कोई भी बीमारी हो जाए तो लोगों को गोली खाना आसान लगता है। किसी भी बीमारी से बचने के लिए 10-11 गोली रोज खाने को तैयार हो जाते हैं जबकि जीवनशैली को बदलकर अनेक बीमारियों और गोलियों से बचा जा सकता हैं। लोग आजकल सरल तरीके अर्थात् स्वस्थ जीवनशैली (Healthy Lifestyle) को न अपनाकर गोलियों के सहारे किसी भी बीमारी से राहत चाहते हैं। कारणों को दूर करना ही नहीं चाहते।
दवा की गोली की जरूरत नहीं है किन्तु हम उसे अब जरूरत ही नहीं अपितु जरूरी भी बनाते जा रहे हैं। दवा गोली को शार्टकट मानना नासमझी है। सभी दवाओं का अपना दुष्प्रभाव होता है जो शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं। ये दवाएं कुछ दिन के बाद अपने आप नाकारा हो जाती हैं। इन्हें बदलना पड़ता है जबकि स्वस्थ जीवनशैली हर दृष्टि से लाभदायी है। यह शरीर, स्वास्थ्य और सम्पत्ति बचाती है। स्वस्थ जीवनशैली का जीवन भर महत्त्व रहता है। स्वस्थ रहने के लिए गोली बदलने, डॉक्टर बदलने की अपेक्षा अनियमित, जीवनशैली की जगह पर स्वस्थ संयमित जीवनशैली अपनाएं।
जल्दी सोएं, जल्दी जागें:- सभी की जिंदगी में जल्दी सोने एवं जल्दी जागने का बड़ा महत्त्व है। जैविक घड़ी जो सूर्य पर आधारित है, उसके अनुसार सोने, जागने का बड़ा महत्त्व है। सुबह की हवा को अमृत व प्राण वायु कहा गया है यह सौ रोगों की एक दवा है। फैलते उजाले को देखना एवं प्रकृति का प्रात: रूप अद्भुत अनुभूति कराता है। उगते सूरज की स्वर्णिम किरणों से अद्वितीय लाभ मिलता है। तन-मन इससे प्रफुल्लित रहता है।
योग-प्राणायाम श्रम-व्यायाम:- आलस शरीर को रूग्ण बनाता है। योग, प्राणायाम एवं श्रम व्यायाम शरीर को स्वस्थ लाभ दिलाता है। इससे शरीर चुस्त-दुरुस्त एवं स्वस्थ चंचल रहता है। यह शरीर को सक्षम एवं लचीला बनाता है। व्यायाम के रूप में पैदल चलना, दौड़ना, कूदना, रस्सी कूदना, साइकिल चलाना, तैरना, नाचना आदि किसी को शामिल किया जा सकता है। श्रम करने से पीछे हटना गलत है।
साफ-सफाई:- अपने बाहर, भीतर एवं घर के बाहर भीतर की साफ-सफाई से शरीर भी स्वस्थ रहता है। स्वच्छ धुले कपड़ों से शरीर सदैव तरोताजा रहता है। जो सर्वत्र स्वच्छता को अपनाता है, वह सदैव निरोगी रहता है।
नियमित नाश्ता:- रात्रि भोजन के बाद लंबा अंतराल हो जाता है। अतएव ऐसे में नाश्ते की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती हैं यह पूर्ण पौष्टिक होना चाहिए। यह दिन की कार्यक्षमता एवं एकाग्रता को बढ़ाता है। दिमाग को दुरुस्त रखता है।
जल पान:- जल पान अर्थात् पानी का सेवन करना। हमें दैनिक पर्याप्त मात्रा में पानी को घूंट-घूंट करके पीना चाहिए। पानी से दिमाग में तरावट रहती है। गर्मी नहीं चढ़ती है। यह शरीर के विषैले तत्वों को बाहर निकलता है। त्वचा को नम, चिकनी एवं चमकीली बनाता है। यह शरीर के अंगों में पानी के स्तर को बनाए रखता है। यह शरीर को युवा बनाए रखता है। यह शरीर का ताप नियंत्रित रखता है। प्यास लगने का इंतजार न कर नियमित पानी पीते रहना चाहिए।
तनाव-अवसाद से बचें:- तनाव, अवसाद जीवन की कार्यक्षमता प्रभावित करते हैं जिससे शरीर बीमार होता है इससे बचें। चिंता एवं हड़बड़ी से दूर रहें।
हंसो-हंसाओ:- हंसी भी दवा का काम करती है, अतएव जब भी अवसर मिले, जी भरकर हंसना चाहिए। हंसी से स्वास्थ्य एवं कार्यक्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
संयमित आहार:- आहार पौष्टिक सुपाच्य हल्का व सादा हो। भोजन को आराम से चबा-चबाकर ग्रहण करें। आहार में फल-सब्जी, सलाद, सूप, रायता, दहीं को शामिल करें। चाय, काफी आदि बचें। भोजन में तेल, नमक, शक्कर, मैदा, घी कम कर दें।
भरपूर नींद लें:- रात को भोजन हल्का हो। सोने से पूर्व हाथ, पैर, मुंह धो लें। हल्का गर्म, मीठा दूध पिएं। जब भी नींद आए, बिस्तर पर जाएं। नींद भरपूर लें। जल्द सोएं, जल्दी जागें, ऐसा प्रयास करें। नींद से बीमारी दूर होती है। व्यक्ति निरोग रहता है। शरीर की टूट-फूट की मरम्मत होती है। दिल, दिमाग एवं शरीर स्वस्थ रहता है।
– सीतेश कुमार द्विवेदी