घूमने के लिए बेहतरीन जगह है कुंभलगढ़ किला
भारत में ऐतिहासिक स्थलों की कोई कमी नहीं है। यहां एक से बढ़कर एक महल और किले हैं, जो देखने लायक हैं। यदि आप इतिहास में रूचि रखते हैं और किलों और महलों को देखने का शौक है, तो आपको राजस्थान जरूर जाना चाहिए। इस राज्य में कई पहाड़ी किले हैं, जिनमें से एक है कुम्भलगढ़ किला।
राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित इस किले को अजेयगढ़ उपनाम से भी जाना जाता था, क्योंकि इस किले पर विजय प्राप्त करना किसी भी राजा के लिए बेहद ही मुश्किल काम था। करीब 3,600 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह किला घूमने के लिए एक बेहतरीन जगह है। यहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग घूमने के लिए आते हैं। इस किले से आप थार रेगिस्तान के सुंदर दृश्यों का आनंद उठा सकते हैं। जब भी आपको मौका मिले, एक बार इस किले की जरूर सैर कर आएं। आइए आपको बताते हैं इस किले की कुछ खास बातें।
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किले की एक विशेषता यह भी है कि यह भव्य किला वास्तव में कभी युद्ध में नहीं जीता गया था। हालांकि इसे केवल एक बार मुगल सेना ने धोखे से पकड़ लिया था जब उन्होंने किले की जल आपूर्ति में जहर मिला दिया था।
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दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी दीवार:
आपने चीन की ग्रेट वॉल आॅफ चाइना के बारे में तो सुना होगा, लेकिन कुंभलगढ़ को भारत की महान दीवार कहा जाता है। उदयपुर के जंगल से 80 किमी उत्तर में स्थित, कुंभलगढ़ किला चित्तौड़गढ़ किले के बाद राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा किला है। अरावली पर्वत माला पर समुद्र तल से 1,100 मीटर (3,600 फीट) की पहाड़ी की चोटी पर निर्मित, कुंभलगढ़ के किले में परिधि की दीवारें हैं जो 36 किमी (22 मील) तक फैली हुई हैं और 15 फीट चौड़ी है, जो इसे दुनिया की सबसे लंबी दीवारों में से एक बनाती है। अरावली रेंज में फैला कुम्भलगढ़ किला मेवाड़ के प्रसिद्ध राजा महाराणा प्रताप का जन्म स्थान है। यही कारण है कि इस किले के दिलों में राजपूतों का विशेष स्थान है। 2013 में, विश्व विरासत समिति के 37 वें सत्र में किले को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
कुंभलगढ़ किले की संरचना:
किला सात विशाल द्वारों के साथ बनाया गया है। इस भव्य किले के अंदर की मुख्य इमारतें बादल महल, शिव मंदिर, वेदी मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर और मम्मदेव मंदिर हैं। कुंभलगढ़ किला परिसर में लगभग 360 मंदिर हैं, जिनमें से 300 जैन मंदिर हैं और बाकी हिंदू हैं। इस किले की एक विशेषता यह भी है कि यह भव्य किला वास्तव में कभी युद्ध में नहीं जीता गया था। हालांकि इसे केवल एक बार मुगल सेना ने धोखे से हथियाने का प्रयास किया था, जब उन्होंने किले की जल आपूर्ति में जहर मिला दिया था। किले के अंदर बने कमरों के साथ अलग-अलग खंड हैं और उन्हें अलग-अलग नाम दिए गए हैं।
रणकपुर जैन मंदिर: भारतीय शिल्पकला का अद्भुत नमूना
रणकपुर स्थित जैन मंदिर तीर्थंकार रिषभनाथ को समर्पित है। मार्बल से बने इस मंदिर में कुल 1444 खंभे हैं, जिन पर अलग-अलग नक्काशी की गई है। ऐसा माना जाता है कि कोई भी इन खंभों को आज तक गिन नहीं पाया है, क्योंकि जब भी कोई गिनती करता है, तो एक खंभा कम हो जाता है या फिर एक खंभा ज्यादा। एक ही नंबर कभी नहीं आता। राणा कुंभा ने इस कस्बे और मंदिर को बनाने में मदद की थी, इसलिए इसका नाम उनके नाम से ही रणकपुर रखा गया। इस मंदिर में आपको अद्भुत भारतीय शिल्पकला देखने का सुनहरा अवसर मिलता है। मंदिर के चार मुख्य द्वार हैं। मंदिर की छत में ठीक मूर्ति के सामने कल्पतरु का वृक्ष बनाया गया है।
कुंभलगढ़ वाइल्डलाइफ सैंचुरी: रोमांचक जीप सफारी
जंगली जानवरों को नजदीक से देखने के रोमांच का अनुभव करना चाहते हैं, तो कुंभलगढ़ वाइल्ड लाइफ सैंचुरी में जीप सफारी का आनंद जरूर उठाएं। यहां आपको तेंदुआ से लेकर नील गाय, सांभर, लंगूर जैसे तमाम जंगली जानवर देखने को मिलेंगे। साथ ही आपको कई नए पक्षी भी देखने को मिल जाएंगे। यहां एक क्षेत्र खासतौर से मोर का है, जहां आपको अनगिनत मोर नजर आएंगे।
जंगल सफारी के दौरान आपको कई पेड़-पौधे और जड़ी-बूटियां भी देखने को मिलेंगी, जिनका स्थानीय लोग उपचार के लिए इस्तेमाल करते हैं। इस जंगल में आपको एक खास पेड़ देखने को मिलेगा, जिसका नाम है- घोस्ट ट्री। जी हां, यह पेड़ एकदम सफेद रंग का होता है, जो रात में चमकता है, इसीलिए इसे घोस्ट ट्री कहते हैं। यहां दिन में तीन सफारी करवाई जाती है और नाइट सफारी की भी व्यवस्था है। अगर आप ज्यादा से ज्यादा जानवरों को देखना चाहते हैं, तो सुबह की बजाय शाम के अंतिम शेड्यूल में सफारी पर जाएं।
क्लब महिंद्रा: प्रकृति की गोद में शानदार आतिथ्य
अरावली की पर्वत शृंखलाओं से घिरे कुंभलगढ़ क्लब महिंद्रा रिजॉर्ट में आपको प्रकृति के स्पर्श का अनुभव होता है। इसके स्विमिंग पूल, फन जोन और रेस्टोरेंट आपको बेस्ट क्वालिटी टाइम बिताने का मौका देते हैं। यकीनन आप यहां से अविस्मरणीय यादें लेकर जाएंगे।
महाराणा प्रताप का जन्मस्थान:
कुंभलगढ़ किला मेवाड़ के महान योद्धा बहादुर महाराणा प्रताप का जन्मस्थान भी है, जिन्होंने विशाल मुगलों के आगे कभी घुटने नहीं टेके। किले के ऊपर से आपको कुम्भलगढ़ के किले के आगे दूर-दूर तक फैले हरे-भरे पहाड़ों की परतें दिखाई देंगी।
वहां कैसे पहुंचे और टिकट की कीमत:
कुंबलगढ़ सड़क मार्ग से उदयपुर से 82 किमी उत्तर पश्चिम में स्थित है। कैब लेने पर आपको लगभग पांच हजार रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं, साथ ही आप किराए पर एक वाहन भी ले सकते हैं जो काफी सस्ता और मजेदार विकल्प है और उदयपुर से कुंभलगढ़ पहुंचने में लगभग दो घंटे लगते हैं।
लाइट एंड साउंड शो:
हर शाम एक लाइट एंड साउंड शो होता है जो शाम 6.45 बजे शुरू होता है और यदि आप यहां आए हैं, तो आपको इसे एक बार जरूर देखना चाहिए। 45 मिनट का शो एक आकर्षक अनुभव है जो किले के इतिहास को जीवंत कर देता है। यह शाम 6.45 बजे शुरू होता है और अंत तक आते-आते यहां काफी अंधेरा हो जाता है, इसलिए सलाह दी जाती है कि बाहर निकलने के लिए टॉर्च का इस्तेमाल करें। किले को रोशन करने के लिए शाम के समय विशाल रोशनी जलाई जाती है।