नर्सों के योगदान कोनमन जरूरी Needs to pay contribution to nurses
सेवा का उत्तम भाव तुम्हारा-नि:स्वार्थ है बहाव तुम्हारा-बिना भेदभाव के ख्याल रखती हो तुम, है जनमानस से लगाव तुम्हारा। विश्व नर्सिंग डे पर हम इन्हीं शब्दों के साथ उन वॉरियर्स का सेल्यूट कर रहे हैं, जो मरीजों की सेवा को अपना परम धर्म मानती हैं।
मरीज की उम्र कितनी भी हो, पर इनके काम की गति और सेवा की भावना सभी के लिए बराबर रहती है। मतलब बच्चों से लेकर उम्रदराज व्यक्तियों के उपचार रूपी सेवा में ये कोई कटौती नहीं करती। इनके लिए वॉरियर नाम का तमगा सिर्फ कोरोना काल में ही क्यों, यह तमगा तो हमेशा इनके नाम के साथ जुड़ना चाहिए।
यह दिन दुनिया भर की नर्सों को समर्पित है। इस दिन अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। दुनिया की महान नर्स फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस मौके पर नर्सिंग के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली नर्सों को फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया जाता है।
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इस विश्व नर्सिंग डे पर हमने कुछ नर्सिंग स्टाफ से बात की तो उन्होंने अपनी भावनाएं व्यक्त की:-
सेवा की भावना हो तो नर्सिंग को ही चुनें
गुरुग्राम के नागरिक अस्पताल की नर्सिंग स्टाफ पूनम सहराय कहती हैं कि जिसके दिल में समाजसेवा की भावना होती है, उसे भगवान उसी क्षेत्र में किसी न किसी माध्यम से ले ही आते हैं। उन्होंने नर्सिंग को समाजसेवा के लिए बहुत ही उत्तम पेशा बताते हुए कहा कि हर तरह के व्यक्ति की सेवा का यहां मौका मिलता है।
यहां बच्चों को भी दुलार कर उनका उपचार किया जाता है तो बुजुर्गों की अच्छे से सेवा करके उनका आशीर्वाद मिलता है। हम जी-जान से मरीजों की सेवा करती भी हैं और सदा करती रहेंगी। उनका नर्सिंग क्षेत्र में आ चुकी और आने वाली हर महिला, बेटी को यही संदेश है कि अगर इस प्रोफेशन को चुना है या चुनना है तो अपने दिल में सेवा की भावना को जरूर रखना।
सेवा के लिए नर्सिंग से बेहतर कुछ नहीं
हिमाचल प्रदेश निवासी श्रुति यहां मेदांता मेडिसिटी में स्टाफ नर्स हैं। अपने घर से कोसों दूर समाजसेवा के लिए ही वे आई हैं। यह ठीक है कि जीवन के लिए आर्थिक मजबूती जरूरी है, लेकिन जब हम दिल से किसी प्रोफेशन में सेवा करते हैं तो सब कुछ ठीक होता है। नर्सिंग प्रोफेशन को सेवा के लिए बेहतर माना गया है। इसमें किसी तरह का स्वार्थ नहीं होता। किसी को जीवनदान हमारे हाथों से मिलता है। श्रुति यह नहीं कहती कि वे किसी को जीवन देती हैं, मगर उनकी सेवा इतनी शिद्दत से करती हैं कि मरीज को जीने की उम्मीद बंधाती हैं। उन्हें दिमागी रूप से मजबूत बनाती हैं।
सेवा परमो धर्म ही हमारा ध्येय
उत्तराखंड से आकर यहां मेदांता मेडिसिटी में सेवाएं दे रही स्टाफ नर्स श्वेता रावत कहती हैं कि सेवा के क्षेत्र का परम वाक्य ‘सेवा परमो धर्म’ की राह पर चलना ही उनका ध्येय है। देश में नर्सों की बहुत कमी है। इस पर वे कहती हैं कि हर माता-पिता बेटियों को इस क्षेत्र में डालने का प्रयास करें। इसमें नौकरी के साथ सेवा का मौका मिलता है। इससे यहां नर्सों की कमी भी दूर होगी और बेटियों को परिवार के सदस्यों की तरह सेवा का मौका भी मिलेगी। बचपन से ऐसे संस्कार भी हमारे यहां दिए जाते हैं कि हम अपने से बड़ों की सेवा करेंगे। सबके साथ अच्छा व्यवहार करेंगे।
सेवा में कोई सीमा, संस्कृति बाधा नहीं
केरल की रहने वाली जोसमीन कहती हैं कि उनके यहां तो बेटियों के लिए नर्सिंग के प्रोफेशन को सबसे बेहतर माना जाता है। इसलिए केरल से बहुत अधिक संख्या में बेटियां नर्सिंग प्रोफेशन को ही अपनाती हैं। पेरैंट्स का इसमें पूरा सपोर्ट रहता है। उनका कहना है कि सेवा के क्षेत्र में कोई सीमाएं, कोई संस्कृति मायने नहीं रखती, बल्कि यह विचारों, सोच की बात है। हमें यह सेवा का क्षेत्र मिला है तो हमें इसमें अपना भरपूर योगदान देना चाहिए। समस्याएं आती हैं, उनसे घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उनका मुकाबला करके इस सेवा के पथ पर आगे बढ़ते जाना ही हमारा ध्येय होना चाहिए।
नर्सिंग में आना किस्मत की बात
केरल की ही रीनू भी यहां पर स्टाफ नर्स के रूप में कार्यरत हैं। वे कहती हैं कि नर्सिंग बनना किस्मत की बात है। अपनी अभी तक की नौकरी में उन्होंने मरीजों को हमेशा ही पॉजिटिव सोच के साथ प्रेरणा दी है। उनका कहना है कि उपचार लेने वाले मरीज के लिए नर्सिंग स्टाफ का एक पॉजिटिव शब्द भी ऊर्जा देता है। उत्साह से भर देता है। उनमें ठीक होने की क्षमता बढ़ जाती है। चाहे व्यक्तिगत जीवन में एक नर्स कितनी भी परेशान हो। कोई भी समस्या हो, लेकिन वह अपने मरीज के साथ हमेशा न्याय करती है। अपनी परेशानी से मरीज को नहीं जोड़ती। नर्सिंग का यह मुख्य ध्येय भी होना चाहिए।
सेवा का नायाब क्षेत्र है नर्सिंग
एम्स में कार्यरत नर्सिंग आॅफिसर सुमन कहती हैं कि उन्हें अपने अस्पताल में हर क्षेत्र के मरीजों से रूबरू होना पड़ता है। सबकी भाषा भिन्न होती है। लेकिन किसी की भाषा और क्षेत्र उनके उपचार में बाधा नहीं बनते। सुमन कहती हैं कि सेवा का यह क्षेत्र नायाब है। सिर्फ और सिर्फ सेवा ही नर्सिंग का ध्येय है। यह प्रोफेशन हमने चुना है तो इसमें खुद को समर्पित भी करके चलना है। वे कहती हैं कि हर प्रोफेशन से कहीं अलग यह प्रोफेशन है। नर्सिंग बेशक एक पेशा है। जॉब है, लेकिन मुख्य रूप से यह सेवा का ही क्षेत्र है। सेवा को समर्पित महिलाओं के लिए यह प्रोफेशन प्राथमिकता होनी चाहिए।
जिस प्रकार से कोरोना को लेकर विश्वभर में हाहाकार मचा हुआ था, उसे लेकर मन में एक डर था। लेकिन इन सबके बावजूद परिवार के सदस्यों से अलग रहकर ड्यूटी की। 14 दिन की ड्यूटी के दौरान जहां घर के अलग कमरे में परिवार से अलग रही, वहीं अपनी गुडिया को ननिहाल भेज दिया, ताकि वो संक्रमण में न आ सके। लेकिन इसके बाद सबकुछ सामान्य सा लगने लगा। बहुत खुश हूं कि मुझे लोगों की सेवा का अवसर मिल रहा है।
-मंजू कंबोज, स्टाफ नर्स, जिला नागरिक अस्पताल सिरसा।
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