां आप जैसे मनाते हैं मनाएं, पर इस त्यौहार की खुशियां दूसरों में भी जरूर बांटें।
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चिराग अगर पड़ोसी के घर में जलता है, अंधेरा कुछ तो मेरे घर से भी निकलता है।।
किसी शायर की कही हुई ये पंक्तियां अपने आप में गहरा अर्थ समेटे हुए हैं। अगर इन शब्दों को दीपावली के सन्दर्भ से जोड़ कर देखा जाए, तो इस त्यौहार का वास्तविक मतलब और मकसद समझ आता है। आज हर घर में बिजली है, चमचमाती लड़ियों, बड़े-बड़े झूमरों और बल्बों की रोशनी में चंद दीपक या मोमबत्तियां जलाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेना बेमानी है।
हमारे समाज में ऐसे बहुत से अभाव-ग्रस्त लोग हैं, जिनके लिए यह रोशनी शायद कोई मायने नहीं रखती। ऐसे व्यथित लोगों की जिन्दगी में उजाला भरने की एक कोशिश हमें जरुर करनी चाहिए। दिवाली की खुशियां आप जैसे मनाते हैं मनाएं, पर इस त्यौहार की खुशियां दूसरों में भी जरूर बाटें। अपने हृदय में मानव-सेवा का भाव उदित करना ही इस पर्व की असली सार्थकता है।
कुछ ऐसे ही मानवीय मूल्यों का संचार पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने अपने श्रद्धालुओं में किया है। पूज्य गुरु जी की पावन प्रेरणा से डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी हर पर्व को मानवता की सेवा में समर्पित होकर मनाते हैं।
गरीब बच्चों की पढ़ाई करवाना, बेसहारा मरीजों का इलाज करवाना, गरीब बेटियों की शादियां करवा देना, असहाय और नि:शक्त लोगों के लिए मकान बनवाकर देना, अभावग्रस्त लोगों के लिए फूड-बैंक और क्लॉथ-बैंक का प्रबंध करना इत्यादि इस तरह के 135 मानवता भलाई के कार्य हैं जो पूज्य गुरु जी की पावन शिक्षाओं के अनुरूप किए जा रहे हैं। ऐसे अनुयायियों के लिए तो साल का हर दिन दिवाली है,
क्योंकि किसी बेसहारा की मदद कर देने में जिस आत्मसुकून की अनुभूति होती है, वह अतुलनीय है।
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तो क्यों न हम सभी इस रोशनी के पर्व पर अपने सामर्थ्य के अनुसार किसी जरूरतमंद व्यक्ति की मदद करके मनाएं! न जाने कितने ही लोग दीपावली के दिन भी अंधेरे की जिंदगी बसर कर रहे होंगे, न जाने कितने ही बच्चे दीपावली के दिन भी भूख से तड़पते हुए सो जाएंगे। आईए इनकी अंधेरी जिन्दगी में भी एक दीप जलाएं! साथ ही खुशियों भरा यह त्यौहार अपने घर-आंगन, मनो-मष्तिष्क को भी तरोताजा करने वाला होता है। ऐसे में घर की साफ-सफाई, रंगोली, नई-नई मिठाइयों, नए कपड़ों इत्यादि से वर्ष भर की मानसिक थकान को खत्म करने का काम भी कर सकते हैं।
तो आइये जानते हैं कि कैसे आप ये सब कर सकते हैं:-
सफाई करें व हिसाब करें:
दिवाली के पहले दिन अर्थात धनतेरस के दिन बर्तन और आभूषण खरीदने का रिवाज है। दिवाली के पहले दिन धनतेरस के पहले ही घर और व्यवसायिक स्थल की अच्छी तरह से सफाई करें। कपडे धोएं, सभी कमरे साफ करें। अपने घर और व्यायसायिक स्थल दोनों जगह के बही खाते या हिसाब-किताब पूरे करें। यह बरसात के कारण होने वाली गंदगी की सफाई करने के समान है, यह ‘सफाई वाली’ रीति से आप खुद को वातावरण में उपस्थित किसी भी तरह के अनावश्यक तत्वों से मुक्त करते हैं।
रंग-बिरंगा बनाएं और सजाएँ:
अपने घर या व्यावसायिक स्थल के मुख्य द्वार को पारंपरिक बनावट की रंगोली की डिजाईन से तैयार करें। इसमें शामिल हैं-घंटियां, फूलों की माला, बंदनवार, दर्पण, एलईडी लाइट्स आदि। धन और संपदा की देवी के स्वागत के लिए यह आनंददायक रास्ता अपनाएं। रंगोली की डिजाईन इन्टरनेट पर खोजी जा सकती हैं या यहां दिए गये सुझावों से आप प्रेरित हो सकते हैं।
रंगोली बनाने की कोशिश करें:

उत्सव के समय हर रात दीपक जलाएं:
शाम के समय, छोटे-छोटे तेल के दीपक (जिन्हें ‘दीया’ कहते हैं) जलाएं और इन्हें अपने घर के चारों ओर रखें। सभी लाइट्स जलाएं और कुछ मोमबत्तियां जलाएं। दीपक ज्ञान या आंतरिक प्रकाश के प्रतीक होते है जो आंतरिक शांति देते हैं और उपेक्षा और अंधकार के किसी भी निशान से लड़ने की शक्ति देते हैं।
कुछ पटाखे और फुलझड़ियां जलाएं:

नए कपडे और आभूषण पहनें:

मिठाइयां और नाश्ते बनाएं:

खेल खेलें:
खेल भी दीवाली के त्यौहार का एक हिस्सा है, जिसमें शामिल हैं: कैरम बोर्ड, लूडो, हाउजी पार्सल पास करो, म्यूजिक चेयर, छुपा-छुपाई आदि। ये सिर्फ बच्चों के लिए नहीं हैं, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए हैं।

































































