आपके घर की शान है ड्राइंग रूम
मैं गर्मी की छुट्टियों में अपने किसी रिश्तेदार के घर गई थी। उनके मकान में लगभग दस कमरे थे, लेकिन एक भी कमरा ऐसा नहीं था जहां 5-7 व्यक्ति आराम से बैठकर बातचीत कर सकें।
घर के कमरों में इधर-उधर भरे सामानों के साथ एक दो अतिरिक्त पलंग भी पड़े थे। उन्हीें पर वे अपने घर आये लोगों को बैठाते थे। यदि वे चाहते तो आसानी से अपने घर के एक कमरे को ड्राइंग रूम में बदल सकते थे, पर शायद उन्होंने इस ओर कभी ध्यान ही नहंीं दिया, कभी इसकी आवश्यकता ही नहीं महसूस की। Drawing room
Drawing room इसी तरह प्राय:
कई लोग ड्राइंग रूप का महत्त्व ही नहीं समझते थे, इसे बड़े आदमियों का शौक मानते हैं पर शायद आप नहीं जानते कि बाहरी व्यक्ति आपके घर को देखकर ही आपके रहन-सहन के स्तर का अनुमान लगाते हैं। यह सत्य भी है कि आप अपने घर आये मेहमानों को यदि यूं ही अस्त-व्यस्त सामान से भरे कमरे में बैठायेंगे तो आपके प्रति उनकी धारणा अच्छी नहीं बनेगी। इसलिए घर में एक साफ सुथरा व सुंदर बैठक कक्ष अवश्य ही होना चाहिए।
यह कोई जरूरी नहीं कि आपके ड्राइंग रूम में बहुमूल्य कीमती फर्नीचर हो, बहुत सजावट वाला सामान हो। आप छोटी जगह में भी कम खर्च में एक साफ-सुथरा व सुंदर ड्राइंग रूम बना सकते हैं। ड्राइंग रूम एक तरह से आपके घर का आईना है।
ड्राइंग रूम Drawing room ऐसे कमरे को बनाना चाहिए जहां से घर में आने-जाने का मुख्य मार्ग न हो, न रसोईघर पास में हो और न ही शौचालय। जिस कमरे को ड्राइंग रूम बनाना हो वह कमरा ज्यादा बड़ा भी नहीं होना चाहिये। ज्यादा बड़ा होने से सजावट का सामान भी ज्यादा लगेगा और वह ज्यादा सुंदर भी नहीं बन पायेगा। कमरे में हवा आने-जाने के लिए पर्याप्त रोशनदान और खिड़कियां हों। कमरे की दीवारों पर हल्के रंग का पेंट करायें।
ड्राइंग रूम ऐसा हो कि कम से कम उसमें 6-8 आदमी एक साथ बैठ सकें। सोफा लकड़ी अथवा स्टील का भी रख सकते हैं। सोफे पर जरूरत के अनुसार रूई या स्पंज से भरी गद्दियां रखें। कुर्सियां भी 5-6 ऐसी रखें जिन्हें आवश्यकतानुसार हटाकर एक ही जगह रखा जा सके। आजकल कम खर्च में प्लास्टिक की कुर्सियां खरीदी जा सकती हैं।
यदि आप का बजट आपको इजाजत देता हो तो बेंत की कुर्सियां रखें, ये देखने में बहुत कलात्मक प्रतीत होती हैं। ड्राइंग रूम में परदे दीवार के रंग से मिलते-जुलते ही लगायें। हो सके तो सोफा कवर दीवान और मेज का कवर या सनमाइका आदि परदों व दीवारों के रंग से मिलते-जुलते हों।
मेज पर दैनिक अखबार तथा तीन-चार पत्रिकाएं रखें ताकि जब तक आप ड्राइंग रूप में न आयें, तब तक आपके परिचित बोर होने की बजाय उन पत्र-पत्रिकाओं से ही मन लगायें। पत्रिका हमेशा अच्छे स्तर की रखे, क्योंकि पत्र-पत्रिकाएं आपकी मानसिक रूचि की परिचायक हैं।
ड्राइंग रूम में आवश्यक सामान ही रखें। यदि कमरे में अलमारी हो तो वह शीशे वाली रखें। उसमें अच्छे स्तर के लेखकों की पुस्तकों को सजाकर रखें। दीवारों पर ज्यादा तस्वीरें न लगायें। ड्राइंग रूम के कोनों में स्टूल पर सुन्दर कलात्मक मूर्तियां रखें। फूलों के गुलदस्ते भी रखे जा सकते हैं। रोज-रोज फूलों को बदलने की परेशानी से बचने के लिये कागज अथवा प्लास्टिक के फूल भी लगाये जा सकते हैं।
ड्राइंग रूम की सफाई पर पर्याप्त ध्यान दें। मेज, सोफे आदि की धूल रोज साफ करें नहीं तो बाहरी व्यक्ति पर गलत असर पड़ता है। मेजपोश, परदे गंदे होते ही तुरंत धुलवा लेने चाहिये। शहरी क्षेत्रों में आवास की समस्या होने के कारण कई बार एक अलग ड्राइंग रूम की व्यवस्था नहीं हो पाती,
लेकिन यदि लोग चाहे तो उसी में एक कमरे में ड्राइंग रूम, स्टडी रूम बना सकते हैं। साधारण सोफे की जगह सोफा कम बैड रखकर ड्राइंग रूम को रात में सोने के कमरे में बदला जा सकता है। इस तरह एक ही कमरा तीन उपयोग में आ सकता है और कम जगह में भी काम निकाला जा सकता है। बस आवश्यकता है थोड़ी सूझ-बूझ की।
-मीना जैन छाबड़ा