बना रह सकता है स्वर्ग-सा दांपत्य जीवन
(एक दूसरे की रूचियों का सम्मान करें)
आमतौर पर देखा गया है कि पति अपनी पत्नी के क्रियाकलापों, रूचियों व शौकों पर ध्यान देने में लापरवाही बरतते हैं। पत्नी कुछ कर दिखाने की ठानती भी है परंतु पति के रूखे व्यवहार से वह अपने इस कार्य में सफल नहीं हो पाती।
उसके दिल में यह भय हमेशा सताता रहता है कि न जाने कब पति बीच में टांग अड़ाकर या अपना अड़ियल रूख अपना कर झिड़क न दे।
पति की प्रशंसा, सहानुभूति व प्रोत्साहन के अभाव में उसे अपने शौक बेजान व अरूचिकर लगने लगते हैं। ऐसे में कोई पत्नी इन कार्यो के प्रति ध्यान एकाग्र करना चाह कर भी इसमें सफल नहीं हो पाती। ऐसी विषम परिस्थितियों में हर पत्नी पति के प्रति गिले शिकवे के शब्दों का प्रयोग कर सकती है।
फिर तो दांपत्य जीवन में भूचाल आना स्वाभाविक है। कहीं उसका हतोत्साहित मन लावा की तरह उबलकर फूट न पड़े।
उस समय आपके दिल पर क्या गुजरेगी। आपने कभी सोचा है कि इस तरह का तनावपूर्ण वातावरण स्थापित करने की जिम्मेदारी आपकी है।
ऐसे में क्या आप अपनी पत्नी से भरपूर प्यार की आशा कर सकते हैं? आपकी पत्नी आपसे क्या अपेक्षा रखती है कि थोड़ा प्यार, प्रोत्साहन, प्रशंसा के दो मीठे बोल तथा अपने शौकों व रूचियों पर आपकी आय से निमित मात्रा पैसे का व्यय और बस, नतीजा दांपत्य जीवन भी खुशहाल और घर-परिवार में हंसी-ठहाके।
मेरे पड़ोस की श्रीमती लीना को कलात्मक चित्र बनाने का शौक है। वे इस कार्य को सच्ची लगन व निष्ठापूर्वक परिश्रम से करती हैं। उसके पति बैंक में कैशियर हैं। परिवार केवल दो ही सदस्यों तक सीमित है यानी परिवार काफी सुखी सम्पन्न व समृद्धि से भरपूर है।
लीना रंग-ब्रश के लिए अपने पति के समक्ष कुछ पैसों का ब्यौरा रखती है। इस पर उसके पति महोदय पैसा खर्च करना तो दूर, उनके शौकों व रूचियों की कटु आलोचना करना प्रारंभ कर देते हैं कि क्यों रात-दिन अपने को इस बेबुनियादी कार्यों में खपाती रहती हो! एक तो कागज की बर्बादी, ऊपर से रंग व ब्रश के लिए पैसे। मैं ऐसे-वैसे कार्यों के प्रति पैसे व्यय करने वाला नहीं! यदि कुछ खाने-पीने की इच्छा हो तो कहो!
पति के इस तरह के कटु व्यवहार से लीना का मन खीझ व खिन्नता से भर उठता है। खाता-पीता कौन नहीं! इसके अलावा भी तो उसके कुछ अपने शौक होते हैं!
एक अन्य दंपति ऐसे हैं जो हमेशा एक दूसरे का ख्याल रखते हैं। प्रशंसा व प्रोत्साहन देकर एक-दूसरे का हौंसला बुलंद करते रहते हैं। दोनों की अपनी अलग-अलग रुचियां व शौक हैं। किसी को किसी से गिला-शिकवा नहीं है। दांपत्य जीवन खुशहाली व शांतिपूर्वक बीत रहा है।
तनाव व कटुता का यहां तनिक भी स्थान नहीं और जहां तनाव व कटुता का जन्म ही नहीं होगा, वहां दांपत्य जीवन में भूचाल कैसे आयेगा!
लीना को लीजिए। हमेशा अपने पति के प्रति खिन्न व भौंहें चढ़ाई रहती है। अब तो लीना अपने पति से ढंग से बात करने में भी कतराती रहती है! कभी-कभी खीझ कर कह भी देती है, ‘जीवन नरक बन गया ऐसा पति पाकर।’
यदि आप भी इसके शिकार हैं तो अपने व्यवहार में शीघ्रातिशीघ्र परिवर्तन लाएं। माना कि आपको दैनिक कार्यों के अलावा और कार्यों में विशेष रूचि नहीं। तो पत्नी से भी इसकी अपेक्षा न करें। हो सकता है उसके कुछ शौक हों और आप इसके सख्त विरोधी हों, तो ऐसे में हर किसी के दांपत्य जीवन में भूचाल आना स्वाभाविक है।
आपकी पत्नी की किन-किन कार्यों में रूचि है, उसका आप विनम्र व प्रशंसित लहजे में स्वागत करें। कुछ पैसों की जरूरत हो तो खर्च करने में हिचकें नहीं। समस्या को झट-पट निबटाने के लिए आप हमेशा प्रयासरत रहें।
पत्नी के मनोबल को बढ़ाने के लिए उसके कार्यों में दिलचस्पी दिखाएं। यदि आप उसके कार्यों को उपेक्षा की दृष्टि से देखेंगे तो उसके अन्दर खिन्नता, खीझ व आपके प्रति उसके दिल में मैल जमेगी। ऐसी स्थिति में क्या आप भरपूर प्यार व स्रेह की अपेक्षा कर सकते हैं? शायद नहीं।
प्यार के अभाव में आपका जीवन नरक बन सकता है। यदि आप इस नरक को स्वर्ग में बदलना चाहें तो बस जरूरत है आपकी सूझ-बूझ व समझदारी की। – राजेन्द्र कुमार सिंह