मीठे बोल जीत सकते हैं सबका मन
जीवन की आपाधापी एवं भागमभाग में हम एक-दूसरे के लिए कम समय ही निकाल पाते हैं और इसमें भी मिठास की जगह कठोर शब्दों के बोलचाल की अधिकता होती है। सच तो यह है कि जितना असर कहे गए शब्दों का होता है, उतना किसी वस्तु या जÞख्म का भी नहीं होता।
हम अपनी वाणी में मधुरता एवं कठोरता दोनों ही रखते हैं पर जाने-अनजाने कठोरता का ही अधिक उपयोग करते हैं। इस आदत को धीरे-धीरे दिनचर्या बना लेने से नतीजा यह निकलता है कि हमारी भाषा कटु हो जाती है तथा लोगों को आहत करने लगती है। हमारे प्रति हमें पसंद करने वालों, चाहने वालों एवं पूछने वालों का दायरा छोटा होने लगता है और धीरे-धीरे हमारे लिए उनकी सोच भी बदल जाती है।
आपने देखा भी होगा कि कुछ लोग बोलते हैं तो ऐसा लगता है मानो फूल झड़ रहे हों जबकि कुछ लोगों से बात करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि इनके मुंह से शब्द ऐसे लगते हैं जैसे जहर में बुझे तीर। भाषा के मनीषियों का कथन है कि वाणी ऐसा ब्रह्मास्त्र है जिसे मिठास के धनुष से छोड़ने पर बड़े-बड़े काम बड़ी ही आसानी से निकलवाए जा सकते हैं जबकि कटु वाक्यों का इस्तेमाल करने से बने-बनाये काम भी बिगड़ जाते हैं।
मान लीजिए आप कोई सफर कर रहे हैं और गाड़ी में आपके बैठने हेतु कोई सीट खाली नहीं है। ऐसे में यदि आप मिठास से किसी से विनम्रतापूर्वक कुछ जगह देने का आग्रह करेंगे तो इस बात की बहुत ही कम संभावना है कि बैठा व्यक्ति आपको थोड़ी सी जगह न दे पर यदि इसके विपरीत आप कठोरता एवं गुस्से से जगह मांगेंगे तो एक तो इतने लोगों पर आपका गलत इंप्रेशन पड़ेगा और दूसरे जगह मिलेगी या नहीं, इसका फैसला आप स्वयं कीजिए।
हमेशा यह ध्यान रखिए कि मुंह से निकला शब्द एवं धनुष से छूटा तीर कभी नहीं लौटते, ठीक वैसे ही जैसे कि नदी में उतरो और भीगने से बच जाओ। ऐसा भी संभव है पर तब जबकि नदी में पानी न हो पर ऐसी स्थिति को आने ही क्यों दिया जाए। कड़े वाक्यों को अपनी बोलचाल में जगह ही क्यों दें। क्यों न सामने वाले इन्सान पर अपनी मीठी बोली का ऐसा जादू बिखेरा जाए कि वह हमसे दोस्ती करने के लिए हमारे काबू में हो जाए।
मीठी वाणी इस्तेमाल करने का एक फायदा यह भी है कि भले ही आप कुछ न हों पर यदि बोलचाल में रस झलकता है तो दूसरों को अपनी तारीफ करने के लिए अवश्य प्रेरित कर देंगे। ऐसे लोग सबको पसंद भी आते हैं जो अनजाने लोगों में जल्दी घुल-मिल जाते हैं और अपनी बोलचाल से दूसरों का दिल जीत लेते हैं।
हमेशा यह ख्याल रखिए कि व्यवहार में कोमल और मीठी वाणी की प्रकृति अपनाने से किसी को अपना दोस्त भी बनाया जा सकता है और कटु भाषा अपनाकर किसी को दुखी भी किया जा सकता है। चूंकि शत्रु बनाना सरल है एवं मित्र बनाना दुष्कर। अत: सदैव छोटे मार्ग की अपेक्षा लंबे एवं चुनौती भरे रास्ते को चुनना चाहिए अर्थात वाणी के प्रभाव से दोस्तों की तादाद बढ़ानी चाहिए।
भले ही कोई कितना बुरा हो, उसे सुधारने के लिए भी मीठे बोलों का ही उपयोग करना चाहिए। हमें किसी से भी बातें करते वक्त भाषा में इतनी मधुरता, नम्रता एवं सौम्यता का समावेश रखना चहिए कि सुनने वाला हमसे अभिभूत हुए बिना न रह सके। सामने वाले के मुंह से बरबस ही यह निकल पड़े कि वाणी ही सर्वोत्तम आभूषण है, इसलिए बोलिए पर मीठा, मीठा बस मीठा।
– अजय विकल्प