आत्मनिर्भरता: पर्यावरण संरक्षण का अनूठा प्रयास
| प्रतिदिन 1200 यूनिट बिजली का खुद उत्पादन करता है डेरा सच्चा सौदा
दुनियाभर में सौर ऊर्जा का प्रचलन अब तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि लोग पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक हो रहे हैं। वहीं पारंपरिक ऊर्जा स्रोत से उत्पन्न होने वाली बिजली की कीमत ज्यादा होने के कारण भी लोग सौर ऊर्जा का अधिकतम इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर कोई राष्ट्र विकसित राष्ट्र की श्रेणी में आना चाहता है तो उसके लिए ऊर्जा के पर्याप्त स्रोत का होना अति आवश्यक है। ऐसे में सौर ऊर्जा का अधिकतम एवं सर्वश्रेष्ठ उपयोग बहुत आवश्यक हो जाता है।
सौर ऊर्जा को विद्युत में परिवर्तित करने के लिए सोलर पैनलों का उपयोग किया जाता है जिसमें फोटोवोल्टिक सेल लगे होते हैं और ये सेल सोलर पैनल पर पड़ने वाली धूप को विद्युत में परिवर्तित कर देते हैं। पर्यावरण संरक्षण के हमेशा हितैषी रहे डेरा सच्चा सौदा ने भी इस क्षेत्र में 5 वर्ष पूर्व ही कदम बढ़ा दिए थे। डेरा सच्चा सौदा, सौर ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करने में इतना सक्षम हो चुका है कि अपनी खपत से कहीं ज्यादा बिजली पैदा कर रहा है।
डेरा सच्चा सौदा की विद्युत क्षेत्र में यह आत्मनिर्भरता आज करोड़ों लोगों के लिए एक नजीर पेश कर रही है। बता दें कि नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के सौजन्य से शाह सतनाम जी धाम सरसा में 300 किलोवाट का सौलर सिस्टम चल रहा है, जिससे प्रतिदिन 1200 यूनिट बिजली का उत्पादन होता है।
डेरा सच्चा सौदा की इस पहलकदमी का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है, क्योंकि सोलर पैनल से पर्यावरण को नुक्सान पहुंचाए बिना बिजली उत्पन्न हो जाती है, वहीं किसी भी प्रकार की विषैली गैस का उत्सर्जन नहीं होता है और न ही किसी प्रकार से ध्वनि या वायु प्रदूषण होता है। डेरा सच्चा सौदा का मानना है कि सौर ऊर्जा भविष्य की ऊर्जा है तथा इसका इस्तेमाल करके पर्यावरण को होने वाली क्षति रोकी जा सकती है, बिजली के भारी बिल से छुटकारा भी पाया जा सकता है।
डेरा सच्चा सौदा के इलैक्ट्रिक विभाग के इंचार्ज भारत भूषण इन्सां ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की प्रेरणा अनुसार वर्ष 2016 में सोलर सिस्टम को लेकर कई बार चर्चा हुई। पूज्य गुरु जी ने प्राकृतिक स्त्रोत (धूप) से बिजली बनाने की इस विधि को काफी सराहा और डेरा सच्चा सौदा में इस सिस्टम को लगवाने की बात भी कही। इन्सां के बताया कि 8 दिसंबर 2016 को शाह सतनाम जी धाम में 300 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगा दिया गया, जो उस समय प्रदेश का सबसे बड़ा सोलर सिस्टम था।
उन्होंने बताया कि सोलर सिस्टम में 3 तरह के पैनल होते हैं जैसे आॅन ग्रीड, आॅफ ग्रीड व हाईब्रेड सिस्टम। डेरा में आॅन ग्रीड सिस्टम के तहत पैनल लगाया गया है, जिसमें डीसी करंट को डायरेक्ट एसी करंट में परिवर्तित किया जाता है। इस सिस्टम में पैनल के अंदर 24 घंटे करंट की आवश्यकता रहती है, तभी यह वर्किंग करता है। इस सोलर सिस्टम की तीन यूनिट बनाई गई है ताकि भविष्य में किसी एक यूनिट में प्राब्लम आने पर अन्य सिस्टम कार्य करता रहे।
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प्रति किलोवाट से दिनभर में बनती है 4 यूनिट बिजली
इन्सां ने बताया कि डेरा सच्चा सौदा में लगे सोलर सिस्टम से दिनभर में प्रति किलोवाट 4 यूनिट बिजली का उत्पादन होता है। यानि हर रोज 1200 यूनिट बिजली पैदा होती है, जिसका उपयोग विद्युत उपकरणों में किया जाता है। पैनल की मदद से बनने वाली बिजली के यूनिट की गणना नेट मीटरिंग से की जाती है। नेट मीटर यह भी दिखाता है कि इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड से कितने यूनिट बिजली ली, इसके बाद ज्यादा बिजली बन रही है तो उसका फायदा बिल में कटौती के रूप में मिलता है।
रखरखाव का रखें विशेष ख्याल
सौर पैनल का प्रयोग कर रहे लोगों को सलाह देते हुए इन्सां ने बताया कि इस सिस्टम का समय-समय पर रखरखाव भी जररूी है। यदि सिस्टम की क्षमता अनुसार बिजली उत्पादन चाहते हैं तो हर तीन महीने के बाद प्लेटों पर जमने वाली डस्ट इत्यादि की क्लीनिंग आवश्यक है। वहीं पैनल लगाते समय इनकी सुरक्षा को भी मद्देनजर रखना चाहिए, ताकि तेज हवाओं या अंधड़ जैसी आपदाओं का ये सामना कर सकें।
नामचर्चा घरों में भी लगेंगे सौर पैनल
पूज्य गुरु जी की प्रेरणानुसार डेरा प्रबंधन इस विषय पर विचार कर रहा है कि डेरा सच्चा सौदा के जिन-जिन उपक्रमों में बिजली की खपत ज्यादा है, वहां पर भविष्य में सोलर सिस्टम लगाया जाए। फिलहाल शाह सतनाम जी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, सेंट एमएसजी ग्लोरियस इंटरनेशनल स्कूल व बड़े नामचर्चा घरों में सोलर सिस्टम लगाने की योजना पर कार्य चल रहा है।