बच्चों के झगड़े को उलझाएं ना, बल्कि सुलझांए
बच्चे घर की रौनक होते हैं, लेकिन जब बच्चे आपस में झगड़ा करते रहें तो कैसा अनुभव होता है? पूरे घर में अशांति पैदा हो जाती है। बुजुर्ग भी बच्चों के झगड़ों में दखल देकर झगड़ने लगते हैं।
इन बातों को वही इन्सान समझ सकता है जिनके घर में एक से अधिक बच्चे हैं। इंतिहा तो तब बढ़ जाती है जब बच्चों के झगड़े-मारपीट और बाल खींचा-खांची पर पहुंच जाते हैं। ऐसे में तो बड़ों को भी समझ नहीं आता कि क्या करें।
इसलिए वे बच्चों को एक-दूसरे से बात न करने की सलाह दे देते हैं। लेकिन, इस सलाह से बच्चों के बीच की समस्या सुलझने के बजाय और उलझ जाती है और जब थोड़ी देर बाद उनके बीच बात शुरू होती है तो वह झगड़े से ही शुरू होती है। हर कोई चाहता है कि बच्चे आपस में मिलकर रहें।
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एक-दूसरे का सहयोग करें। पर शायद ही ऐसा किसी घर में हो पाता है। अक्सर कई बार देखा जाता है कि जहां मां-पिता बच्चों को दोस्तों की तरह मिलकर रहने की सीख देते हैं वहीं बच्चे और अधिक एक-दूसरे से झगड़ने लगते हैं। ऐसे में आपको क्या करना चाहिए कि वे एक-दूसरे को भाई-बहन और सबसे अच्छे दोस्त की तरह देखें ना कि दुश्मन की तरह?
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आइए जानते हैं:
क्यों लड़ रहे हैं आपस में भाई-बहन?
साइकोलॉजी के अनुसार, झगड़ें के बीच एक हद तक की गई लड़ाई अच्छी होती है। लेकिन, यदि वे रोज हर बात पर लड़ते हैं और शायद ही कभी एक-दूसरे से बात करते हैं तो आपको दखल देकर उनकी लड़ाई की वजह जानने की आवश्यकता है।
क्यों जरूरी है आपस में लड़ना:
पहले तो ये समझने की जरूरत है कि आपस में लड़ना क्यों फायदेमंद है। दरअसल, आपस की लड़ाई समाज में रहने के लिहाज से उन्हें मानसिक रूप से तैयार करती है। बचपन में एक-दूसरे से लड़ते-लड़ते बड़े होने पर एक-दूसरे के लिए लड़ने लगते हैं। तो आप इसे हेल्दी फाइट कर सकते हैं। इस हेल्दी फाइट के कई सारे फायदे हैं जिनमें से ये बेसिक्स हैं: बच्चों को लड़ते देखना किसी को भी पसंद नहीं है।
लेकिन बच्चों के आपस में लड़ने के फायदे भी कई हैं।
- लड़ाई में ही बच्चे समस्याओं को सुलझाना सीखते हैं।
- लड़ाई के बाद जब एक-दूसरे से बात करना शुरू करते हैं तो वे समझौता करना व एडजस्ट करना सीख रहे होते हैं।
- समाज में रहने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो रहे होते हैं।
- भावनाओं को काबू में करना सीखते हैं।
इन परिस्थितियों में दें ध्यान:
यदि बच्चे रोजाना झगड़ा करते हैं और एक-दूसरे से कभी बात नहीं करते हैं तो आपको समझाने की आवश्यकता है। क्योंकि अति हर चीज की खराब होती है। वैसे भी झगड़ा करना सही है। लेकिन बात ना करना गलत है। क्योंकि बात नहीं होगी तो लड़ाई की समस्या कैसे पता चलेगी। इससे लड़ाई बढ़ती ही जाएगी।
कारण कहीं आप तो नहीं:
सबसे पहले अपने बच्चों के बीच की लड़ाई का कारण तलाशें। कई बार ऐसा होता है कि मां-पिता के कारण ही बच्चे आपस में लड़ते हैं। दरअसल कई बार बड़ों को पता भी नहीं चलता है और वे एक बच्चे की तुलना में दूसरे बच्चे को अधिक प्यार करने लगते हैं। दूसरे बच्चे को मिलने वाला बड़ों का प्यार पहले बच्चे के लिए लड़ाई का कारण बन जाता है। ऐसा किसी भी कारण से हो सकता है। हो सकता है कि दूसरा पढ़ने में तेज हो।
या पहला किसी काम में या खेल में अच्छा हो। ऐसे में मां-बाप तेज बच्चे पर ज्यादा ध्यान देने लगते हैं और उसकी तारीफ करने लगते हैं। इस स्थिति में दूसरा बच्चा मां-बाप से ना मिलने वाली तारीफ का कारण अपने भाई या बहन को समझने लगता है और उसके ऊपर गुस्सा करने लगता है। और फिर यहीं से शुरू हो जाता है झगड़ा। यदि आपके बच्चे भी आपस में बहुत ज्यादा लड़ते हैं तो आपको सोचने की आवश्यकता है और
इन पांच टिप्स को अपनाने की आवश्यकता है।
पहला तरीका: सभी बच्चों की तारीफ करें और पर्याप्त समय दें
जरूरी नहीं कि हर बच्चा पढ़ाई में अच्छा हो। हर इन्सान की अपनी अलग विशेषता होती है। अब आप मछली को इसलिए नापसंद नहीं कर सकते हैं कि वह उड़ नहीं सकती। वह तैरना जानती है और इसके लिए आपको मछली की तारीफ करनी चाहिए। इसी तरह आपके सभी बच्चे एक-जैसे नहीं हो सकते। सभी बच्चों की अपनी खासियत होती है। ऐसे में उनकी स्पेशिलिटी को समझना आपकी जिम्मेदारी है। ना कि एक के ऊपर दूसरे को तवज्जो देने की। क्योंकि बच्चे अक्सर बड़ों की अटेंशन पाने के लिए ही लड़ते हैं। बाकि तो उन्हें दुनिया से कोई फर्क नहीं पड़ता। सभी बच्चों को बराबर प्यार करें, बच्चे भी एक-दूसरे को बराबर प्यार करेंगे। इस तरह उम्र में छोटे-बड़े होने के बावजूद वे बराबरी का पाठ भी सीख जाएंगे।
दूसरा तरीका : समस्या को सुलझाएं
कई बार बड़े बिना पूरी बात जानें एक बच्चे को डांटने लगते हैं। ऐसा ना करें। सबसे पहले झगड़े की जड़ पर जाएं और समस्या को सुलझाने की कोशिश करें। अब जैसे कि कई बार बच्चे चॉकलेट्स को लेकर लड़ते हैं। ऐसे में आप बच्चे को बराबर-बराबर बांटकर झगड़े को खत्म करने की कोशिश करते हैं। लेकिन क्या करेंगी जब एक ने पहले ही पूरी चॉकलेट खा ली हो? ऐसे में आप पहले को समझाएंगी की चीजें हमेशा आपस में बराबर-बराबर बांटनी चाहिए। क्योंकि शेयरिंग इज आॅल्वेज केयरिंग-मतलब बांटना ही असल जिंदगी और प्यार है।
लेकिन तब क्या करेंगी जब चीज बांटी ना जा सके?
ऐसे में किसी एक को बारी-बारी से देने के बजाय उन्हें साफ तौर पर कह दें कि जिस भी चीज के लिए तुम आपस में लड़ोगे वह किसी को भी कभी भी नहीं मिलेगी। ऐसे में वह आपस में सहयोग करना सीख जाएंगे।
तीसरा तरीका: स्क्रीन टाइम कम करें
इस उपाय को आज की शहरी लाइफ में हर किसी को अपनाने की जरूरत है। बच्चों को बहलाने के लिए 1 साल की उम्र से ही बच्चों के हाथ में पैरेंट्स ने मोबाइल व लैपटॉप पकड़ाना शुरू कर दिया है। ऐसे में बच्चे एक-दूसरे से कम बात करते हैं और झगड़ने ज्यादा लगते हैं।
इस झगड़े को बंद करवाने के लिए बच्चों को बाहर प्ले ग्राउंड में खेलने के लिए भेजें। जितना गैजेट्स से दूर और प्रकृति के नजदीक रहेंगे उतना वे आपस में एक-दूसरे की अहमियत समझेंगे। वैसे भी आउटडोर ऐक्टिविटीज में भाग लेने से बॉन्डिंग मजबूत ही होती है। तो इन तीनों उपायों को अपनाएं और अपने बच्चों को एक-दूसरे का दुश्मन की जगह दोस्त बनाएं।