चर्चित नहीं, लेकिन खूबसूरती बेमिसाल
प्राय: देखा गया है कि गर्मियों की छुट्टियां नजदीक आते ही लोग कहीं ठंडे स्थान पर जाने का प्रोग्राम बनाने लग जाते हैं। ऐसे में उनके पास गिने-चुने कुछेक दर्शनीय स्थल होते हैं, जो हर किसी की जुबान पर पहले से ही सेट होते हैं। ऐसे में व्यक्ति सोचता है कि यार, इस जगह पर तो कई बार घूम आए हैं और अब तो वहां भीड़-भाड़ भी बहुत होती है!
अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं, तो इस बार हम आपको बता रहे हैं, ऐसे हिल स्टेशन के बारे, जहां न तो अधिक भीड़भाड़ रहती है और न ही इन जगहों को हर कोई जानता है! इसलिए अगर आपको नए-नए डेस्टिनेशन की तलाश है और आप ऐसी जगह जाना चाहते हैं, जो खूबसूरत तो हो और भीड़-भाड़ से भी दूर हो, तो आप भारत में ऐसे कुछ खास स्थलों की यात्रा कर अपनी यह चाह पूरी कर सकते हैं! भारत के कई ऐसे कोने हैं, जो आज भी अनछुए हैं और जहां कम ही लोग जाते हैं।
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आइये जानते हैं, कौन से हैं वो डेस्टिनेशन:-
फूलबानी (ओडिशा):
पूर्वी भारत के मध्य ओडिशा राज्य में बसा ‘फूलबानी शहर’ प्राकृतिक दृष्टि से काफी खूबसूरत स्थान है। भीड़भाड़ से दूर इस इलाके में अपूर्व शांति है। चारों ओर पहाड़ों से घिरे फूलबानी के 3 ओर पिल्लसंलुकी नदी बहती है। फूलबानी, कंधमाल जिले का मुख्यालय है। यहां पहुंचकर पर्यटकों को बहुत सुकून मिलता है। पहाड़ियों की चोटियों से फूलबानी का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। भुवनेश्वर यहां का निकटतम हवाई अड्डा है, जबकि बहरामपुर निकटतम पूर्वी तटीय रेलवे स्टेशन है, जो भारत के मुख्य नगरों से जुड़ा है।
फूलबानी से 98 किलोमीटर दूर ‘कलिंग घाटी’ है, जिसके पास दशमिल्ला नामक स्थान है, जहां सम्राट अशोक ने कलिंग का प्रसिद्ध युद्ध लड़ा था। यह घाटी सिल्वी कल्चर गार्डन व आयुर्वेदिक पौधों के लिए भी जानी जाती है।
बस्तर (छत्तीसगढ़):
जिंदगी की आपाधापी से दूर, आकर्षक धरोहरों और आकर्षणों की मंजिल ‘छत्तीसगढ़ के बस्तर’ को बेहिचक अपनी मंजिल बनाया जा सकता है। राजधानी रायपुर से होते हुए जब आप इस राज्य की सड़कों को नापकर जगदलपुर की ओर बढ़ रहे होते हैं तो यह सोचकर हैरानी होती है कि शहरी आर्किटेक्चर के बीच ऐसी प्राकृतिक छटा का अस्तित्व भी हो सकता है। छत्तीसगढ़ में घुमक्कड़ी के बीच लगेगा कि जैसे आप प्रागेतिहासिक काल की सभ्यता में पहुंच गए हों! यहां जीवन में सिर्फ खुश रहना ही मायने रखता था।
जगह-जगह बांध, ताल-सरोवर भी इन दिनों पानी से लबालब हो अनुपम सौंदर्य से भर उठते हैं। रास्ते में कांगेर घाटी नेशनल पार्क स्थित यह जगह अपनी घनी वनस्पतियों और ऐसे जंगलों के लिए मशहूर है, जहां कभी कोई नहीं गया। ये जंगल इतने घने हैं कि सूरज की रोशनी भी इन्हें भेद नहीं पाती। आश्चर्यों की सरजमीं, यानी छत्तीसगढ़ के बस्तर का मानसूनी सफर आपको हमेशा याद रह जाएगा।
अमरकंटक (मध्यप्रदेश):
सतपुड़ा-मैकल और विंध्य पर्वत शृंखला के संधि-स्थल पर सुरम्य नील वादियों में बसा अमरकंटक ग्रीष्मकाल के लिए अनुपम पर्यटन स्थल है। इसे प्रकृति और पौराणिकता ने विविध संपदा की धरोहर बख्शी है। चारों ओर हरियाली, दूधधारा और कपिलधारा के झरनों का मनोरम दृश्य, सोननदी की कलकल करती धारा, नर्मदा कुंड की पवित्रता, पहाड़ियों की हरी-भरी ऊंचाइयां हैं और खाई का प्रकृति प्रदत्त मनोरम दृश्य मन की गहराइयों को छू जाता है। अमरकंटक, मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के अन्तर्गत दक्षिण-पश्चिम में लगभग 80 कि.मी. की दूरी पर, अनूपपुर रेलवे जंक्शन से 60 कि.मी., पेंड्रा रोड रेलवे स्टेशन से 45 कि.मी. और बिलासपुर जिला मुख्यालय ये 115 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।
कांगनहेड़ी (दिल्ली):
दिल्ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम लोगों को दिल्ली की घनी आबादी से दूर शांत माहौल मुहैया कराना चाहता है। इसलिए भागदौड़ भरी जिंदगी में सुकून के कुछ पल बिताने के लिए दिल्ली के पास नया स्पॉट विकसित किया गया है। यहां हरियाली के बीच एडवेंचरस स्पोर्ट्स का मजा लिया जा सकता है। यह इको फ्रेंडली स्पॉट ‘कांगनहेड़ी’ में है, जो दिल्ली के नजफगढ़ के पास है। यह ऐसा है, जिससे टूरिस्ट को दिल्ली में रहते हुए भी पहाड़ की वादियों की कमी महसूस नहीं होगी।
भेड़ाघाट (मध्यप्रदेश):
भेड़ाघाट जाने वाले इसकी खूबसूरती देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं, जहां बरसात के तेज प्रवाह में पूरा का पूरा प्रपात खो सा जाता है। इस मौसम में प्रपात का सौन्दर्य नहीं दिखता, लेकिन प्रवाह के सौन्दर्य को संग लिए नर्मदा की हिलोर देखने लायक होती है। वहीं नर्मदा में नौकाविहार का मजा ही कुछ और है। भेड़ाघाट का वातावरण बेहद शांत है। जब सूरज की रोशनी सफेद और मटमैले रंग की संगमरमरी चट्टान पर पड़ती है, तो नदी में बनने वाला इसका प्रतिबिंब अद्भुत होता है। भेड़ाघाट और यहां की संगमरमरी चट्टान की खूबसूरती उस समय चरम पर होती है जब पानी की बूंदें इन पर पड़कर छिटकती हैं।
चैल (हिमाचल प्रदेश):
चैल की खासियत है चारों ओर से पहाड़ों से घिरा होना; हिल स्टेशन का मजा और साथ में शांति का अनुभव भी। चैल में देवदार के पेड़ों से घिरा एक छोटा-सा गांव बसा है। आप कह सकते हैं कि गांव के इर्द-गिर्द देवदार का जंगल है। यहां पहाड़ों का हरा-भरा नजारा आपके मन को खुश कर देता है और मौसम की तो बात ही क्या, हर महीने खुशगवार मौसम बना रहता है।
उत्तराखंड का चंबा:
आमतौर पर चंबा का नाम आते ही लोगों के जेहन में हिमाचल की ही तस्वीर उभर कर सामने आती है, लेकिन यदि आप उत्तराखंड आएं तो यहां भी आप चंबा के दर्शन कर सकते हैं। यदि आप सीमित बजट में खूबसूरत हिल स्टेशन की सैर करना चाहते हैं, तो पैक कीजिए अपना सामान और बिना झिझक चले आइए चंबा। इस चंबा की खूबसूरती भी देखते ही बनती है। फर्क सिर्फ इतना है कि हिमाचल का चंबा पर्यटन के नक्शे पर अपना मुकाम बना चुका है, जबकि उत्तराखंड में स्थित चंबा अभी अपनी जगह बनाने की कोशिश में है। सुंदर मौसम और आसपास के मनोहारी दृश्य इसे एक आकर्षक पर्यटन स्थल बनाने के लिए काफी हैं। चंबा छुट्टियां बिताने के लिए उन आरामदायक स्थानों में से एक है जहां पहुंचकर आप अद्भुत शांति प्राप्त कर सकते हैं।
खजियार (हिमाचल प्रदेश):
चीड़ और देवदार के ऊंचे-लंबे, हरे-भरे पेड़ों के बीच बसा खजियार दुनिया के 160 मिनी स्विटजरलैंड में से एक है। यहां आकर सैलानियों को आत्मिक शांति और सुकून मिलता है। चीड़ और देवदार के पेड़ों के बीच स्थित झील पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। झील के बीचों-बीच स्थित टापू पर बैठकर सैलानी घंटों इस प्रकृति की अनुपम धरोहर को निहारते रहते हैं। दिल्ली से 560 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह स्थान खूबसूरती और हरियाली के मामले में अपना अलग स्थान रखता है।
मुन्नार (केरला):
मुन्नार शहर एक सामान्य कस्बे की तरह दिखता है, जिसे हर मोड़ पर बने छोटे बड़े होटल और सैलानियों की भीड़ बड़ा अनाकर्षक रूप दे देती है। पर इस कस्बे से एक किमी. दूर आप जिधर भी बढ़ें, उधर न भीड़भाड़ दिखती है और ना कंक्रीट के जंगल! दिखती है तो बस चारों ओर पहाड़ियों के बीच चाय बागानों की निर्मल हरियाली। केरल सरकार ने मुन्नार की नैसर्गिक सुंदरता को बचाए रखने के लिए इसके व्यापक शहरीकरण पर रोक लगाई हुई है।
कुछ अन्य दर्शनीय स्थल:
- ‘डेयरिंगबाड़ी’ ओडिशा का कश्मीर (कंधमाल)
- ट्राइबल विलेज आॅफ ‘अनन्तगिरि हिल्स’
- चेन्नई के नजदीक ‘येलागिरि हिल्स’
- छत्तीसगढ़ का शिमला ‘मेनपट’
- एशिया का सबसे बड़ा विंड ब्लोइंग एरिया ‘रामाक्कलमेदु’ (केरल)
- ईस्टर्न घाट की ‘नालामाला हिल्स’
- विशाखापटनम का ‘लम्बासिंगी’
- शिमला के पास ‘नालदेहरा’
- नागालैंड का ‘मोकोकचुंग’
- तिब्बत में ‘चिटकुल’
- मनाली के पास ‘मलाना’
- सियाचिन की राह पर ‘नुब्रा वैली’
- एशिया का स्वच्छतम गांव शिलांग का ‘मायलिननॉंग‘
- त्सांगु झील के पास ‘जुलुक गांव’
– आर. सिंगला