तन ही नहीं, मन पर भी ध्यान दें
अच्छे स्वास्थ्य की एक सबसे बड़ी जरूरत है आपके मन का स्वस्थ होना, पर हम अधिकतर अपने शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहते हैं और अपना समय, साधन व पैसा अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्रयोग करते हैं
व शारीरिक फिटनेस को ही अधिक महत्त्व देते हैं पर जब मन का प्रश्न आता है तो हम उसके स्वास्थ्य पर ध्यान देना आवश्यक नहीं समझते। मानसिक स्वास्थ्य को भी महत्त्व देना जरूरी है, नहीं तो हम मानसिक रोगों का शिकार बन सकते हैं।
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मन के अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है:-
- मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कोई शौक होना। आप गाने सुन सकते हैं, चित्रकारी कर सकते हैं, बागवानी या अन्य ऐसा शौक अपना सकते हैं जो आपके मन को संतुष्टि दे। इस शौक को अपना कर आपका मन प्रसन्न रहेगा।
- कुछ समय सिर्फ अपने आप को दें। इस समय आप शांत मन से बैठेंं या लेटें और कोई भी विचार मन में न लाएं।
- उसी व्यक्ति का मन शांत रहता है जो अपने मन की उधेड़बुन को दूसरे के सामने उजागर करता है, इसलिए आपके मन में जो भी द्वंद्व या भावनाएं उठ रही हैं उन्हें दूसरों पर व्यक्त करें। अपनी महत्त्वाकांक्षाएं, सपनों व प्रेरणाओं को अपनों के साथ बांटें।
- अच्छे दोस्त बनाइए और अपने रिश्तों को सुदृढ़ बनाइए। जब भी आप निराश महसूस करें तो यही दोस्त व रिश्ते आपको अपना मजबूत सहारा देंगे और आपको निराशा के अंधकार से निकालेंगे।
- अपने अंदर स्वस्थ भावनाएं लाएं और स्वयं से ईमानदार रहिए। हमेशा याद रखें कि आप दुनिया से अपने आपको छिपा सकते हैं पर स्वयं से नहीं। स्वस्थ भावनाएं आपके मन को शांत रखेंगी जबकि नकारात्मक भावनाएं हमेशा आपको अशांत रखेंगी।
- कई लोगों की आदत होती है कि वे दूसरों से ईर्ष्या करके खुद को अशान्त करते हैं। ऐसे लोग मानसिक रूप से दुखी रहते हैं। इसलिए बेहतर होगा कि दूसरों से जलने की बजाय आपके पास जो भी है उससे संतुष्ट रहें।
- आलस्य भी स्वस्थ तन मन का दुश्मन है इसलिए उसे अपने पास न फटकने दें। प्रतिदिन प्रात: भ्रमण के लिए जाएं। स्वच्छ व खुली वायु आपके मन में प्रसन्नता का संचार करेगी और आप प्रसन्न मन से अपना दिन प्रारंभ करेंगे। अगर दिन का प्रारंभ प्रसन्न मन से हो तो सारा दिन अच्छा बीतता है।
- जब दिन समाप्त हो तो इस बात पर कुछ समय दें कि आपने सारा दिन क्या किया। इससे आपको ज्ञान होगा कि आपने क्या अच्छा किया और क्या बुरा और आप अगले दिन कोशिश करें कि पुन: आप कोई गलती नहीं करें।
- मन की शांति के लिए जरूरी है कि व्यर्थ के वाद-विवादों में न पड़ें पर इसका अर्थ यह कदापि नहीं कि आप रिएक्ट ही न करें। रिएक्ट करें पर जहां जरूरत हो। बेवजह बहस आपके मन को कष्ट देगी।
- स्वस्थ शरीर व मन की कुंजी है आशावादी होना, इसलिए अपने मन में आशावादी भावनाएं रखें। हमेशा अच्छा सोचने का प्रयत्न करें। आपने सुना भी होगा कि ‘अच्छा सोचो तो अच्छा होता है’।
- यह मत भूलिए कि शरीर और मन अलग-अलग नहीं बल्कि एक दूसरे पर निर्भर शरीर के दो भाग हैं। इसलिए एक नहीं, बल्कि दोनों पर ध्यान दें ताकि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निवास हो।
सोनी मल्होत्रा