माहौल अच्छा हो तो बच्चे भी अच्छे होंगे – घर-परिवार का माहौल अच्छा हो तो बच्चे शिष्ट और सुसंस्कृत बनते हैं। अगर घर का माहौल सही नहीं हो तो बच्चों को बिगड़ते देर नहीं लगती। ऐसे बच्चे बड़े होकर अशिष्ट और उद्दंड बनते हैं। अखबार में अमेरिका की एक खबर छपी थी। पढ़कर काफी दु:ख हुआ। जिसने भी उस खबर को पढ़ा होगा, उसे जरूर दु:ख हुआ होगा। घटना इस प्रकार थी कि एक छ: साल के लड़के ने एक छ: साल की लड़की को गोली मार दी। लड़के ने बिना-सोचे-समझे बन्दूक निकाली और लड़की पर गोली चला दी। गोली चलाने के बाद वह बन्दूक अपनी जेब में डालकर वापस चल दिया।
लड़की को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। उसे बचाने के लिए डॉक्टरों ने काफी प्रयास किया लेकिन वे उसे बचा न सके और लड़की चल बसी। यह घटना अमेरिका के एक स्कूल में घटी। उस लड़के की पृष्ठभूमि को टटोला गया तो मालूम हुआ कि उस लड़के को न मां का प्यार मिला था और न पिता का सान्निध्य।
आखिर ऐसा क्यों होता है? मां बाप अपने बच्चों को क्यों छोड़ देते हैं। उस लड़के ने तो कभी अच्छा देखा ही नहीं। जब उससे पूछा गया कि उसने ऐसा क्यों किया तो उसने बतलाया कि वह उस लड़की को सिर्फ डराना चाहता था। उसका जवाब काफी दुखदाई था। जिंदगी में वातावरण का क्या महत्त्व है, उसका पता इस बात से लग जाता है। यदि व्यक्ति को संस्कारित वातावरण मिले तो बिगड़ा हुआ बच्चा अपने पुराने संस्मरणों को याद करके पुन: सही मार्ग पर आ जाएगा। हम यह सोचकर ही जीते हैं कि हर पल खुशी से बीते। अक्सर लोग जब किसी को आशीर्वाद देते हैं तो ‘आयुष्मान भव‘ या ‘जीते रहो‘ कहते हैं लेकिन मेरा मानना है कि हमें इन शब्दों के साथ-साथ ‘खुश रहो’ भी बोलना चाहिए।
हर स्थिति में खुश रहना अपने आप में एक कला है। यदि जिंदगी में खुशी न हो तो जिंदगी बेमानी हो जाती है। बच्चों की जिंदगी के प्रत्येक छोटे-छोटे पलों में अपने को सम्मिलित करें। बच्चों को आपकी जरूरत है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपना दैनिक कार्य न करें बल्कि मध्यम मार्ग अपनाएं। इससे बच्चों को महसूस होगा कि आप उन्हें बहुत प्यार करते हैं। बच्चे भी समझेंगे कि आपका जाना जरूरी है और वक्त आने पर आप उनके लिए हाजिर रहेंगे।
आजकल आदमी को इधर-उधर आना-जाना पड़ता ही है लेकिन आपको हमेशा जानकारी रखनी चाहिए कि आपकी अनुपस्थिति में बच्चों ने क्या किया है? यदि आप लम्बी यात्र पर जाते हैं तब ऐसा करना मुश्किल होता है लेकिन यह करना तब उतना ही जरूरी भी होता है अन्यथा बच्चे बिगड़ेंगे ही। बच्चे के उद्दंड और अशिष्ट हो जाने पर पछताने के सिवा कुछ नहीं प्राप्त होगा, इसलिए घर-परिवार का माहौल हमेशा खुशगवार बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।
-रीतू भसीन