पूज्य हजूर पिता जी के पवित्र वचनों पर आधारित शिक्षादायक सत्य प्रमाण
पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने फरताते हैं कि बेशक जुबान का फट (कड़वे वचनों के घाव) बहुत ही असहनीय व दुखदाई होता है जो किसी भी और विधि, किसी और तरीके से भरा नहीं जा सकता। पूज्य गुरु जी ने इसी के अनुरूप पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज सच्चे मुर्शिदे-कामिल द्वारा फरमाई एक बात इस प्रकार बताई।
बहुत पुरानी बात है। एक बार एक लकड़हारे की एक शेर से दोस्ती हो गई। जंगल में वे दोनों कितना-कितना समय मिल-बैठकर बातें करते रहते। अगर किसी समय किसी दिन वे एक-दूसरे से न मिल पाते तो दोनों में मिलने की तड़प-सी लगी रहती।
एक दिन लकड़हारा अपने मित्र शेर को अपने घर मेहमानवाजी के लिए ले आया। शेर एक मांसाहारी जीव है तो उसके मुंह से दुर्गंध आना स्वाभाविक है। तो सारा घर बदबू से भर गया, गंदगी घर में बिखर गई। ये देखकर लकड़हारे की घरवाली ने अपने पति के मित्र शेर के बारे ऐसे अभद्र कटाक्ष के बोल बोले कि शेर के सीने में नुकीले तीर, तीखी कटार की तरह चुभ गए। तो वह शेर वहां एक पल भी और रुक नहीं सका। उसी समय वापस जंगल में आ गया। उदास, बहुत उदास। जंगल में आकर शेर ने अपने दोस्त लकड़हारे से कहा, मैं एक बात तुझे कहता हूं, जो तुझे जरूर माननी होगी।
तू अपने कुल्हाड़े से मेरे यहां जिस्म पर एक गहरा टक मार। लकड़हारा सुन कर बहुत हैरान कि मेरा मित्र यह क्या कह रहा है! उसने अपनी दोस्ती का वास्ता देते हुए कहा, दोस्त! तू मेरा प्रिय दोस्त है, मैं ऐसा करूँ, यह कैसे संभव है? शेर ने जोर देते हुए कहा कि दोस्त! यह काम तो तुझे करना ही होगा। नहीं तो मैं तुझे मार खाऊंगा। शेर के ज्यादा जोर देकर कहने पर लकड़हारे ने अपने तीखे कुल्हाड़े से शेर के जिस्म पर एक गहरा टक मार दिया। टक गहरा था, घाव से खून बहने लगा। शेर ने कहा, दोस्त, अब तू जा अपने घर और दस दिन से पहले यहां नहीं आना।
दस दिनों के बाद लकड़हारा अपने दोस्त से मिलने जंगल में गया। दोनों दोस्त मिले, बैठे। बातचीत के दौरान शेर ने कहा देख! मेरे शरीर पर कोई जख्म है? नहीं था जख्म। शेर ने कहा इतना गहरा जख्म था जो वह दस दिनों में भर गया है। परन्तु जो कड़वे बोल, कटाक्ष भरे जो वचन तेरी पत्नी ने कहे हैं उन तीखे कटु शब्द-वाणों के जख्म मेरे सीने में तीखी-छुरी, तीखी कटार की तरह अब भी चुभ रहे हैं और ज्यों के त्यों ताजा हैं।
पूजनीय गुरु जी ने फरमाया, इसलिए भाई, कटु वचन बोल कर कभी किसी का दिल न दुखाओ। जिस प्रकार शरीर पर लगे किसी घाव को मेडिकली, मरहम आदि लगा कर भरा जाता है, इसी तरह सीने के घाव को प्रेम व मीेठे वचनों (मधुरवाणी) रूपी मरहम से ही भरा जा सकता है।
शब्द, भजन में आता है
लोहे की तलवार टुकड़े करे तोड़ जी
प्रेम की तलवार सब को देती जोड़ जी
तुम प्रेम से रहो और प्रेम सिखाओ
घर-घर में करो प्रेम प्रकाश भाई।।