सतगुरु के अवर्णीय परोपकार -सम्पादकीय
सच्चा गुरु जीवात्मा और समस्त मानवता पर हमेशा परोपकार करता है। उनके जीवों के प्रति परोपकारों की गिनती की ही नहीं जा सकती। सच्चा गुरु बंदी जीवों (चौरासी लाख जीव जूनियों में कैद जीवात्माओं) को अपने रहमो-करम से लम्बे चौरासी के कैदखाने से आजाद करके कुल मालिक से मिलाने का पुण्य कार्य करता है। गुरु का ऐसा परोपकार अवर्णीय है जिसका लिख-बोल कर वर्णन करना असम्भव है। सच्चा गुरु शिष्य के प्रति कभी निश्चिंत (बेफिक्र) नहीं होता। शिष्य हो सकता है अपने झूठे मान-गुमान में गुरु से मुंह फेर ले, परन्तु गुरु हर पल अपने शिष्य के प्रति चिंतित रहता है।
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बच्चा बड़ा हो जाता है तो माँ बेफिक्र हो जाती है कि अब वह अपने पांवों पर खड़ा हो गया है, परन्तु सच्चा गुरु कभी ऐसा नहीं करता। शिष्य चाहे दुनियादारी में, अपने रुतबे में कितना ही ऊंचा, कितना ही बड़ा क्यों न हो जाए, गुरु की नजर में वह हमेशा नन्हा बच्चा ही होता है। गुरु अपना ध्यान हमेशा अपने उस बच्चे में रखता है कि क्या पता कब उसका पांव दुनियादारी की गंदगी में फिसल जाए और कब उसका मन उस पर हावी होकर उसको राम-नाम यानि भक्ति-मार्ग से हटा दे, और वह अपना अकाज न कर बैठे।
इसलिए सच्चा गुरु, मुर्शिदे-कामिल अपने शिष्य को गाइड करता, समझाता तथा संवारता रहता है। वह अपने रूहानी वचनों से (सत्संग सुना कर) और भगवान को दुआ प्रार्थना करके अपने शिष्य के रास्ते के कांटों (प्रत्येक मुश्किल) को हटाता रहता है। वह शिष्य को हमेशा अपनी नजर में रखता है। दुनियादारी में मां-बाप तो अपने बच्चों को अकेले छोड़ भी देते हैं, परन्तु सतगुरु अपने शिष्य की बाजु यहां इस दुनिया में भी नहीं छोड़ता और परलोक में भी अपनी गोद में लेकर जाता है। वह कहीं भी अपने शिष्य का साथ नहीं छोड़ता। वह जीव को धुर दरगाह में मालिक की गोद में पहुंचाने की पूरी जिम्मेवारी अपने पर ले लेता है।
डेरा सच्चा सौदा के दूसरे पातशाह पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज सच्चे रहबर ने जीवों पर जो रहमो-करम किया है, जो प्रत्यक्ष में सभी साध-संगत देख रही है, ‘सतगुरु रूप बदल कर आया है।’ सतगुरु जी ने जो चाहा, जो फरमाया, जीवोद्धार के लिए अपना अपार रहमो-करम करके दिखाया। डेरा सच्चा सौदा में परम पूजनीय परमपिता जी का महा रहमो-करम जर्रे-जर्रे में प्रदर्शित है। परम पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज को डेरा सच्चा सौदा में बतौर दूसरे पातशाह गद्दीनशीन किया। पूजनीय परम पिता जी ने जीवों के प्र्रति अपना जो रहमो-करम फरमाया, वह लिखने बोलने में नहीं आता। देश-विदेश में आज करोड़ों लोग (साध-संगत) बेपरवाही रहमत से सराबोर हैं।
पूजनीय मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पवित्र रहनुमाई और उनकी प्रेरणा से 28 फरवरी का यह पाक-पवित्र दिवस ‘महा रहमो-करम दिवस’ के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। पवित्र दिवस मुबारक हो।