जन्म से अंधे-बहरे बच्चे को दिखने व सुनने लगा
पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपार रहमत
सत्संगियों के अनुभव
प्रेमी घनश्याम दास इन्सां पुत्र श्री चन्द्रभान निवासी भूना, जिला फतेहाबाद, (हरियाणा)।
दिनांक 25 जून 2015 को मेरे दोहते पुर्वांश ने जन्म लिया। पाँच महीनों के बाद पता चला कि उसे दिखाई नहीं देता। हमने उसे फतेहाबाद, सिरसा व चण्डीगढ़ के हस्पतालों में अच्छे-अच्छे विशेषज्ञ डॉक्टरों को दिखाया व चैकअप करवाया। सभी डाक्टरों ने यही कहा कि बच्चे की नस डैमेज है।
डाक्टरों ने हमें यह भी बताया कि इसे दिखाई नहीं देता और सुनता भी नहीं है। डाक्टरों की एक राय थी कि इसका इलाज संभव नहीं है।
जब किसी भी ओर से बच्चा ठीक होता न दिखा तो हम बच्चे को लेकर डेरा सच्चा सौदा सरसा में पहुँच गए। बच्चे को परम पूजनीय हजूर पिता संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की हजूरी में पेश हुए। हजूर पिता जी के वचनानुसार कि जो कोई बीमार है, बीमारी वाला प्रशाद ले सकता है। दवाई लेने से पहले आध-पौना घण्टा नाम का सुमिरन करना है। रोगी के पारिवारिक मैम्बर भी उसके लिए सुमिरन कर सकते हैं।’
पूज्य हजूर पिता जी ने फरमाया कि अपने दरबार में जन कल्याण परमार्थी शिविर लगना है। उसमें बड़े-बड़े डाक्टर आएँगे। उनको भी दिखाया जा सकता है।
मैंने अपने दोहते को पहले पूज्य हजूर पिता जी की दया दृष्टि वाला (बीमारी ठीक करने वाला प्रशाद) दिलाया। फिर 15 दिसम्बर को परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की याद में लगे याद-ए-मुर्शिद आँखों के मुफ्त विशाल शिविर में बच्चे को डा. शर्मा (एम्स) को दिखाया।
अब डॉक्टर शर्मा ने बच्चे का चैक-अप किया। मैंने डॉक्टर से पूछा कि क्या बच्चे की आँखों की रोशनी आ सकती है? डाक्टर साहब ने कहा कि पूजनीय पिता जी पर विश्वास रखो और सुमिरन करो तो रोशनी जरूर आ जाएगी। डाक्टर साहब ने बच्चे को दवाई दे दी।
जैसे-जैसे डाक्टर ने बताया था, हमने वैसे-वैसे ही किया। धीरे-धीरे बच्चे को दिखने भी लग गया और सुनने भी लग गया। अब वह सतगुरु की रहमत से काफी हद तक ठीक है। मेरी पूज्य हजूर पिता जी के पवित्र चरणों में यही विनती है कि हमेशा अपनी दया-मेहर बनाए रखना जी।