अनूठा रिकॉर्ड 27 वर्षीय जगतार इन्सां ने हासिल किए एक हजार 26 सर्टिफिकेट
कोरोना काल में उत्तीर्ण किए 408 कोर्स
स्टडी संग निभाया अपना फर्ज
जगतार इन्सां के सिर से बचपन में ही माता-पिता का साया उठ गया। ऐसे में उसके कंधों पर बचपन में ही घर की जिम्मेदारी आ गई। वह इस समय अपनी 85 वर्षीय दादी शांति देवी इन्सां के साथ रहता है। घर की जिम्मेदारियों को निभाने के साथ-साथ उसने अपनी स्टडी को भी जारी रखा हुआ है। जगतार ने ये साबित कर दिखाया कि अगर मन में कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो कुछ भी असंभव नहीं है।
अगर मन में कुछ करने की चाहत हो तो दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है सरसा जिला के गांव श्री जलालआणा साहिब निवासी जगतार सिंह इन्सां ने छोटी सी उम्र में ही अपनी प्रतिभावान के दम पर कई रिकॉर्ड अपने नाम करते हुए अपने गांव का नाम रोशन किया है। जगतार इन्सां ने कोरोना काल के दौरान उसने घर पर रहकर 408 आॅनलाइन शिक्षा कोर्स में हिस्सा लेते हुए सभी कोर्स उत्तीर्ण कर सर्टिफिकेट हासिल करते हुए अपने आप में अनूठा रिकॉर्ड बनाया। जिसके कारण उसका नाम इंटरनेशनल बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हुआ।
12वीं की परीक्षा के बाद आईटीआई करने वाले जगतार सिंह इन्सां ने अब तक सबसे ज्यादा 1 हजार 26 सर्टिफिकेट हासिल करने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है। ये सर्टिफिकेट उसे स्टडी व सोशल अवेयरनेस के क्षेत्र में मिले हैं। जिसमें कंप्यूटर के विभिन्न कोर्स, मेडिसिन से संबंधित, साइबर सिक्योरिटी, डिजीटल मार्केटिंग सहित अन्य कोर्स शामिल हैं। वहीं सोशल अवेयरनेस में नशा मुक्ति, दहेज प्रथा, स्वच्छता अभियान, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, जनसंख्या नियंत्रण व प्लास्टिक आदि अन्य कार्य शामिल है।
जिसके चलते उसका नाम इंडिया बुक आॅफ रिकॉर्ड व एशिया बुक आॅफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। जगतार इन्सां ने 27 वर्ष की उम्र में ही एक हजार 26 सर्टिफिकेट हासिल कर इंटरनेशनल बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, इंडिया बुक आॅफ रिकॉर्ड व एशिया बुक आॅफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाकर अपने परिजनों व गांव का नाम चमकाया है। इसके अलावा उसे वर्ष 2021 का बेस्ट अचीवर अवार्ड भी दिया गया था।
जगतार इन्सां ने साइबर सिक्योरिटी में कार्य करने की इच्छा जताई है, इसके लिए वह आॅनलाइन तैयारी कर रहा है। जगतार इन्सां की इन उपलब्धियों पर सांसद सुनीता दुग्गल व जिला प्रशासन की ओर से उसे सम्मानित किया जा चुका है। जगतार इन्सां ने इस उपलब्धि का श्रेय पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को दिया है। उसका कहना है कि पूज्य गुरु जी के पावन आशीर्वाद के चलते ही वह ये उपलब्धि हासिल कर पाया है। -राजू, ओढां।