Editorial – अति शुभ घड़ी होती है वह जब संत-सतगुरु सृष्टि पर अवतार धारण करते हैं। ऐसे महान संत खुद परमेश्वर स्वरूप होते हैं। अपनी बिछुड़ी रूहों को अपने साथ-मिलाने को परमेश्वर खुद उन्हें जीव सृष्टि पर भेजता है। संत-सतगुरु ही रूहों का मिलाप कराने का जरिया होते हैं। या यूं कह लीजिए कि परमपिता परमात्मा खुद मनुष्य चोला पहन कर संतों के रूप में धरत पर आता है। वह निराकार है लेकिन संत-सतगुरु स्वरूप में, मनुष्य शरीर में साकार पुरुष कहलाता है। Editorial
संतों की पवित्र वाणी में आता है ‘ब्रह्म बोले काया के ओहले। काया बिन ब्रह्म क्या बोले।’ बंदे को समझाने के लिए परमेश्वर को इन्सानी चोला धारण करना पड़ता है। इसीलिए वो इन्सान के रूप में खुद खुदा ही विचर रहा होता है। उदाहरण उस एक बादशाह की मान लीजिए जो अपने वतन से जलावतन किए (निकाले) गए लोगों को वापस अपने देश में लाने के लिए खुद वहां गया। जहां वे लोग मजदूरी का कार्य करते थे। उन्हीं की तरह मजदूर बन कर रहा। बातचीत के दौरान यह बिल्कुल भी जाहिर नहीं होने दिया कि वह उनका बादशाह है। Editorial
बातों-बातों में उन्हें प्रेरित किया, घर-परिवार की याद दिलाई। हालांकि जलावतनी उनकी मजबूरी थी, पर उन्हें यह यकीन दिलाने में वह(बादशाह) काफी हद तक सफल भी हुआ कि अगर वापस वतन चलेंगे तो मैं अपने प्रिय मित्र बादशाह से आप लोगों की जोरदार शब्दों में सिफारिश करूंगा कि वह तुम्हें अपने वतन में रहने की इजाजत दे देगा। इस तरह जो लोग तैयार हुए वह (बादशाह) उन्हें अपने साथ ले आया। वास्तविकता का पता उन्हें राजधानी में पहुंचने पर चला कि ये तो हमारा बादशाह है और हमें वापस लाने के लिए मजदूर का भेष धारण किया था। लाख-लाख शुक्र किया।
धन्यवाद किया अपने बादशाह का। यही स्थिति हम दुनियावी जीवों की और कुल मालिक के दरमियान है। परम पिता परमात्मा ने 25 जनवरी 1919 को पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के स्वरूप में सृष्टि पर अवतार धारण किया। पूज्य परम पिता जी डेरा सच्चा सौदा में बतौर दूसरे पातशाह 1960 से 1991 तक मौजूद रहे। आप जी ने अधिकारी जीवों को कुल मालिक से मिलाने, जीवों को वापस अपने निज देश सचखण्ड-सतलोक ले जाने के लिए मनुष्य स्वरूप, सतगुरु का चोला धारण किया।
जब ऐसी महान, पाक-पवित्र हस्तियां सृष्टि पर प्रकट होती हैं तो अधिकारी रूहें मंगलगान गाती हैं। प्रेमी-सत्संगियों के लिए अपने मुर्शिदे-कामिल का अवतार महीना, अवतार दिवस एक बहुत बड़ा व असली त्यौहार होता है। जनवरी का पवित्र महीना और 25 जनवरी का पाक-पवित्र दिवस यानि पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी दाता रहबर का अवतार दिवस एवं नववर्ष पर पूज्य सतगुरु जी को लख-लख सजदा। बहुत-बहुत बधाई होवे जी।