दूसरों की सुविधा का ख्याल रखें
दूसरों की सुविधा का ख्याल रखें ( Take Care of others )
हमारे समाज में कई लोगों को दूसरों को परेशान करने की बहुत बुरी आदत होती है।
वे सिर्फ अपनी ही सुविधा का ख्याल रखते...
Body Donating: अनुकरणीय उदाहरण बनी माता उर्मिला इन्सां
मेडिकल रिसर्च के लिए दान की पार्थिव देह Body Donating
डेरा सच्चा सौदा से प्रभावित होकर भरा था देहदान करने का फार्म
डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी उम्र के हर पड़ाव में इन्सानियत का...
Deepawali: दीपावाली पर जगमग हो खुशियां
Deepawali ‘दीपावली’ प्रकाश का पर्व। अंधेरे से रोशनी की ओर बढ़ने का उत्सव। सदियों से मनाई जा रही है मन-धन की संपन्नता के प्रतीक रूप में। दीपावली बेशक लक्ष्मी को पूजने का त्यौहार है।...
गरीबों व मजदूरों को मिलेगा राशन | वन नेशन-वन राशन कार्ड
सरकारी योजना: वन नेशन-वन राशन कार्ड One Nation One Ration Card Scheme
कोरोना वायरस से हुए लॉकडाउन के कारण रोज कमाकर खाने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वे अपने खाने...
सुख-समृद्धि का पर्व है बैसाखी
सुख-समृद्धि का पर्व है बैसाखी
रत को यदि पर्वोत्सवों की खान कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। अभावों के साये में जीने के बावजूद यहां के अधिसंख्य लोगों में धार्मिक प्रवृत्तियां कूट-कूट कर भरी...
…वो न डूबने वाला डूब गया | Titanic Jahaj in Hindi
...वो न डूबने वाला, डूब गया
टाइटैनिक डे (15 अप्रैल 15 अपै्रल ‘टाइटेनिक डे’ टाइटेनिक जहाज (Titanic Jahaj in Hindi)के सवार लोगों को श्रद्घांजलि देने के लिए मनाया जाता है। टाइटेनिक दुनिया का सबसे बड़ा...
खूब खाएं तरबूज
खूब खाएं तरबूज Eat plenty of watermelon
गर्मी का मौसम शुरू होते ही बाजारों में और सड़क के किनारे भी तरबूज के भारी-भरकम ढेर नजर आने लगते हैं। तरबूज गर्मी के मौसम का ठंडी तासीर...
पिता-सा नहीं होता कोई – फादर्स-डे
पिता-सा नहीं होता कोई - फादर्स-डे
‘पिता’ एक ऐसा रिश्ता जो किसी भी धर्म, देश, भाषा, जाति और समाज में सदैव समान रहता है, जिसका ध्येय इन सब बातों से ऊपर सिर्फ अपनी संतान की...
पहिए का आविष्कार
पहिए का आविष्कार
पहिया का आविष्कार आज से लगभग 5000 साल पहले यानी महाभारत काल युग में भारत में ही हुआ था। उस समय पहिए का उपयोग रथों में किया जाता था। कहा जाता है...
भड़ास निकालने के लिए बोलना अहितकारी
भड़ास निकालने के लिए बोलना अहितकारी
वाणी पर संयम बहुत जरूरी है। शायद इसीलिए कहा भी गया है, ‘कम बोल अच्छा बोल’। बंदूक से निकली गोली वापस नहीं होती, ठीक उसी तरह मुख से निकली...