सम्पादकीय
संत अपने परोपकारी कार्याें के द्वारा हमेशा सृष्टि का भला करते हैं। इन्सान को इन्सान से जोड़ो, इन्सान को धर्माें से जोड़ो, इन्सान को भगवान से जोड़ो, सच्चे संतों का मानवता हित में यह पैगाम है और सृष्टि पर अपना यह करम करते हैं।
जब भी कभी पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदाओं की घनघोर घटा मंडराने लगती है जिससे बेकसूर मानवता का भी भारी विनाश निश्चित हो तो कोई ईश्वरीय हस्ती, किसी महापुरुष का नेतृत्व ही मानवता को उस महासंकट से निकालने का सफल साधन सिद्ध होता है। इतिहास भी इस हकीकत का साक्षी है। इसमें जरा भी किसी शंका-भ्रम की गुंजाइश नहीं है, यानि प्रभु-परमात्मा ने कुदरत को मनुष्यता के नमित एक वरदान के रूप में पैदा किया है, यह सौ फीसदी सच है और यह भी सच है कि कुदरत में सही संतुलन ही कुदरत का कानून है।
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परन्तु जब इन्सान का दखल प्रकृति-कुदरत के नियमों में बढ़ता है तो अपने निजी स्वार्थाें के लिए ईश्वरीय वरदान, अर्थात् प्रकृति से किसी भी तरह की छेड़छाड़ इन्सान की अकृतज्ञता का प्रतीक साबित होती है, जिसके परिणाम स्वरूप इन्सान को भारी मूल्य चुकाना पड़ सकता है। पहाड़ों का खिसकना, बाढ़, भूकम्प आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं में काफी हद तक इन्सान की जिम्मेवारी से इन्कार नहीं किया जा सकता। इन्सान को प्रकृति में दखलांदाजी करने से बचना चाहिए। दु:खी, क्रोपी, आपदाओं से पीड़ितों की तन-मन-धन से हर संभव मदद करना ही इन्सान का फर्ज बनता है।
समय पर पीड़ितों को पहुंचाई गई राहत उन पीड़ितों के लिए वरदान साबित होती है और वह लोग मसीहा और भगवान तुल्य कहलाते हैं जो ऐसे समय पर यह परोपकारी कार्य करते हैं। वर्णनीय है कि पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की प्रेरणा से शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग और डेरा सच्चा सौदा साध-संगत हर आपदा में पीड़ितों का सहारा बनती है, संकट की घड़ी में पीड़ितों की हर संभव मदद करती है। विदेशों में भी साध-संगत आपदा पीड़ितों के काम आई है।
डेरा सच्चा सौदा के पूजनीय गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने हर आपदा में पीड़ितों को अपना सहारा बख्शा और हर तरह की मदद के लिए आगे बढ़ कर कार्य किया है। पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने 23 सितंबर 1990 को पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को डेरा सच्चा सौदा की गुरगद्दी पर बतौर तीसरे पातशाह विराजमान किया। उसी दिन से ही आप जी ने डेरा सच्चा सौदा में रूहानियत के साथ-साथ समाज भलाई के कार्याें को भी गति प्रदान की।
आप जी की प्रेरणा से डेरा सच्चा सौदा में साध-संगत के सहयोग से 142 मानवता भलाई के कार्य चलाए जा रहे हैं। पूज्य गुरु जी द्वारा चलाए इन कार्याें में कई कार्य विश्व कीर्तिमान भी बने हैं। ऐसे दुर्लभ कार्य जो आज तक किसी के जहन में भी शायद नहीं थे, किसी ने भी नहीं किए थे, पूज्य गुरु जी द्वारा ही उनकी पहल की गई। वेश्याओं को शुभ देवी का दर्जा देकर उनकी सम्पन्न परिवारों में शादी करवाई, किन्नर समाज को सुखदुआ समाज का नाम देकर देश की सर्वाेच्च अदालत से थर्डजेंडर का दर्जा दिलाना और उन्हें देश के नागरिक की सभी सुविधाएं दिलाना, बेटियों को बेटों के बराबर दर्जा दिलाकर ‘कुल का क्राउन’ कार्य चलाकर कन्या भू्रणहत्या को रोकना इन्यादि सभी 142 कार्य सचमुच ही समाज के उज्जवल भविष्य के लिए पूजनीय गुरु जी का यह अति प्रशंसनीय तथा मानवता हित में एक महान परोपकारी करम है। यही ईश्वरीय पैगाम सच्चे रूहानी संत, पीर-फकीर सृष्टि पर लेकर आते हैं।
ऐसे परोपकारी सच्चे संत अपने परोपकारी कार्याें के द्वारा हमेशा सृष्टि का भला करते हैं। उनका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों की बुराईयां छुड़वा कर उन्हें इन्सानियत की शिक्षा देना, इन्सान को इन्सान से जोड़ना, इन्सान को भगवान से जोड़ना, धर्माें का आदर करना आदि नेकी-भलाई के कार्य करना पूजनीय गुरु जी ने लोगों को बताया। निंदा, चुगली, ईर्ष्या, नफरत आदि इन बुराइयों को त्याग कर मालिक की भक्ति करो और मालिक की साजी सृष्टि से, हर प्राणी से प्यार-मोहब्बत का संदेश रूहानी संत समाज के हित में लेकर सृष्टि पर आते हैं। भजन की निम्न पंक्तियों में पूज्य गुरु जी के पावन संदेश की सौ फीसदी झलक झलकती है।
नफरत की कैंची को तोड़ो, प्रेम सूई से काम लो।
इन्सां को इन्सां से जोड़ो, संतों का पैगाम लो।
इन्सान को भगवान से जोड़ो, संतों का ये पैगाम लो।
पूजनीय गुरु जी के पावन आशीर्वाद और पाठकों के हार्दिक प्यार व सहयोग से सच्ची शिक्षा ने 25वें वर्ष में प्रवेश कर लिया है, साध-संगत को लख-लख बधाई।