मुबारक! मुबारक! जनवरी मुबारक! -सम्पादकीय Happy January – Editorial
नव वर्ष 2025 के आगमन की ये शुभ बेला है। जब हम पुराने को छोड़ नए की ओर गमन करते हैं तो उसका मानव हृदयों में रोमांच होना स्वाभाविक है। नए वर्ष का रोमांच जन-जन में है, हर मन में है। ये नया साल हमारे लिए एक डेस्टिनेशन (मंजिल) की भांति है जिसका अपना रोमांच है, जोश है।
एक नई उमंग है, नई तरंग है। एक नई वेला है। इस नई बेला तक पहुंचने में हम सब एक लंबा सफर तय करके आए हैं, जिसकी अपनी दास्तां है। सबके अपने किस्से हैं। अपने-अपने फलसफे हैं। इस लंबे सफर के अपने खट्टे-मीठे अनुभव लिए हम एक नए दौर की दहलीज़ पर हैं। जिसका एंट्री प्वार्इंट (आरंभ बिन्दु) जनवरी का ये शुभ महीना है। इसकी सब को शुभकामनाएँ। सबके लिए यह सुखमय हो। इसका आगमन सबके लिए सुखकारी हो।
इन्हीं शुद्ध भावनाओं, शुभ कामनाओं के साथ नए दौर का ये कारवां चलता रहे, हर दिन बढ़ता रहे। आज पूरा ज़माना जनवरी के आगमन की खुशियों में शरीक है। इसकी रंगत में लबरेज़ है, जगह-जगह इसके जश्न मनाए जा रहे हैं। कहीं जलसे-जुलूस की कतारें सजी हुई हैं, तो कहीं रंग-बिरंगी जगमग है और कहीं दिलकश आतिशबाजी से इस शुभ आगमन की घड़ियाँ सजाई जाती हैं। मतलब, ज़मीं-आसमां शुभ जनवरी के इस पवित्र रंग में रंगा हुआ है। क्या देश और क्या विदेश, हर जगह हर कोई इन नव खुशियों में मशगूल है।
बात करें विदेशों की, तो दुनिया की एक बहुत बड़ी आबादी में क्रिसमस के त्योहार से ही नए साल की खुशियों का रंगमंच सज जाता है। उनकी अपनी सभ्यता है, संस्कृति है, जिसके मार्फत वो अपनी खुशियों का इज़हार करते हैं। रही बात अपने देश भारत की, तो यहाँ अपनी उच्च कोटि की भारतीय सभ्यता है। एक शानदार संस्कृति है जिसके आगोश में त्योहारों की रंग-बिरंगी छटा प्रस्तुत की जाती है। शुभ जनवरी के आगमन पर पूरे देश में भव्य आयोजन होते हैं। भारत की यह धरा संत-महापुरुषों, पीर-फकीरों की धरा है।
यही कारण है कि यहाँ के मुख्य त्योहारों में दिव्यता की एक अनुपम झलक मिलती है। जनवरी के शुभ आगमन पर ज़मीं महफिलों में उस दिव्यता का रसपान करना हो तो आप चले आइए शाह सतनाम शाह मस्तान तथा शाह मस्तान शाह सतनाम जी धाम डेरा सच्चा सौदा सरसा, जहाँ अलौकिक प्यार की बयार में हर कोई मस्त हो जाता है। इस मस्ती का कोई सानी नहीं है, क्योंकि मस्ती के ये भंडार पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज अनामी देश से अपने साथ लेकर आए हैं। जनवरी के इस महीने में मुबारक चरण टिकाकर इसे भागोंभरी कर दिया है।
अपने रहबर के शुभ आगमन की खुशी में रूहें दिव्य रोमांच से भर गई। कुदरत का कण-कण रोमांचित हो उठा। उसके नंदन-अभिनंदन में पत्ता-पत्ता हिलौरें खाने लगा। दिव्यता से मन प्रफुल्लित हो उठे। जिंदगी की नई सवेर हो गई। उज़ालों से धरा सराबोर हो गई। तन-मन चहक गए। मनों की मैल मिट गई। वैर-भाव, दु:ख-क्लेश धूल-धूसरित हो गए। एक नई सृजना का जन्म हुआ और शुभ विचार व शुभ संकल्प पैदा हुए। सबके भले की कामनाओं के साथ समाज कल्याण व मानव उत्थान की एक नई चेतना जाग उठी। नि:स्वार्थ सेवा भावना की एक ऐसी नई लौ प्रस्फुटित हुई कि लोग विस्मित रह गए।
यह पावन जनवरी के शुभ आगमन का प्रकाश है कि लोगों को नई प्रेरणाओं का बल मिला। जीवन सुधर गए। लोक-परलोक संवर गए। अपने सतगुरु के गुणगान में हर कोई मस्ती में है। ऐसा दिव्य नजारा, ऐसी मस्ती हर किसी को नसीब हो। नए साल का हर दिन सबके लिए मस्ती भरा रहे। नव वर्ष तथा सतगुरु प्यारे के आगमन के इस शुभ पवित्र महीने की यह मस्ती दिव्यता को परवाण हो। खुश-मिजाज़ हर सुबह और खुशनुमा हर शाम हो। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ शुभ जनवरी की शुभ मुबारकबाद!
-सम्पादक