पति, पत्नी और गुस्सा

पति, पत्नी और गुस्सा

छोटी मोटी तकरार दांपत्य जीवन का एक अटूट हिस्सा है, लेकिन जब यह तकरार गुस्से की सारी हदों को पार करते हुए रिश्तों के बंधन को तोड़ने लगे या बेहद खौफनाक अंजाम तक पहुंचने लगे तो चिंता का उपजना लाजमी है।
पिछले कुछ सालों में विवाहित युगलों में बढ़ते तलाक के किस्सों या गुस्से में पति-पत्नी द्वारा एक दूसरे को पहुंचाई गई चोट के मामले बढ़ते जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भौतिक दुनियां के बढ़ते तनाव और रिश्तों के प्रति घर करती उदासीनता इसका प्रमुख कारण है।

हर व्यक्ति का स्वभाव अलग-अलग होता है। दांपत्य जीवन को साथ जीने की कसमें खाने वाले दो लोग भी स्वभाव में एक दूसरे से बिलकुल भिन्न हो सकते हैं। इसी मित्रता से कभी कभार उपजती है तकरार, लेकिन जब यह तकरार अहंकार और अंधे क्रोध का रूप ले लेती है तो कई बार परिणति किसी के खून से लिखी हुई भी हो सकती है। ऐसे में एंगर मैनेजमेंट की आवश्यकता स्पष्ट तौर पर सामने आने लगी है।

जाहिर है कि क्रोध का जीवन बहुत संक्षिप्त होता है। यदि गुस्से में भरे किसी व्यक्ति को केवल 1 मिनट भी शांति से विचार करने को दे दिए जाएं तो शायद दुनियां की अधिकांश बुरी घटनाओं पर हमेशा के लिए रोक लग जाए। दांपत्य जीवन की तकरार को खौफनाफ अंजाम तक पहुंचने से रोकने के लिए भी यही उपाय सब से कारगर है। इसलिए जरूरी है कि गुस्से में आपा खोने से दंपति खुद पर काबू पाकर समस्या के बारे में शांत वातावरण में बैठकर बात करें।

कई बार पति-पत्नी में सामान सही जगह नहीं रखने से लेकर, साफ सफाई तथा आॅफिस में होने वाली देर जैसे मुद्दों को लेकर भी बहस हो जाती है जो बढ़ते-बढ़ते रौद्र रूप ले लेती है तो कई बार एक ही बात को लेकर बार-बार की गई तानाकशी या जिद्द भी बात को बढ़ा डालती है। ऐसे समय में ‘एंगर मैनेजमेंट’ का फंडा हर तरह से एक सफल निर्णय देने में सक्षम है। इससे कई परिवारों के टूटने, कई जिंदगियों को खो जाने से बचाया जा सकता है बशर्ते पति पत्नी दोनों इस पर काम करें।

यदि आपको लगता है कि आपके बीच किसी बात को लेकर बार-बार तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो रही है तो बजाय कुढ़ते रहने और उस गुबार को दिल में इकट्ठा कर ज्वालामुखी बनने देने से तथा सहन करने के एक दूसरे से बात करें। यदि स्थिति दोनों की समझ से बाहर हो तो घर के किसी बड़े, अपने किसी मित्र या किसी कांउसलर की मदद लेने से भी हिचके नहीं।

याद रखिए गुस्से की सीमा पार करके हाथ उठा देने, अपशब्द बोलने या और कोई भी गलत कदम उठा देने से बेहतर है परस्पर बात कर के स्थिति को सुलझा लेना।
-जे.के. शास्त्री

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