पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज की अपार रहमत
बहन सन्तोष कुमारी इन्सां पत्नी प्रेमी राम गोपाल इन्सां, आदमपुर मंडी, जिला हिसार से परम पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की अपार दया, मेहर का इस तरह वर्णन करती है:-
सन् 1973 की बात है कि मेरे पति श्री राम गोपाल आदमपुर में सरकारी अध्यापक लगे हुए थे। हमने परम पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज से नाम, गुरमंत्र लिया हुआ है। हम डेरा सच्चा सौदा सरसा में सत्संग पर आया करते थे। आदमपुर में भी काफी प्रेमी परिवार थे। नामचर्चा भी होती थी। आदमपुर की साध-संगत का आपस में बहुत प्रेम था।
अगले वर्ष मेरे पति की बदली आदमपुर से पिरथला गांव में कर दी गई। पिरथला में उस समय परम पिताजी के बहुत ही कम प्रेमी थे और वह भी न तो सत्संग पर आते थे और न ही वहां नामचर्चा का कोई प्रोग्राम करते थे। मालिक के प्रेमीजनों को अगर उनके प्यारे प्रेमीजन, सत्संग, नामचर्चा या कुल मालिक की संगत न मिले तो उनको अपना जीवन खुश्क लगता है और वह नगरी उजाड़, शमशान लगती है। ठीक यही हालत हमारी भी हो गई थी। पिरथले से हम कई-कई महीने सच्चा सौदा आश्रम नहीं आ सके थे। हम हर वक्त उदास ही रहते थे।
मार्च 1976 में मैं डेरा सच्चा सौदा सरसा माहवारी सत्संग पर आई हुई थी। मुझे सत्संग में शब्द बोलने का मौका मिल गया। पूजनीय परम पिता जी ने कुल मालिक के प्रेम व शब्द की सेवा बदले एक रुमाल तथा एक साबुन की टिक्की की दात मुझे बख्शी। घट-घट व पट-पट की जानने वाले दयालु सतगुरु परम पिता जी ने मुझे वचन किए कि बेटा! कोई बात करनी है तो कर सकती हो भाई! मेरी खुद की भी इच्छा थी कि मैं हमारी समस्या के बारे अपने सतगुरु पूजनीय परम पिता जी को अर्ज करूं। मैंने हाथ जोड़ कर अर्ज की, पिता जी, मेरे पति की बदली पिरथला गांव की हो गई थी। ना तो वहां कोई प्रेमी है, ना राम-नाम की कोई बात है। दरबार से बहुत दूर है। आदमपुर में वापिस बदली करवा दो। आदमपुर यहां से नजदीक है तथा वहां नामचर्चा भी होती है। मेरी जायज समस्या सुन कर पूजनीय सर्व सामर्थ सतगुरु जी ने वचन किए, ‘बेटा! दो महीने दे अन्दर-अन्दर तुहाडी बदली हो जावेगी।’
दिनांक 16 मई दिन के बारह बजे जब मैं सो रही थी तो मुझे परम पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने सपने में दर्शन दिए। मेरे सिर पर अपना पवित्र कर-कमल रखा तथा वचन फरमाए, ‘बेटा! तुहाडी बदली आदमपुर हो गई है।’ मैं तुरन्त उठ खड़ी हुई और परम पिता जी अदृश्य हो गए। मुझे परम पिता जी के नूरी दर्शन करके जितनी खुशी मिली, इतनी कभी नहीं मिली। मैँने अपने पति को परम पिता जी के वचनों के बारे में बताया तो उन्होंने शिक्षा विभाग में अपनी बदली बारे में पता किया तो पता चला कि जिस दिन परम पिता जी ने दृष्टान्त दिखाया था,
उसी दिन बदली के आर्डर सरकारी हाई स्कूल सनियाना में पहुंच गए थे। मेरे पति ने आर्डर प्राप्त करके 19 मई को आदमपुर में ज्वाइन कर लिया। इस प्रकार परम पिता जी ने अपनी दया मेहर करके अपने बच्चों को अपने नजदीक बुला लिया। मैं अपने सतगुरु के परोपकारों का बदला कैसे भी नहीं चुका सकती। बस उनका शुक्राना ही करती रहती हूं।