take care of others

दूसरों की सुविधा का ख्याल रखें ( Take Care of others )
हमारे समाज में कई लोगों को दूसरों को परेशान करने की बहुत बुरी आदत होती है।

वे सिर्फ अपनी ही सुविधा का ख्याल रखते हैं। उन्हें दूसरों की कोई चिन्ता नहीं रहती। ‘बस अपना काम बनना चाहिए‘, ऐसी धारणा बन जाती है उनकी।

बस में, रेलगाड़ी में सफर करें, बैंक में जाएं या बिजली का बिल भरने जाएं, हम देखते हैं कि हर किसी को अपना समय नष्ट हो जाने की चिन्ता बनी रहती है। उनकी नजर में दूसरों के समय की कोई कीमत नहीं होती।

श्रीमान् ‘क‘ भी उन लोगों में से एक हैं। उनका एक दोस्त राजधानी में सपरिवार रहता है। जब भी उनका जी चाहता है, दो चार और दोस्तों को लेकर बगैर पूर्व सूचना दिए उनके घर जा धमकते हैं। उनका दोस्त उनकी इस आदत से अक्सर परेशान रहता है। दिल्ली जैसे महानगर में वे खुद ही अपना गुजारा बड़ी मुश्किल से करते हैं। दोस्त का समय असमय उनके घर पर धावा बोलना उन्हें कतई नहीं भाता।

एक दिन उन्होंने श्रीमान् ‘क‘ को साफ शब्दों में कह दिया, ‘तुमने मिलना होता है तो छुट्टी वाले दिन अकेले आया करो। अपने इन चमचों को साथ लाने की जरूरत नहीं है।‘

आज का युग मशीनी युग है। व्यस्तता इतनी बढ़ गई है कि किसी को एक पल की भी फुर्सत नहीं है। ऐसे में यदि कोई बिना सूचना दिए आ धमके तो उस पर झुंझलाहट होनी स्वाभाविक है।

आखिर लोग शिक्षित होकर भी इतना क्यों नहीं समझते। क्या उन्हें इतनी समझ नहीं है?
नहीं, उन्हें सब समझ होती है। दरअसल वे किसी की परवाह ही नहीं करते। दूसरों की परेशानी का कोई ख्याल नहीं रखते वे।

किसी के घर फ्रिज नहीं होगा तो हर समय पड़ोसी के घर आना-जाना लगा रहेगा। कभी बर्फ लानी है तो कभी कोई चीज फ्रिज में रखनी है। गर्मी की दोपहर में अगर पड़ोसन सो रही है तो उसे जगाने में भी संकोच नहीं करेंगे।

ऐसे लोगों के पास जब कोई ऐसी चीज आती है जिसका लाभ दूसरों को भी मिल सकता हो, तब वे दूसरों को अपने पास फटकने भी नहीं देते। तब वे सिर्फ अपनी सुविधा का ही ख्याल रखते हैं।

नीचे कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिन्हें अपना कर आप दूसरों की नजरों में गिरने से बच सकेंगे।
बस या रेलगाड़ी में सफर करते हुए अधिक जगह घेर कर न बैठें। जो दूसरे यात्री हैं,वे भी आप जैसे हैं। सफर करते वक्त धूम्रपान कदापि न करें क्योंकि इससे दूसरे यात्रियों को असुविधा होती हैं।

किसी के घर अपनी सुविधानुसार न जाएं बल्कि यह देखें कि मेजबान को किस दिन छुट्टी होती है या किस समय वे आपको घर पर मिल सकते हैं। जाने से पहले सूचना अवश्य दें।

बच्चों को कहीं साथ ले जाएं तो उन्हें धमा-चौकड़ी न मचाने दें। कई बार देखा जाता है कि बच्चे किसी के घर जाकर उनकी चीजों की तोड़-फोड़ करने लगते हैं और उनके माता-पिता सिर्फ देखते रहेंगे और बच्चों को ऐसा करने से मना नहीं करेंगे, बल्कि हंसते रहेंगे। यह कदापि उचित नहीं है। बच्चों को ऐसा करने से रोकें। अगर वे न मानें तो थप्पड़ लगाने में भी संकोच न करें।

हमें हर स्थान पर सिर्फ अपने बारे में ही नहीं सोचना चाहिए बल्कि दूसरों की सुविधा का ख्याल भी रखना चाहिए। जो व्यवहार हम दूसरों से चाहते हैं, वहीं व्यवहार हमें दूसरों के साथ करना चाहिए। अगर आप दूसरों की सुविधा का ख्याल नहीं रखेंगे तो किसी के स्रेह के पात्र नहीं बन सकेंगे।
-भाषणा गुप्ता

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