Experiences of Satsangis: सतगुरु जी ने बकरों के बहाने पोते बख्शे
सत्संगियों के अनुभव Experiences of Satsangis पूजनीय सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज का रहमो-करम
सतगुरु जी ने बकरों के बहाने पोते बख्शे Satguru spared grandchildren on the pretext of goats
सचखण्डवासी सेवादार मक्खन सिंह पुत्र श्री...
सुमिरन के लिए अलसुबह आकर उठाते प्यारे मुर्शिद
सत्संगियों के अनुभव : पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की अपार रहमत
सुमिरन के लिए अलसुबह आकर उठाते प्यारे मुर्शिद
प्रेमी राम गोपाल इन्सां पुत्र सचखण्डवासी कृष्ण चन्द रिटायर्ड एस.ई. सिंचाई विभाग (हरियाणा) निवासी शाह सतनाम जी नगर सरसा ने अपने जीवन से जुड़ी अनमोल यादों एवं सतगुरु की रहमत का इस प्रकार बखान करते हुए बताया कि सन् 1990 की बात है। उस समय हम सपरिवार भाखड़ा ब्यास मैनेजमैंट बोर्ड की कालोनी हिसार में रहते थे।
दातार की रहमत से बेटे की मुराद हुई पूरी
सत्संगियों के अनुभव : पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपार रहमत
दातार की रहमत से बेटे की मुराद हुई पूरी
मास्टर सुरेशपाल इन्सां पुत्र श्री देस राज इन्सां गाँव झरौली खुर्द डाकघर कलसानां जिला कुरुक्षेत्र(हरियाणा), पूज्य गुरु जी की अपार रहमत का वर्णन करते हुए बताते हैं कि मेरे दो पुत्रियां थी, परन्तु मन में हमेशा यही ख्याल रहता कि अगर वाली दो जहान पूज्य सतगुरु जी एक पुत्र बख्श दें तो बहुत बढ़िया हो जाए।
जो मांगा वही देता गया मेरा सार्इं
सत्संगियों के अनुभव : पूजनीय सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज का रहमो-करम - जो मांगा वही देता गया मेरा सार्इं
प्रेमी हरीचंद पंज कल्याणा सरसा शहर(हरियाणा) से पूज्य बेपरवाह मस्ताना जी महाराज की अपार दया मेहर का वर्णन इस प्रकार करता है:-
जो पीठ पीछे से भी दर्शन कर लेगा, नरकों में नहीं जाएगा
एक बार पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज किसी गाँव में सत्संग फरमाने गए हुए थे। उस गाँव में एक परिवार का एक व्यक्ति अत्याधिक शराबी-कबाबी व दुराचारी था।
बन आए जिन्दाराम के लीडर
रूहानी बख्शिश का होना आध्यात्मिकतावाद का अनोखा व दुर्लभ वृत्तान्त होता है। कोई ईश्वरीय ताकत ही इस पदवी को हासिल कर सकती है।
आचरण सुधारें, सभ्य बनें
आम जीवन में बहुत बार ऐसा देखने में आता है कि लोग छोटी-छोटी आदतों से असभ्य आचरण कर जाते हैं। हालांकि कहना गलत नहीं होगा कि उन्हें भी अपनी इन आदतों के बारे में ज्ञान नहीं होता, जिसकी वजह से वे ऐसा आचरण कर बैठते हैं।
सतगुरु जी ने अपने शिष्यों की मांग पूरी की
सन 1952 की बात है कि मेरे गांव के कुछ सत्संगी भाइयों ने डेरा सच्चा सौदा सरसा में पहुँच कर बेपरवाह मस्ताना जी के चरण-कमलों में विनती की कि शहनशाह जी हमारे गांव में सत्संग करो जी। बेपरवाह जी ने उनकी विनती मंजूर कर ली।
मेरा सतगुरु ‘मोया राम’ नहीं, वो ‘जिंदाराम’ है
फरवरी 1960 में मेरी शादी हुई। जब शादी हुई तो मेरे पति बीमार थे। वह इतने बीमार थे कि कुछ खाते-पीते नहीं थे। हर कोई कहता था कि ये बचेंगे नहीं, चोला छोड़ेंगे। उन दिनों में बेपरवाह मस्ताना जी महाराज डेरा सच्चा सौदा रानियां में पधारे हुए थे।
भयानक कर्म भी कट जाते हैं।
मेरा लड़का हरजिन्द्र सिंह उम्र 35 वर्ष मोटरसाइकिल पर गाँव से पीलीबंगा आ रहा था। अचानक उसकी आँख में मच्छर वगैरा कुछ पड़ गया। वह आँख मसलने लगा तो मोटर साईकिल का बैलेंस बिगड़ गया और वह पक्की सड़क पर जोर से गिर पड़ा। उसी समय मेरे पास पीलीबंगा से फोन आया कि आपके लड़के हरजिन्द्र का एक्सीडैंट हो गया है।