नंदू और चंदू की चतुराई
चंपकपुर जिले के पराग शहर में नंदू और चंदू अपने मातापिता के साथ रहते थे। दोनों भाई पढ़ाई में होशियार थे। इस बार भी उन दोनों ने कड़ी मेहनत कर परीक्षाएं दी थीं। परीक्षा खत्म होने के बाद वे फुर्सत में थे। परीक्षा के बाद वे दोनों आसपास कहीं न कहीं जाने का कार्यक्र म बनाते थे।
‘इस बार पिकनिक मनाने कहां जाएंगे?’ नंदू ने चंदू से पूछा। ‘अब की बार मोहरेंगा जंगल चलते हैं।’ चंदू ने कहा।
‘हां, वह तो बहुत अच्छी जगह है। उस जंगल की बहुत तारीफ सुनी है। वहां काले रंग का हिरण है, ऐसा कुछ लोग कहते है।’ नंदू ने कहा।
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‘ऐसी बात है, तब तो बहुत मजा आएगा। मुझे काला हिरण देखने का बहुत शौक हैं।’ चंदू ने कहा।
दूसरे दिन खाने पीने का सामान बैग में रख कर नंदू और चंदू छुट्टियों का आनंद लेने के लिए घर से निकले। वे मोहरेंगा की ओर जाने वाली बस में सवार हो गए।
दोनों भाई बस में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठे थे। खिड़की से वे बाहर के मनोरम दृश्य का आनंद ले रहे थे। बस के अंदर की गतिविधियों से अनभिज्ञ वे अपने आप में मस्त थे।
अचानक उन्हें एक कड़कदार आवाज सुनाई दी। वे दोनों चौंक कर अपनी सीट से उठ गए। उन्होंने देखा कि उनके पीछे की सीट पर एक डाकू बंदूक ताने खड़ा है।
वह डाकू गरजा, ’तुम लोगों के पास जितने रूपए-पैसे और गहने वगैरह हैं, उसे मेरे हवाले कर दो। जो ऐसा नहीं करेगा, वह मेरी बंदूक की गोली से मारा जाएगा।
डाकू की धमकी से यात्री डर गए। सभी कांपते हाथों से रूपए-पैसे और गहने निकाल रहे थे। नंदू और चंदू को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें।
एकाएक दोनों सावधान हो गए। आंखों से एक दूसरे की ओर इशारा करते हुए अपना बैग उठा लिया। उन्हें ऐसा करता देख डाकू यही समझा कि वे बैग में रखे रूपए-पैसे निकालेंगे लेकिन दूसरे ही क्षण चंदू और नंदू ने पिसी मिर्च उनकी आंख में फेंक दी। डाकू दर्द से चिल्लाने लगा। वह अपनी बंदूक छोड़ कर आंख मलते हुए बैठ गया।
यात्री कुछ समझ पाते, इस से पहले नंदू ने यात्रियों से कहा, ‘इस बदमाश को कस कर पकड़ लो।’
चंदू ने ड्राइवर से कहा, ’सामने नर्सरी के पास बस रोकना’।
ड्राइवर ने वैसा ही किया। नर्सरी के पास बस रूकी।
नंदू ने नर्सरी के फोन से पुलिस को वारदात की जानकारी दी। 20 मिनट में पुलिस घटना स्थल पर पहुंच गई।
थानेदार ने उस डाकू को हथकड़ी पहनाते हुए बताया कि यह कुख्यात डाकू कालू है। कई तरह की डकैती एवं चोरी के मामले में पुलिस को इसकी तलाश थी।
एक हवलदार ने हंसते हुए कहा, ’भाई नंदू और चंदू, तुम्हारी पिसी मिर्च के सामने इसकी बंदूक कमजोर पड़ गई।’
यह सुन कर यात्रियों ने दोनों की पीठें थपथपाई और उन की बहुत प्रशंसा कीं।
तभी थानेदार ने कहा, ’बच्चो, इस डाकू पर राज्य सरकार ने 50 हजार का इनाम भी रखा है। तुम ने इसे पकड़ा है। अब 50 हजार पर तुम्हारा हक है।’
यह सुन कर नंदू, चंदू और सभी यात्री बहुत खुश हुए। नंदू और चंदू अपना पिकनिक का कार्यक्र म छोड़कर खुशी-खुशी पुलिस वालों के साथ घर वापस आ गए।
जब शहर में लोगों को इस बात का पता चला तो उन्होंने दोनों भाइयों को कंधे पर उठा कर अपनी खुशियां व्यक्त की।
-नरेंद्र देवांगन