सर्व धर्म संगम डेरा सच्चा सौदा -सम्पादकीय
डेरा सच्चा सौदा एक सर्व धर्म पवित्र स्थान है, जहां सब जात, धर्म के लोग इक ट्ठे एक जगह पर बैठते हैं और अपने-अपने धर्म-ईष्ट, अपने अल्लाह, वाहेगुरु, राम, गॉड, खुदा, रब्ब को याद करते हैं।
सभी धर्माें के लोग अपने-अपने धर्मांनुसार परम पिता परमात्मा की भक्ति-इबादत में इकट्ठे बैठते हैं इसलिए यह सर्वधर्म प्रिय, सर्व धर्म संगम है डेरा सच्चा सौदा।
अकसर कहा जाता है कि अनेकता में एकता का नाम ही देश भारत है। यहां देश में हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई आदि सभी धर्माें के लोग हैं और सभी को अपने-अपने धर्म के अनुसार राम-नाम, भक्ति-इबादत करने का बराबर हक है। जोकि हमारे देश का सुखद पहलू हैं, हमारे लिए बहुत अच्छी बात है। यही हमारे देश की संस्कृति है, जिसकी रक्षा करना, इसके अनुसार चलना देश के हर नागरिक का फर्ज है। हमारे भारत देश की संस्कृति के अनुसार देश का हर नागरिक प्रथम: भारतीय है, हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई बाद में।
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यह भी देश भक्तों की अच्छी सोच है, बहुत अच्छे विचार हैं यह उनके। धर्म-जात से ऊपर उठकर अपने देश के प्रति ऐसी नेक भावना रखना बहुत ही बड़ी बात है। तीसरी यह बात देश के लिए सराहनीय है जो कहा जाता है ‘हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई। सब आपस में भाई-भाई।’ यानि भारतीय होने के नाते हम सब बहन-भाई एक हैं, दो या कोई और नहीं और यही एकता का संदेश गुरु साहिबानों सहित सभी महापुरुषों का भी है।
उनके अनुसार जीव-प्राणी एक मालिक के नूर से ही पैदा हुए हैं और सबके अंदर एक ही मालिक का नूर-ए-जलाल (जीवात्मा) है। ‘एक पिता एकस के हम बारिक।’ किसी भी धर्म या रूहानी महापुरुषों ने भी दो या कुछ और तो कुछ कहा ही नहीं। लेकिन यहां पर यह विचार करने वाली बात है कि क्या वास्तव में इन्सान अपने धर्म के अनुसार चल रहा है? क्या वास्तव में इन्सान अपने गुरु, पीर द्वारा धर्म में दर्शाए रूहानी संतों, गुरु, पीर-फकीर, के वचनों को मानता है? अगर वास्तव में ही ऐसा हो, गुरु-पीर के वचनों का अनुसरण करे तो अति भाग्यशाली और सबसे विकसित बन सकता है यह हमारा देश भारत। भगवान से दुआ है कि ऐसा हो जाए।
सभी लोग, सभी देशवासी एकता की डोरी में बंध जाएं। लेकिन व्यवहार में बहुत भेदभाव देखने में आता है। क्या कोई हिन्दू भाई मस्जिद में, मुस्लमान मंदिर में, सिक्ख गिरजाघर में और ईसाई गुरुद्वारा साहिब में बैठकर अपने धर्म ईष्ट की बात या अपने धर्म के अनुसार भक्ति-इबादत कर सकता है? लेकिन व्यवहारिक रूप में ऐसा कहीं भी देखा-सुना नहीं जाता। अगर व्यवहारिक रूप में ऐसा ही हो जाए तो ही हम एक और एकता की सार्थकता को प्रमाणित कर सकते हैं।
यहां पर किसी से कोई तुलना या किसी को छोटा या बड़ा बताने वाली बात नहीं हो रही, बल्कि जो सच्चाई है वही यहां पर कही जा रही है। पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज डेरा सच्चा सौदा की पहली पातशाही और डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक जिन्होंने डेरा सच्चा सौदा नाम से यह ऐसा सर्व धर्म पवित्र स्थान बनाया है, यहां हिन्दू भी आते हैं, इस्लाम धर्म को मानने वाले मुस्लिम भाई भी आते हैं तथा सिक्ख धर्म व ईसाई धमर् को मानने वाले भी बहुत बहन-भाई आते हैं। पूरी दुनिया में ऐसे सभी धर्माें से डेरा श्रद्धालुओं की संख्या हजारों या लाखों में नहीं, करोड़ों में है।
छह करोड़ से ज्यादा डेरा श्रद्धालु पूरी दुनिया में हैं और जो कि सभी धर्मोें से हैं और यह सच्चाई है कि डेरा सच्चा सौदा में आप सभी धर्माें के लोगों को एक साथ एक जगह पर देख सकते हैं। बिना किसी रोक टोक के सब लोग अपने अपने धर्म के अनुसार भक्ति इबादत में इकट्ठे बैठते हैं। यानि हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आपस में सब भाई-भाई की सार्थकता को देखना है तो आप यहां सच्चा सौदा में देख सकते हैं। पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने राजस्थान, हरियाणा, पंजाब के गांव-गांव में सत्संग लगाए।
वहीं पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में हजारों सत्संग लगाकर 11 लाख से ज्यादा लोगों को राम नाम से जोड़कर उन्हें बुराइयों से मुक्त कर जीव आत्मा का उद्धार किया। पूज्य गुरु जी ने 6 करोड़ से ज्यादा लोगों को सच्चा सौदा से जोड़ा है। रूहानी सत्संगों में सभी धर्मों की शामूलियत होती है। पूज्य बेपरवाह जी ने यह पवित्र स्थान डेरा सच्चा सौदा सर्वधर्म संगम बनाया है। सर्व धर्म की यह असलियत डेरा सच्चा सौदा में आज भी ज्यों की त्यों मौजूद है।