नौसेना की ताकत बना पहला स्वदेशी युद्धपोतआईएनएस विक्रांत
भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत (आईएनएस) विक्रांत अब भारतीय नौसेना का हिस्सा बन गया है। 45 हजार टन वजन वाले इस युद्धपोत को 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। इसका डेक फुटबॉल के दो मैदान के बराबर है। इस पर एक साथ 30 फाइटर प्लेन और हेलिकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं।
इस जहाज को आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बनाया गया है। इस जंगी जहाज की 76 प्रतिशत चीजें भारत में बनी हैं, इन्हें करीब 500 भारतीय कंपनियों ने बनाया है। सरकार के मुताबिक पिछले 13 सालों में जहाज बनाने के क्षेत्र में करीब 15000 नौकरियां आई हैं। इसके अंदर 2300 कंपार्टमेंट हैं और ये 262 मीटर लंबा और 60 मीटर ऊंचा जहाज है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 सितंबर को केरल के कोच्चि में आईएनएस विक्रांत को देश को समर्पित किया।
भारतीय नौसेना का अंग बनते ही विक्रांत के नाम के आगे आईएनएस शब्द जुड़ गया है। आईएनएस विक्रांत के साथ-साथ भारतीय नौसेना को नया ध्वज भी दिया गया है। अनावरण के कार्यक्रम में नौसेना के नए ध्वज को भी सार्वजनिक किया गया।
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भारतीय नौसेना के औपनिवेशिक अतीत को खत्म करने की कोशिश के तहत इस निशान को बदला गया है।
चार बार बदला गया पुराना झंडा
भारतीय नौसेना का पुराना झंडा भारत में अंग्रेजी शासन के दौर में बनाया गया था। हालांकि, इसमें बदलाव हुए और इसके बाद झंडे में अशोक चिह्न भी जोड़ा गया। पुराने झंडे में सफेद रंग के आधार पर लाल रंग का सेंट जॉर्ज क्रॉस बना हुआ था। इसके बाईं तरफ भारत का झंडा बना हुआ था। क्रॉस के बीच में अशोक चिह्न बना था जिसके नीचे सत्यमेव जयते लिखा हुआ था। ये क्रॉस का निशान सेंट जॉर्ज के नाम पर पड़ा है। सेंट जॉर्ज के लिए कहा जाता है कि वो एक बड़े धर्मयोद्धा थे, जिन्होंने धर्म के लिए ही अपनी जान दे दी। वो रोम की सेना में योद्धा थे लेकिन ईसाई धर्म में उन्हें संत की उपाधि मिली है। नौसेना के झंडे को पहले भी चार बार बदला गया है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह की सरकार और मौजूदा सरकार में भी इसमें बदलाव हुए हैं। सबसे पहले भारत के आजाद होने के बाद 26 जनवरी 1950 को नौसेना के झंडे को बदला गया था। इसमें पहले सेंट जॉर्ज क्रॉस के साथ बाईं तरफ ब्रिटेन का झंडा बना हुआ था जिसे हटाकर भारत का झंडा लगाया गया।
इसके बाद साल 2001 में वाजपेयी सरकार में इस झंडे से सेंट जॉर्ज क्रॉस हटा दिया गया था। इसके बदले नीले रंग में अशोक चिह्न के नीचे एक एंकर बना हुआ था, लेकिन अप्रैल 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए सरकार के आने के बाद इसमें बदलाव किया गया।
नीला रंग आसमान और समुंद्र के रंग से अलग नहीं दिखता है. इसके बाद नौसेना के झंडे में सेंट जॉर्ज क्रॉस की फिर से वापसी हुई. लेकिन, इस बार क्रॉस के बीच में अशोक चिह्न बना दिया गया। साल 2014 में बीजेपी की सरकार आने के बाद झंडे में एक और बदलाव हुआ और अशोक स्तंभ के नीचे सत्यमेव जयते लिखवाया गया। नए निशान से लाल रंग के सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटा दिया गया है। अब ऊपर बाईं ओर तिरंगा बना है। हालांकि, झंडे का आधार सफेद रंग का ही रखा गया है जो नौसेना के अलावा पूरे भारत को सांकेतिक रूप से सम्मिलित करता है।
दाहिनी ओर नीले रंग के बैकग्राउंड वाले एक अष्टकोण में सुनहरे रंग का अशोक चिह्न बना है। अष्टकोण की परिधि पर सुनहरे रंग के दो बॉर्डर भी बने हैं। इसके नीचे ‘सत्यमेव जयते’ लिखा हुआ है और एक एंकर बना हुआ है। असल में यह छत्रपति शिवाजी महाराज की शाही मुहर है। इन सबके नीचे संस्कृत में ‘शं नो वरुण:’ यानी ‘जल के देवता वरुण हमारे लिए शुभ हों.’। इसका अष्टकोण आठ दिशाओं का संकेत देते हैं जिससे भारतीय नेवी की वैश्विक पहुंच को बताता है।
कैसा है भारतीय नौसेना का नया झंडा
भारतीय नौसेना का वर्तमान झंडा एक सफेद रंग का है जिसमें क्रॉस का निशान है और उसके ऊपर के भाग में बाईं तरफ भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है और उसके बीच में अशोक स्तंभ के शेर है और सत्यमेव जयते लिखा हुआ है। क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर लाल धारियां भारतीय नौसेना के झंडे पर हंै ये इंग्लैंड के राष्ट्रीय ध्वज सैंट जॉर्ज क्रॉस का प्रतीक है और ये हमें हमारे औपनिवेशिक अतीत मानसिकता की याद दिलाता है। 2 सितम्बर को भारतीय नौसेना का खुद का झंडा चुना गया।
दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी नौसेना है भारतीय नौसेना
दुनिया में 25 एयरक्राफ्ट कैरियर हैं। इनमें से अमेरिका के 11, चीन के 3, भारत-इटली-ब्रिटेन के पास 2-2, वहीं ब्राजील, रूस, फ्रांस, स्पेन और थाईलैंड के पास एक-एक एयरक्राफ्ट है। बता दें कि भारतीय नौसेना दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी नौसेना है। भारत से आगे इस लिस्ट में अमेरिका, रूस, चीन, जापान, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस हैं, लेकिन वर्तमान में हम दुनिया की चौथी सबसे बड़ी नौसेना शक्ति है। भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में 150 से भी ज्यादा पनडुब्बियां और जहाज हैं। इंडियन नेवी की स्थापना साल 1912 में हुई थी और इसका नाम रॉयल इंडियन नेवी था।
भारतीय नौसेना दिवस हर वर्ष 4 दिसंबर को मनाया जाता है।
छत्रपति वीर शिवाजी महाराज ने इस समुद्री सामर्थ्य के दम पर ऐसी नौसेना का निर्माण किया, जो दुश्मनों की नींद उड़ाकर रखती थी। जब अंग्रेज भारत आए, तो वो भारतीय जहाजों और उनके जरिए होने वाले व्यापार की ताकत से घबराए रहते थे। अब तक भारतीय नौसेना के ध्वज पर गुलामी की पहचान बनी हुई थी, लेकिन आज से छत्रपति शिवाजी से प्रेरित नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहराएगा। आज (2 सितंबर, 2022) की ऐतिहासिक तारीख को, इतिहास बदलने वाला एक और काम हुआ है। आज भारत ने गुलामी के एक निशान गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया है।
कुछ खास बातें
डिसप्लेसमेंट : 45 हजार टन
क्रू मेंबर्स : 1600
लंबाई : 262 मीटर
उँचाई : 60 मीटर
लागत : युद्धपोत पर खर्च
20 हजार करोड़
एरिया : फुटबॉल के दो मैदान के बराबर
एयरक्राफ्ट : 30 फाइटर प्लेन
सुविधा : 2300 कंपार्टमेंट
14 डेक
700 सीढ़ियां
स्पीड : 51 किलोमीटर प्रति घंटा
- 2400 किलोमीटर केबल का इस्तेमाल
- 16 बेड का अत्याधुनिक अस्पताल,
- 2 आॅप्रेशन थियेटर, सीटी स्कैन की सुविधा भी
- 8 बड़े जनरेटर, जो 5 हजार घरों को दे सकते हैं बिजली
- एक बार र्इंधन भरने के बाद 45 दिन समुद्र में रह सकता है, समुद्र में रिफिल की सुविधा