रक्तदान में आई नई क्रांति
किसी भी दुर्घटना में, भयंकर बीमारी के कारण या अन्य कई कारणों से व्यक्ति को रक्त की आवश्यकता होती है। इस रक्त की पूर्ति अन्य व्यक्ति ही कर सकता है। ऐसे में अगर जागरूक व्यक्ति रक्तदान करता है, तो वह उस जिंदगी को बचा सकता है, जो केवल रक्त की कमी की वजह से इस दुनिया को अलविदा कह सकती है। इसलिए रक्तदान को महादान कहा गया है।
डेरा सच्चा सौदा का रक्तदान में उल्लेखनीय योगदान है। पूज्य गुरु डॉ. संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणा से समाज में रक्तदान के प्रति जन-जागृति आई है। लोग अब नि:संकोच रक्तदान की ओर बढ़ने लगे हैं।
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आपने चलता-फिरता अस्पताल तो बहुत सुना होगा, लेकिन कभी चलता-फिरता ब्लॅड बैंक नहीं सुना होगा। जी हां, दुनियाभर में एक ऐसा ब्लॅड बैंक भी है जो खुद चलकर मरीज के पास पहुंचता है। यहां बात हो रही है डेरा सच्चा सौदा की, यहां के सेवादारों की, समाज के प्रति उनके नजरीये, जो अन्य बातों की परवाह किए बिना तुरंत मरीज को खून देने के लिए पहुंच जाते हैं।
दुनिया भर में रक्तदान के क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित करने वाले डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों को स्वयं पूज्य गुरू संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने चलते-फिरते ब्लॅड बैंक की संज्ञा प्रदान की है। वाकई में सेवादारों का रक्तदान के प्रति जज्बा कमाल का है। ये लोग कभी यह नहीं देखते कि मरीज किस धर्म, किस जात या पात का है, इनका मकसद सिर्फ एक ही होता है कि खून की कमी से मरीज की जान नहीं जाने देनी। ये ऐसे सेवादार हैं जो जरूरत पड़ने पर हजारों किलोमीटर का सफर कर भी रक्तदान करने के लिए पहुंच जाते हैं।
पूज्य गुरु जी ने रक्तदान को महादान बताते हुए अनुयायियों में रक्तदान के प्रति बेमिसाल जज्बा भरा है। उनकी पावन प्रेरणा से लाखों अनुयायी नियमित रक्तदान के लिए फार्म भर कर संकल्प कर चुके हैं, जो इस महादान के लिए हर वक्त तत्पर रहते हैं।
आमतौर पर देखा जाता है कि अनुयायियों के द्वारा हर रोज कहीं न कहीं रक्तदान करके इन्सानियत का फर्ज निभाया जा रहा है। कहीं वो घायलों के लिए और कहीं गर्भवती महिलाओं के लिए रक्तदान करके उनकी मदद कर रहे हैं। वहीं अनुयायियों की ओर से थैलिसीमीया के मरीजों के लिए नियमित रक्तदान किया जा रहा है, जो अनुकरणीय है। यह मुहिम पूरे देश में ही नहीं, बल्कि विदेशोें में भी चलाई जा रही है। डेरा सच्चा सौदा की ओर से रक्तदान के क्षेत्र में किए जा रहे इस अतुल्य योगदान के लिए ‘गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकार्ड्स’ की ओर से 3 बार सम्मानित किया जा चुका है।
14 जून को पूरे विश्व के बहुत सारे देशों में हर वर्ष विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है। इसे हर वर्ष 14 जून को 1868 में पैदा हुए कार्ल लैंडस्टेनर के जन्मदिन पर मनाया जाता है। स्वस्थ व्यक्ति के द्वारा स्वेच्छा से और बिना पैसे के सुरक्षित रक्तदाता (इसके उत्पाद सहित) की जरुरत के बारे में लोगों की जागरुकता बढ़ाने के लक्ष्य से वर्ष 2004 में पहली बार इस कार्यक्रम को मनाने की शुरूआत की गयी थी। रक्तदाता इस दिन एक मुख्य भूमिका में होता है, क्योंकि वो जरुरतमंद व्यक्ति को जीवन बचाने वाला रक्त दान करते हैं।
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डेरा सच्चा सौदा के नाम रक्तदान के रिकार्ड
- 7 दिसम्बर 2003 क ो 8 घंटों में सर्वाधिक 15,432 यूनिट रक्त दान।
- 10 अक्त ूबर 2004 क ो 17921 यूनिट रक्त दान।
- 8 अगस्त 2010 को मात्र 8 घंटों में 43,732 यूनिट रक्त दान।
रक्तदान कौन कर सकता:
- स्वास्थ्य सामान्य होना चाहिए तथा उम्र 18 साल से 60 साल के बीच होनी चाहिए।
- वजन 50 किलोग्राम या इससे अधिक होना चाहिए।
- हीमोग्लोबिन का स्तर 12 .5 जीएम/डीएल से अधिक होना चाहिए।
- दिल की धड़कन 50 से 100 के बीच होनी चाहिए, जो नियमित हो।
- ब्लड प्रेशर सामान्य होना चाहिए।
- सर्दी, खांसी, बुखार आदि व अन्य किसी भी प्रकार की बीमारी न हो।
- पिछली बार रक्तदान किये तीन महीने हो जाने चाहिए।
रक्तदान कौन नहीं कर सकता:
- ऐसा व्यक्ति जो एचआईवी पॉजिटिव हो।
- ऐसा व्यक्ति जिसे दिल का दौरा पड़ चुका हो, उच्च रक्तचाप हो, किडनी से सम्बंधित रोग हो या डायबिटीज हो।
- पिछले छह महीने के दौरान कान छिदवाये हों या शरीर पर कहीं टैटू बनवाया हो।
- पिछले छह महीने के दौरान किसी बीमारी से बचने के लिए वेक्सीन लगवाया हो, जैसे हेपेटाइटिस बी का वेक्सीन आदि या रेबीज का इलाज लिया हो।
- यदि कभी मिर्गी, टीबी, अस्थमा या एलर्जी आदि से ग्रस्त हो।
- ऐसी महिला जो गर्भवती हो या स्तनपान कराती हो।
- पिछले एक महीने के दौरान किसी प्रकार का आॅपरेशन हुआ हो या दांत का बड़ा इलाज करवाया हो।
- जिस महिला को पिछले छह महीने के दौरान गर्भपात हुआ हो।
ध्यान रखने योग्य बातें:
- खून देने से पहले तथा बाद में पानी खूब पीना चाहिए।
- रक्तदान के समय शांत रहना चाहिए। संगीत का आनंद ले सकते हैं। बातें कर सकते हैं।
- ब्लड डोनेशन से पहले अधिक वसा युक्त या तला हुआ भोजन, पिजा, बर्गर, आइसक्रीम आदि नहीं खाना चाहिए। क्योकि रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने पर रक्त की जांच नहीं हो पाती और दिया हुआ खून व्यर्थ जा सकता है।
- रक्तदान के बाद उस दिन बहुत भारी सामान नहीं उठाना चाहिए। बहुत कड़ी कसरत नहीं करनी चाहिए। सामान्य कार्य कर सकते हैं।
“रक्तदान करके अगर किसी की जान बचाई जा सकती है, तो यह बहुत पूण्य का काम है। मानवता के नाते मनुष्य को रक्तदान करना चाहिए। रक्तदान करने से शरीर में कोई कमजोरी नहीं आती, ब्लकि पहले की अपेक्षा अच्छा रक्त बनता है और शरीर में ताजगी महसूस होती है।’’
–पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां