मेंटल हेल्थ के लिए भी खेलें होली
होली के दिन सुबह से ही यह आवाज कानों में गूंजने लगती है, ‘बुरा न मानो, रंगों की होली है।’ जब हम किसी बात का बुरा मानते हैं, तो उसे दिल से लगा लेते हैं। यानी हमारा मन या मेंटल हैल्थ प्रभावित होता है। लेकिन जैसे ही हम होली के रंग एक-दूसरे के चेहरे पर मलते हैं, तो सारे गिले-शिकवे भूल जाते हैं। हमारा मन खुशियों से भर जाता है। तनाव या स्ट्रेस हमसे कोसों दूर भाग जाता है। मनोचिकित्सक भी यही कहते हैं कि होली हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए बढ़िया है।
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होली खेलने पर हमारा स्ट्रेस और एंग्जाइटी लेवल घट जाता है।
रंग शांत महसूस कराते हैं:
मनोचिकित्सक के अनुसार, अलग-अलग तरह के रंग हमें अच्छा और शांत महसूस कराते हैं। ब्राइट कलर आपको बढ़िया महसूस करा सकते हैं। आप किसी समस्या से परेशान हैं और आप होली के अलग-अलग रंगों से खेलते हैं, तो लाल, गुलाबी, पीले जैसे चमकीले रंग हमारी भावनाओं को बाहर निकलने में मदद करते हैं। रंग अच्छी और बुरी दोनों तरह की भावनाओं को बाहर लाने में मदद करते हैं। रंग हमारे व्यवहार को भी प्रभावित करता है।
ब्रेन पर रंगों का पड़ता है प्रभाव:
होली के दौरान खेले जाने वाले ब्राइट कलर और खुशनुमा वातावरण व्यक्ति को सभी परेशानियों को भूलने के लिए मजबूर कर सकते हैं। रंग हमारे जीवन में एक खास तरह की जीवंतता लाता है। जीवंत वातावरण निश्चित तौर पर मस्तिष्क को आराम और सुकून देता है।
रंग और मस्तिष्क का संबंध:
जब हम ब्राइट कलर देखते हैं, तो यह मस्तिष्क के लिए उत्प्रेरक का काम करता है। मस्तिष्क अच्छी भावनाओं से भर जाता है। चमकीले रंग हमारे अंदर आंतरिक चमक और खुशी का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनसे हमें खुशी मिलती है। इससे मूड में सुधार होता है। यदि आप किसी प्रकार की समस्या का सामना कर रही हैं, तो होली के रंगों और माहौल का हिस्सा बनें। किसी खास रंग की पसंद के पीछे आपकी अपनी च्वाइस काम कर सकती है। हर व्यक्ति की पसंद अलग-अलग होती है। लेकिन रंगों का हमारे मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है।
क्या कहती है रिसर्च:
फ्रंटियर्स आॅफ साइकोलॉजी जर्नल में रंगों के मेंटल हेल्थ पर प्रभाव की स्टडी की गई। शोधकर्ता मीयर और रॉबिन्सन ने अपने निष्कर्ष में बताया कि खुशी, गम, क्रोध प्रकट करना, ये सभी मेंटल स्टेटस को दर्शाते हैं। लोग अपनी भावनाओं को रंगों से जोडकर प्रकट करते हैं। सफेद को खुशी या प्योरिटी से जोड़ कर देखते हैं। वहीं दु:ख या गम को काले रंग से जोड़कर और क्रोध को लाल से जोड़कर बताते हैं।
सामाजिक समारोह में होता है कम्युनिकेशन:
होली त्यौहार से हमें एक और फायदा मिलता है कि होली के अवसर पर हम अपने दोस्तों और परिजनों से मिलते-जुलते हैं। एक-दूसरे के पीछे रंग लेकर दौड़ते-भागते हैं। एक-दूसरे से संवाद स्थापित करते हैं। मिलने-जुलने और बातचीत करने से हमारा माइंड रिलैक्स होता है और खेलने से शरीर की स्ट्रेचिंग भी हो जाती है। लोगों से मेलजोल हमें आनंद और मस्ती से भर देता है। अपने दिमाग को तंदुरुस्त रखने के लिए इस बार जरूर खेलें होली। -स्मिता सिंह
(साभार हेल्थ शॉट्स)